लद्दाख में सफल हो गई है चीन की नापाक चाल!
विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की सैन्य तैयारी से एलएसी अब वास्तविक सीमा में बदल गई है। हालांकि इससे अच्छी बात यह हुई है कि चीन की साल 2013 में मुख्य रूप से शुरू हुई सलामी स्लाइसिंग की नीति अब रूक गई है। सलामी स्लाइसिंग वह रणनीति है जिसके तहत चीन धीरे-धीरे करके अपना सीमाई विस्तार कर रहा है।
मंगलवार।चीनी की बढ़ती दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए क्वाड देशों के शीर्ष नेता जापान की राजधानी टोक्यो में बैठक कर रहे हैं। क्वाड की यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब चीनी ड्रैगन सुरसा राक्षसी की तरह से अपना मुंह फैलाए बैठा है और लद्दाख से लेकर दक्षिण चीन सागर तक को 'निगलने' की फिराक में है। भारत और चीन के बीच मई 2020 में शुरू हुआ सीमा विवाद अभी तक जारी है और कई दौर की बातचीत के बाद भी इसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लद्दाख में चीन की नापाक चाल सफल हो गई है। चीन ने ताजा घुसपैठ से भारत के अक्साई चीन इलाके पर अपनी पकड़ को और ज्यादा मजबूत कर लिया है और बड़े पैमाने पर सेना और भारी हथियारों की तैनाती करके उसे एक 'किले' में बदल दिया है।
अमेरिका की चर्चित रक्षा वेबसाइट द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक लद्दाख की गलवान घाटी में खूनी झड़प के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने कई मोर्चों पर सीमित वापसी की। हालांकि अगर दो साल बाद की तस्वीर देखें तो चीनी सेना ने भारतीय जमीन पर न केवल कब्जा कर रखा है, बल्कि उल्लेखनीय सैन्य तैनाती भी कर दी है। विशेषज्ञों ने कहा कि अक्साई चिन का यह 38,000 किमी का यह ठंड और बंजर इलाका भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच विवाद का विषय बना हुआ है। चीन ने साल 1962 की लड़ाई में सबसे पहले इस इलाके पर कब्जा करने की कोशिश की। इस जंग के 4 दशक बीत जाने के बाद भी भारत और चीन के बीच आंशिक झड़प जारी रही जो साल 2020 में खूनी संघर्ष में बदल गई। इससे दोनों ही परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों के बीच जंग जैसे हालात बन गए।
'चीन ने अक्साई चिन इलाके को प्रभावी तरीके से अपने नियंत्रण में लिया'
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन दौलब बेग ओल्डी तक नई सड़क बनाए जाने और जम्मू कश्मीर से अनच्छेद 370 को खत्म किए जाने से भड़का हुआ है। गलवान झड़प के बाद तनाव घटाने के लिए दोनों देशों सेनाए पैंगोंग और कई अन्य इलाकों से पीछे हटीं लेकिन अभी भी हजारों की तादाद में सैनिक मात्र कुछ किमी की दूरी पर तैनात हैं। इस संकट के बाद अब चीन ने अक्साई चिन इलाके को प्रभावी तरीके से अपने नियंत्रण में ले लिया है और इसके चारों ओर बड़े पैमाने पर सेना तथा हथियारों की तैनाती कर दी है। सीमा संकट के दौरान चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी में टेंट लगाया और महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया। कई दौर की बातचीत के बाद चीन मात्र कुछ ही जगहों से पीछे हटा है। दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है लेकिन भारत और चीन दोनों ने ही एलएसी के दोनों तरफ स्थायी ठिकाने बना लिए हैं।
भारत ने राफेल फाइटर जेट की तैनाती करके हवाई ताकत को बढ़ाया
द ड्राइव ने कहा कि जिस तरह से चीन ने सैन्य तैयारी की है, उससे अब भारत के लिए अक्साई चिन पर फिर से कब्जा कर पाना बहुत ही मुश्किल होगा। चीन ने अक्साई चिन के एक विवादित दर्जे को सैन्य कब्जे में बदल दिया है। भारत ने भी संकट के इन दो सालों में काफी प्रयास किया है। भारत चीन को अक्साई चिन के साथ पूरी सीमा पर अब करारा जवाब देने की तैयारी कर रहा है। भारत ने राफेल फाइटर जेट और ड्रोन विमानों की तैनाती करके अपनी हवाई ताकत को बढ़ाया है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर सैनिकों को भी चीन की सीमा पर तैनात किया गया है। चीन जहां अक्साई चिन में अपनी सैन्य तैनाती को बढ़ा रहा है, वहीं भारत अक्साई चिन से सटे हुए अपने इलाके में मौजूद अपने एयरबेस को मजबूत कर रहा है। राफेल और ड्रोन विमानों की जुगलबंदी से भारत चीन को प्रभावी जवाब देने हालत में आ गया है।
रूक गई सलामी स्लाइसिंग की नीति
विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की सैन्य तैयारी से एलएसी अब वास्तविक सीमा में बदल गई है। हालांकि इससे अच्छी बात यह हुई है कि चीन की साल 2013 में मुख्य रूप से शुरू हुई सलामी स्लाइसिंग की नीति अब रूक गई है। सलामी स्लाइसिंग वह रणनीति है जिसके तहत चीन धीरे-धीरे करके अपना सीमाई विस्तार कर रहा है।