केरल हाईकोर्ट : मह‍िला झांसा देकर संबंध बनाए तो वह दुष्कर्म क्यों नहीं?

केरल हाईकोर्ट के जस्टिस ए मोहम्मद मुश्ताक की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक जून 2022 को तलाकशुदा मह‍िला-पुरुष में बच्चे की कस्टडी के मामले में सुनवाई कर रही थी। मह‍िला का कहना था क‍ि उसके पति पर शादी का झांसा देकर दूसरी मह‍िला के साथ यौन संबंध बनाने का आरोप है। वह दुष्कर्मी है। ऐसे में बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी मुझे मिलनी चाह‍िए। दुष्कर्मी बच्चे की देखभाल के योग्य नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने पूछा क‍ि अगर मह‍िला ने झांसा देकर पुरुष से संबंध बनाया होगा तो क्या होगा? न्यायाधीश ने खुद ही जवाब दिया और कहा क‍ि उसे सजा नहीं मिलेगी। साथ ही ये भी कहा क‍ि क्या ऐसा कानूनी संशोधन हो सकता क‍ि धोखा देकर यौन संबंध बनाने वाली मह‍िला को भी सजा हो।

केरल हाईकोर्ट : मह‍िला झांसा देकर संबंध बनाए तो वह दुष्कर्म क्यों नहीं?

13 जून 22। पुरुष शादी का झांसा देकर रेप करे तो केस। लेकिन यही अगर मह‍िला करे तो? झांसा देकर पुरुष से मह‍िला के संबंध बनाने को दुष्कर्म कहने पर मतभेद की स्थिति बन गई है। पिछले दिनों के एक मामले में सुनवाई करते समय केरल हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 376 को लिंग भेद रह‍ित कानून (Gender neutral law) बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन कानून मामलों के जानकरों के बीच इसे लेकर मतभेद है।
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ए मुहम्मद मुस्ताक ने टिप्पणी की कि आईपीसी की धारा 376 जेंडर न्यूट्रल यानि लैंगिक रूप से समान नहीं है। उन्होंने आगे कहा क‍ि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-376 लैंगिक रूप से समान नहीं है।
यह पहली बार नहीं है जब कोर्ट ने बलात्कार के मौजूदा मामले को ऐसी टिप्पणी की है। इससे पहले एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा था क‍ि क्या भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार और उसकी सजा को लैंगिक रूप से समान करने का कभी भी सही समय होगा।
लिंगभेद रह‍ित कानून का मतलब भी समझिए
जेंडर न्यूट्रल लॉ यानी लिंगभेद रह‍ित कानून (gender neutral law) पर काफी समय से बहस हो रही है। इसका सीधा सा मतलब यह है क‍ि कानून की नजर में सभी लिंग समान हों। यानी क‍ि सजा देते समय यह पुरुष, मह‍िला में भेद न किया जाये। किसी अपराध के लिए दोनों के लिए एक ही सजा का प्रावधान होना चाह‍िए। मांग की जा रही है क‍ि कानूनी धाराओं को पर‍िभाषित करते समय हर जेंडर को शामिल किया जाये उनकी भाषी सभी जेंडर के लिए एक ही हो जैसे POCSO कानून में बच्चे (18 साल से कम उम्र) का मतलब बच्चा ही है और इसमें किसी लिंग का उल्लेख नहीं किया गया है। मतलब इसमें सभी जेंडर बराबर हैं।
जेंडर न्यूट्रल लॉ को लेकर मतभेद क्यों?
सुप्रीम कोर्ट में वकील श्वेतिमा द्विवेदी ने एनबीटी ऑनलाइन से कहा क‍ि आईपीसी की धारा 376 को तो और कड़ा करने की जरूरत है। ये मह‍िलाओं के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। ऐसे में इसमें बदलाव करना या इसे जेंडर न्यूट्रल करना बहुत गलत होगा।
वे आगे कहती हैं, 'मह‍िलाओं के साथ छेड़खानी, रेप जैसे बढ़ते मामलों को देखते हुए ही कानून में कई प्रावधान हैं। आईपीसी की धारा 376 मह‍िलाओं के लिए सुरक्षा कवच की तरह है। अगर सुरक्षा कवच हटा लिया जायेगा तो मह‍िलाओं के ख‍िलाफ अपराध और बढ़ेंगे। आप छेड़छाड़ या रेप के मामलों का रिकॉर्ड देख लीजिए। मह‍िलाएं ही श‍िकायत दर्ज कराती हैं। शायद ही कोई पुरुष हो जो थाने जाकर छेड़छाड़ की श‍िकायत करता है।'

'फिर भी अगर कोर्ट ने टिप्पणी की है तो उन्होंने कुछ तो सोचा होगा। और अगर वे ऐसा करने के लिए सोच रहे हैं तो उसका कोई आधार तो होगा। मह‍िलाओं के प्रति अपराध बढ़ते जा रहे हैं। रिकॉर्ड निकालकर देखा जाना चाह‍िए क‍ि क्या पुरुषों के ख‍िलाफ भी ऐसे में मामले हो रहे हैं। पीड़ितों की संख्या देखी जानी चाह‍िए। हो सकता है क‍ि किसी थाने में आपको ऐसा मामला मिले जिसमें पुरुष ने श‍िकायत दर्ज कराई हो।'
'मह‍िलाएं तो मामला ही दर्ज नहीं करा पातीं। क‍ितने ऐसे मामले होते हैं जिसमें मह‍िला थाने जाती ही नहीं। POCSO ऐक्ट और आईपीसी की धारा 376 का मामला एक दम अलग है। पॉक्सों में लिंगभेद रह‍ित कानून इसलिए है क्योंक‍ि वहां बात बच्चों की है। वहां जो रेप होता है उसे हम सरल शब्दों में विकृति कह सकते हैं। इसी वजह से पॉक्सों ऐक्ट में जेंडर न्यूट्रल है।' श्वेतिमा द्विवेदी आगे कहती हैं।
श्वेतिमा यह भी कहती हैं क‍ि धारा 376 दुष्कर्म पर सजा देने के लिए है न कि झूठे आरोप पर सजा के लिए। इससे झूठे आरोप नहीं रुकेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में फौजदारी मामलों के वकील सौरभ तिवारी केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी से सहमति जताते हुए कहते हैं क‍ि समय और सामाजिक समीकरण के साथ कानून में भी संशोधन किया जाना चाह‍िए। हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ऐसे कई कानूनों में बदलाव भी कर चुकी है। शहरों में पुरुषों के ख‍िलाफ मामले बढ़े हैं। ऐसे में आईपीसी की धारा 376 में बदलाव समय की मांग है।
क्या है आईपीसी की धारा 376
भारतीय दंड संह‍िता (IPC) की धारा 376 के तहत अगर किसी मह‍िला के साथ कोई जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे रेप की श्रेणी में शामिल किया जायेगा। ऐसा करने वा शख्स कानून की नजर में दोषी होगा और उसके ख‍िलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। इस कानून के दुरुपयोग की खबरें लगातार आ रही हैं।