सैनिटरी पैड्स में हानिकारक रसायन, स्वास्थ्य के लिए हो सकते हैं ख़तरनाक

सैनिटरी पैड्स में हानिकारक रसायन, स्वास्थ्य के लिए हो सकते हैं ख़तरनाक
नैपकिन में पाए जाने वाला एक चिंताजनक रसायन वीओसी भी है। ये रसायन हवा में आसानी से वाष्पित हो जाते हैं। इनका इस्तेमाल ज्यादातर पेंट, डिओडोरेंट, एयर फ्रेशनर, नेल पॉलिश, कीटनाशक, ईंधन और ऑटोमोटिव उत्पादों में होता है और उनमें से कुछ सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। सैनिटरी नैपकिन में इन्हें सुगंध के लिए प्रयोग किया जाता है।

23 नवंबर 22।  नई दिल्ली के एक गैर-लाभकारी संगठन-टॉक्सिक्स लिंक के एक अध्ययन ने बताया है कि भारत में बेचे जाने वाले सैनिटरी नैपकिन के अधिकांश लोकप्रिय ब्रांड में हानिकारक रसायन होते हैं।

सोमवार, 21 नवंबर को जारी किए गए अध्ययन में पाया गया कि देश में इन रसायनों के उपयोग को सीमित करने के लिए किसी अनिवार्य नियम के अभाव में निर्माता मुश्किल से उन दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभावों पर ध्यान देते हैं जो इन रसायनों के चलते महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ते हैं।

‘रैप्ड इन सीक्रेसी’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट एक विस्तृत जांच पेश करती है जो शोधकर्ताओं ने दो विशिष्ट रसायनों- थैलेट्स और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड- वीओसी) की मौजूदगी का पता लगाने के लिए की थी।

थैलेट्स का उपयोग विभिन्न उत्पादों में प्लास्टिसाइज़र के रूप में किया जाता है। प्लास्टिसाइज़र वो रसायन होते हैं जो उत्पाद को नरम, लचीला बनाने और सतह पर इसके घर्षण को कम करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इन्हें लगभग एक सदी से विभिन्न प्लास्टिक उत्पादों में उपयोग किया जाता रहा है।

रिपोर्ट के लेखकों का दावा है कि उनका उपयोग सैनिटरी पैड में उनकी विभिन्न परतों को जोड़ने और उनकी इलास्टिसिटी (लोच) बढ़ाने के लिए किया जाता है। शोधकर्ताओं ने बाजार में उपलब्ध 10 विभिन्न प्रकार के सैनिटरी पैड- ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक – को जांचा। उन्होंने रिपोर्ट में इनमें से हर एक उत्पाद के लिए मिली थैलेट और वीओसी की मात्रा को अलग-अलग पेश किया है।

रिपोर्ट बताती है कि भारत में सबसे अधिक बिकने वाले दो सैनिटरी पैड में छह प्रकार के थैलेट होते हैं। थैलेट्स की कुल मात्रा 10 से 19,600 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम तक थी और इन उत्पादों में कुल 12 तरह के अलग-अलग थैलेट पाए गए।

25 प्रकार के वीओसी जांचने के लिए दस सैनिटरी नैपकिन उत्पादों का टेस्ट किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 25 वीओसी में से  दिमागी कामकाज को प्रभावित करने से लेकर त्वचा की सूजन, एनीमिया, लीवर और किडनी की कमजोरी से लेकर थकान और बेहोशी तक कई हानिकारक प्रभाव देखे जा सकते हैं।

टॉक्सिक्स लिंक के शोधकर्ताओं ने सभी जांचे गए उत्पादों में वजन [उत्पाद के] के अनुसार 1-690 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम की सीमा में वीओसी का पता लगाया। दो सबसे लोकप्रिय उत्पादों में 14 वीओसी पाए गए। कुछ ऑर्गनिक पैड में इनऑर्गेनिक की तुलना में अधिक वीओसी मिले।

भारत में सैनिटरी उत्पादों में रसायनों की मौजूदगी को विनियमित करने के लिए कोई कानून नहीं है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) 1980 सोखने वाली सतह और पैड की बनावट को लेकर बहुत ही बुनियादी टेस्ट की बात कहता है, लेकिन प्रयुक्त हुए अवयवों की विषाक्तता (toxicity) को जांचने की कोई शर्त या प्रक्रिया निर्धारित नहीं है।