एनआईए कोर्ट का फैसला- हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन व यासीन मलिक सहित 15 के खिलाफ आरोप तय

टेरर फंडिंग केस की सुनवाई : राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत के जज ने जम्मू-कश्मीर में साल 2017 की आतंकवादी एवं अलगाववादी गतिविधियों को ‘सुनियोजित साजिश’ करार दिया

एनआईए कोर्ट का फैसला- हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन व यासीन मलिक सहित 15 के खिलाफ आरोप तय

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की विशेष अदालत ने टेरर फंडिंग केस की सुनवाई की। एनआईए कोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन सहित जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम समेत 15 के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया भी है, जिस पर भारतीय वायुसेना के 4 कर्मियों की हत्या के आरोप में भी केस चल रहा है। एनआईए की विशेष अदालत के जज जस्टिस परवीन सिंह ने जम्मू-कश्मीर में साल 2017 की आतंकवादी एवं अलगाववादी गतिविधियों को ‘सुनियोजित साजिश’ करार दिया। जस्टिस सिंह के अनुसार इस साजिश का मास्टरमाइंड सीमा पार पाकिस्तान में बैठा था और आईएसआई के इशारों पर काम कर रहा था।

कोर्ट ने कहा- साजिशकर्ताओं का मकसद था रक्तपात मचाकर जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करना
एनआईए कोर्ट ने कहा कि साजिशकर्ताओं का मकसद जम्मू-कश्मीर में रक्तपात, हिंसा, तबाही और विनाश मचाकर उसे भारत से अलग करना था। घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने में इन घटनाओं ने अहम भूमिका निभाई। इन साजिशों में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के साथ यासीन मलिक, मसरत आलम, शब्बीर शाह शामिल थे। एनआईए कोर्ट ने कहा कि घोषित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और 2008 मुंबई बम धमाकों के आरोपी हाफिज सईद ने भी भारत में आतंकी फंडिंग के लिए पैसा भेजा गया था।

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने आतंकी संगठनों के साथ रची थी साजिश : एनआईए कोर्ट 
एनआईए कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की ओर से तर्क दिया गया है कि गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि, प्रथम दृष्टया सबूत कुछ और ही कहते हैं। विरोध न केवल हिंसक थे बल्कि उनका इरादा हिंसक होना था। इनका उद्देश्य सरकार को डराना और किसी विद्रोह की योजना से कम नहीं था। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए आतंकी संगठनों के साथ साजिश रची थी। इसमें हाफिज मुहम्मद सईद, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, फारूक अहमद डार, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद बट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, मसरत आलम, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर शामिल हैं।

जनवरी 1990 में यासीन मलिक ने की थी वायुसेना के 4 अफसरों की हत्या
गौरतलब है कि यासीन मलिक अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष और पाकिस्तान का पिट्ठू अलगाववादी नेता है। उस पर कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान समेत भारत विरोधी अन्य देशों से फंडिंग प्राप्त करने का आरोप है। जम्मू-कश्मीर में 1990 में हिंदुओं पर क्रूर हिंसा करने और उनके पलायन का आरोप भी यासीन मलिक पर है। जनवरी 1990 में वायुसेना के 4 अधिकारियों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप यासीन मलिक पर ही है।