द्वितीया तिथि लगते ही भाईदूज शुरू, कायस्थ समाज ने किया भगवान चित्रगुप्त का पूजन

रविवार सुबह भी मनाई जाएगी भाई दूज

द्वितीया तिथि लगते ही भाईदूज शुरू, कायस्थ समाज ने किया भगवान चित्रगुप्त का पूजन

ग्वालियर। होली की भाईदूज को लेकर लोगों में भ्रम है कि यह कब मनाना है। कैलेंडर में भाईदूज का पर्व 20 मार्च को दर्शाया गया है जबकि कुछ जगह 19 मार्च यानी शनिवार का जिक्र है। यदि तिथि के अनुसार बात करें तो यह दोनों दिन ही भाईदूज हैं। दरअसल द्वितीया शनिवार को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर प्रारंभ हो रही है जो रविवार सुबह 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। ऐसे में शनिवार को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट के बाद भाईदूज मनाई जा सकती है। भाईदूज पर कायस्थ समाज भगवान चित्रगुप्त का पूजन अर्चन करता है। अतः जो लोग चित्रगुप्त का पूजन करना चाहते हैं वे शनिवार को द्वितीया तिथि के शुरू होने के बाद पूजन कर सकते हैं। वहीं यह पूजन रविवार को सुबह 11 बजकर 10 मिनट से पहले भी किया जा सकता है। हालांकि ज्योतिषचार्यों के अनुसार सूर्य उदय के समय की तिथि मान्य होती है इस लिहाज से 20 मार्च रविवार को भाईदूज पूजन करना ज्यादा उचित है। इसके बाद द्वितीया तिथि समाप्त हो जाएगी। अतः भाईदूज का पूजन शनिवार को दोपहर 12.10 बजे के बाद से रविवार को सुबह 11.10 बजे तक किया जा सकता है।


चित्रगुप्त पूजनः भाईदूज वर्ष में दो बार मनाया जाता है। दीपावली के तीसरे दिन और होली दूसरे दिन। इस दिन कायस्थ समाज के लोग अपने आराध्य भगवान चित्रगुप्त के साथ कलम-दवात का पूजन करते हैं।  पूर्ण श्रद्धा के साथ चित्रगुप्त भगवान को भोग अर्पित किया जाता है। वहीं अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ग्वालियर ने चित्रांश बंधुओं के साथ शनिवार को सुबह 10 बजे  मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर फूलबाग पर एकत्रित होकर मंदिर में स्थापित भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा का पूजन अर्चन किया। इस दौरान कायस्थ बंधुओं ने यज्ञ किया और अपने आराध्य चित्रगुप्त का श्रद्धापूर्वक पूजन किया। इस अवसर पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ग्वालियर के राष्ट्रीय सचिव शशिकांत भटनागर, जिला अध्यक्ष राकेश सक्सेना, जिला युवा अध्यक्ष अमित सक्सेना, जिला महामंत्री देवशरण श्रीवास्तव, युवा महामंत्री राजीव श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष रविन्द्र श्रीवास्तव, दीप श्रीवास्तव, संदीप श्रीवास्तव, सुरेन्द्र श्रीवास्तव, युवा वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेंद्र श्रीवास्तव, प्रदीप भटनागर, हेमंत भटनागर, जिला अध्यक्ष विधि प्रकोष्ट अभिभाषक चंद्रेश श्रीवास्तव, सौम्या श्रीवास्तव, प्रान्जुल भटनागर, तान्या भटनागर एवं वंशिका भटनागर आदि मौजूद रहे।

क्यों मनाया जाता है भाईदूज का पर्वः पौराणिक कथा के अनुसार  यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि वह उसके घर आकर भोजन करें। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने यमराज को भोजन के लिए आमंत्रित किया। जब भाई यमराज यमुना के घर पहुंचे तो वह अति प्रसन्न हो गईं। प्रेमभाव के साथ उन्होंने यमराज का स्वागत किया उनको भोजन कराया। अपनी बहन के सत्कार और प्रेम को देखकर यमराज काफी प्रसन्न हो गए। उन्होंने बहन से वर मांगने को कहा। यमुना ने भाई से वरदान मांगते हुए कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करें तथा इस दिन जो बहन अपने भाई का आदर सत्कार करे तथा मस्तक पर टीका करके भोजन कराए, उसे आपका भय न रहे। यमराज ने यह वरदान दे दिया। मान्यता है कि उसी दिन से भाईदूज का पर्व मनाया जाने लगा। कहा जाता है कि जो भाई इस दिन श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें यम का भय नहीं रहता।