आजादी के 75 साल बाद भी गुलामी की निशानी को ढो रहा विमानन उद्योग

भारतीय विमानों को ब्रिटिश सरकार ने इस कॉल साइन VT (विक्टोरियन और वायसराय टेरेटरी) को वर्ष 1927 में लिया था, अंग्रेज भले ही 1947 में देश छोड़ गए हो, लेकिन आज भी अंतर्राष्ट्रीय विमानन उद्योग में भारतीय विमानों का रजिस्ट्रेशन नंबर VT (विक्टोरियन और वायसराय टेरेटरी) से शुरू होता है।

आजादी के 75 साल बाद भी गुलामी की निशानी को ढो रहा विमानन उद्योग
काफी लंबे समय से हवाई जहाज के ऊपर लिखे गए कॉल साइन VT को बदलने की मांग की जा रही है, बता दें कि VT कॉल साइन देश के सभी हवाई जहाज के ऊपर लिखा होता है और  VT कोड के बाद ही अन्य जानकारियां रहती हैं।

26 जून 22। भले ही भारत को 75 साल पहले अंग्रेजों से आजादी मिल गई हो, लेकिन विमानन जगत में आज भी भारत की पहचान (VT) ‘वायसराय टेरेटरी’के तौर पर होती है। इसकी वजह है भारतीय विमानों का रजिस्ट्रेशन नंबर। दरअसल, विमान की पहचान सुनिश्चित करने के लिए इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) सभी देशों को एक कोड देता है।

भारतीय विमानों को ब्रिटिश सरकार ने इस कॉल साइन VT (विक्टोरियन और वायसराय टेरेटरी) को वर्ष 1927 में लिया था, अंग्रेज भले ही 1947 में देश छोड़ गए हो, लेकिन आज भी अंतर्राष्ट्रीय विमानन उद्योग में भारतीय विमानों का रजिस्ट्रेशन नंबर VT (विक्टोरियन और वायसराय टेरेटरी) से शुरू होता है।

काफी लंबे समय से हवाई जहाज के ऊपर लिखे गए कॉल साइन VT को बदलने की मांग की जा रही है, बता दें कि VT कॉल साइन देश के सभी हवाई जहाज के ऊपर लिखा होता है और  VT कोड के बाद ही अन्य जानकारियां रहती हैं।

हाल ही में एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भारतीय विमानों पर लिखे गए कॉल साइन कोड VT को बदलने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है। उपाध्याय का कहना है कि यह कोड विक्टोरियन टेरिटरी और वायसराय टेरिटरी (ब्रिटिश राज की विरासत) से संबंधित है। साथ ही यह कोड संप्रभुता, कानून के शासन (अनुच्छेद 14), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19) और गरिमा का अधिकार (अनुच्छेद 21) के विपरीत है।

इससे पूर्व अगस्त 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत में पंजीकृत विमान के देश कोड (VT) में बदलाव की मांग को खारिज कर दिया था, याचिकाकर्ता विजयपत सिंघानिया ने मांग की थी कि स्वतंत्रता से पहले वीटी भारत के लिए कोड (VT) था जो कि अंग्रेजों के औपनिवेशिक दमन का संकेत था और इस प्रकार इसे बदला जाना चाहिए।

जहां फिजी, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देश अपना कंट्री कोड बदल चुके हैं, वहीं नागरिक उड्डयन मंत्रालय इसे फिजूलखर्च और गैर जरूरी मानता है।  संसद में बीजेपी के सांसद हरीश द्विवेदी के एक सवाल के जवाब में उड्डयन मंत्रालय ने जानकारी दी है कि ये कहना आसान है, लेकिन करना आसान नहीं है।

इस मामले पर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री, जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) का कहना है कि वीटी कॉल साइन बदलने पर सभी दस्तावेजों को फिर से जारी करना पड़ेगा। इसके अलावा हवाई जहाज का रंग भी बदलना होगा। उन्होंने कहा कि सभी चिह्नों को बदलने तक हवाई जहाज उड़ान नहीं भर सकते हैं और प्रक्रिया पूरी तक विमान जमीन पर खड़ा रहेगा जिसका काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

बरहाल देखने की बात ये है कि एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट और भारत सरकार क्या रुख करती है।