इमामों के चीफ से आरएसएस के चीफ की दूसरी मुलाकात, लग रहे कयास
22 सितंबर 22। दो महीने। दो मुलाकात। क्या इस मुलाकात के कोई सियासी मायने हैं? दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Chief of the RSS) चीफ मोहन भागवत (Mohan Bhagwat News) इन दिनों लगातार मुस्लिम समुदाय के नेताओं से मिल रहे हैं। दावा तो सामान्य मुलाकात का किया जा रहा है लेकिन जब से भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने पसमांदा मुसलमानों की चर्चा छेड़ी है तबसे संघ प्रमुख की हर भेंट के मायने तलाशे जा रहे हैं। सियासी जानकार इसे संघ की बड़ी तैयारी का हिस्सा बता रहे हैं। माना तो ये भी जा रहा है कि संघ में मुस्लिमों को लेकर बड़ा मंथन चल रहा है। भागवत की अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख डॉ उमैर अहमद इलियासी को दो महीने में ये दूसरी मुलाकात थी। तो क्या ये मुलाकात सामान्य थी या मकसद बड़ा था, आइए इसे समझते हैं।
आरएसएस चीफ की मुलाकात सामान्य?
इस बैठक के बारे में जानकारी देते हुए आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि RSS प्रमुख समाज के विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते रहते हैं। यह भी इसी सतत चलनेवाली संवाद प्रक्रिया का हिस्सा है। गौरतलब है कि मुस्लिम समाज से लगातार संपर्क बढ़ाने के अभियान में जुटे RSS चीफ भागवत ने पिछले महीने एक अगस्त को भी अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख डॉ इमाम उमैर अहमद इलियासी के साथ मुलाकात की थी। हाल ही में भागवत ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह से भी मुलाकात कर देश में सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की थी। भागवत से पिछले महीने 22 अगस्त को दिल्ली में मुलाकात करने वाले मुस्लिम बुद्धिजीवियों के उस समूह में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दकी और उद्योगपत्ति एवं समाजसेवी सईद शेरवानी शामिल थे। जानकार मान रहे हैं कि संघ अब बड़े मिशन की तरफ बढ़ रही है। उसका लक्ष्य मुस्लिम समाज के पिछड़े तबके को साधने वाला दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही संघ इसे सामान्य मुलाकात (general meeting purpose)बता रहा है लेकिन इसका मकसद बड़ा है।
भागवत के पुराने बयान से समझिए
2018 में हिंदुत्व पर मोहन भागवत के तीन लेक्चर और उनका महत्वपूर्ण बयान कि सभी भारतीयों का डीएनए एक ही है, धर्म भले ही अलग हो, यह इस तथ्य पर जोर देता है कि हिंदुत्व पॉलिटिक्स मुसलमानों खासतौर से सबसे पिछड़े मुसलमानों को 'वन नेशन वन पीपल' के दायरे में रखने की इच्छुक है। यह एक बड़ी वजह हो सकता है जिसके कारण विवादित 'घर वापसी' प्रोजेक्ट को भी बंद कर दिया गया, जिसका मकसद मुसलमानों को दोबारा हिंदू धर्म में कन्वर्ट कराना था। इस बयान के आगे की योजना भागवत के मुलाकात के बाद साफ होती दिख रही है। भागवत के इलियासी से दो बार मुलाकात के गहरे निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि संघ मुसलमानों को रिझाने की कोशिश में जुटी हुई है।
बीजेपी की कार्यकारिणी में पसमांदा पर चर्चा
बीजेपी की हैदराबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से पसमांदा मुस्लिम समुदायों को सशक्त बनाने के लिए उन तक पहुंचने और पार्टी का जनाधार बढ़ाने की भी बात कही थी। उनकी इस घोषण के बाद पार्टी भगवा दल ने पसमांदा मुसलमानों के लिए लगातार ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करने में जुटी हुई है।
यूपी में मुसलमानों ने दिया बीजेपी को वोट!
दरअसल, भागवत और बीजेपी यूं ही नहीं मुस्लिम सम्मेलन में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में एक सर्वे के मुताबिक बीजेपी को कम से कम 8 प्रतिशत वोट मिले थे। 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में बीजेपी को मिलने वाले मुस्लिम वोट में 1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। ऐसे में संघ इस बड़े हलके को साधने की तैयारी में जुटी हुई है। मिशन 2024 से पहले संघ के इस मेल-मिलाप के मायने तो निकल ही रहे हैं। संघ बीजेपी के लिए एक ऐसा आधार तैयार करने की कोशिश में जुट गई है जिसके जरिए 2024 के समर को पार पाया जा सके। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि भागवत और इलियासी की बैठक में धार्मिक सौहार्द की चर्चा की गई। इसके अलावा ज्ञानवापी, हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर भी बातचीत की गई है।