व्लादिमीर पुतिन की ‘रूसी दुनिया’ में भारत को मिलेगा अहम स्थान!

व्लादिमीर पुतिन की ‘रूसी दुनिया’ में भारत को मिलेगा अहम स्थान!
रूस की नई नीति कहती है कि देश के नेतृत्व को स्लाविद देशों, चीन और भारत के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए और मध्य पूर्व, दक्षिण अमेरिका व अफ्रीका के साथ अपने संबंध और मजबूत करने चाहिए।

6 सितंबर 22।   रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Russian President Vladimir Putin) ने एक नए विदेश नैतिक सिद्धांत की घोषणा की है जो ‘रूसी दुनिया' की अवधारणा (Russian world concept)पर आधारित है। यह अवधारणा रूस के दक्षिणपंथी विचारक लगातार इस्तेमाल करते रहे हैं जिसके आधार पर दुनिया में रूसीभाषी लोगों के समर्थन के नाम पर अन्य देशों में रूस का दखल जायज ठहराया जाता है।

पुतिन ने 31 पन्नों का एक दस्तावेज जारी किया है जिसे "मानवता नीति” कहा गया है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के छह महीनेके बाद जारी यह दस्तावेज कहता है कि रूस को "रूसी दुनिया के विचारों और परंपराओं की” रक्षा करनी चाहिए और उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए।

दस्तावेज में लिखा है, "रशियन फेडरेशन विदेशों में रहने वाले अपने हमवतनों को उनके अधिकार हासिल करने में, हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में और रूसी सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण में समर्थन देता है।” यह नीति-दस्तावेज कहता है विदेशी जमीन पर बसे रूसियों के साथ संबंधों ने रूस को "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसे लोकतांत्रिक देश के रूप में छवि मजबूत करने में मदद की है जो एक बहुपक्षीय दुनिया बनाने के लिए प्रयासरत है।”

व्लादिमीर पुतिन सोवियत संघ के विघटन को एक त्रासदी मानते रहे हैं और कहते रहे हैं कि रूसी मूल के ढाई करोड़ लोगों का रूस से बाहर हो जाना दुखद था। 1991 में सोवियत संघ टूटकर 11 मुल्कों में बंट गया था, जिसे पुतिन "भोगौलिक तबाही” बताते हैं।

क्या कहती है नीति?

रूस में ऐसे दक्षिणपंथी लोगों की बड़ी तादाद है जो आज भी पूर्व सोवियत संघ के भोगौलिक क्षेत्र, यानी बाल्टिक सागर से लेकर मध्य एशिया तक की जमीन पर अपना जायज अधिकार मानते हैं। हालांकि इस क्षेत्र में बने देश और पश्चिमी दुनिया इस अधिकार को नाजायज कहती है।

रूस की नई नीति कहती है कि देश के नेतृत्व को स्लाविद देशों, चीन और भारत के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए और मध्य पूर्व, दक्षिण अमेरिका व अफ्रीका के साथ अपने संबंध और मजबूत करने चाहिए। नीति दस्तावेज कहता है कि जॉर्जिया के दो इलाकों अबखाजिया, ओसेतिया और यूक्रेन के दो क्षेत्रों स्वयंभू दोनेत्स्क पीपल्स रिपब्लिक और लुहांस्क पीपल्स रिपब्लिक के साथ भी संबंधों को मजबूत करना चाहिए।

2008 में रूस और जॉर्जिया के बीच युद्ध हुआ था और तब रूस ने अबखाजिया और ओसेतिया को स्वतंत्र देश का दर्जा दे दिया था। ऐसा ही कुछ यूक्रेन में हो रहा है, जहां के दो क्षेत्रों दोनेत्स्क पीपल्स रिपब्लिक और लुहांस्क पीपल्स रिपब्लिक को रूस ने स्वतंत्र घोषित कर रखा है।

‘रूसी दुनिया' का ऐतिहासिक वजूद

दुनिया के कई विशेषज्ञ मानते हैं कि  "बीसवीं सदी की शुरुआत में रूसी दुनिया असल में रूसी साम्राज्य जितनी थी। उसकी आबादी 170 मिलियन थी जबकि धरती की आबादी एक अरब थी। यानी ग्रह पर रहने वाला हर सातवां व्यक्ति रूसी साम्राज्य में रहता था। आज देश की आबादी 142 लाख है जबकि धरती की आबादी छह अरब हो चुकी है। यानी हर 50वां व्यक्ति रूसी है।”

यिलगे कहते हैं कि ‘रूसी दुनिया' का यह विचार तब राजनीतिक रूप से आक्रामक हो गया जब इसमें ‘न्यू रशिया' के विचार को मिला दिया गया। ‘न्यू रशिया' को रूस ने क्रीमिया पर कब्जा करने के दौरान इस्तेमाल और प्रचारित किया था। उसी की बढ़त पहले जॉर्जिया और फिर यूक्रेन के क्षेत्रों को स्वतंत्रता के लिए समर्थन देने के रूप में रूसी विदेश नीति में दिखती है।