कानून मंत्री बोले- राजद्रोह कानून पर रोक के फैसले ने पहुंचाया आघात

कानून मंत्री बोले- राजद्रोह कानून पर रोक के फैसले ने पहुंचाया आघात
ज्ञात हो कि केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने बीते माह भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का ‘मुखपत्र’ माने जाने वाले ‘पांचजन्य’ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका के लिए समान शब्दों का इस्तेमाल किया था और कहा था कि न्यायपालिका कार्यपालिका में हस्तक्षेप न करे।

7 नवंबर 22।  केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि वे इस साल के शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजद्रोह कानून पर रोक लगाने के फैसले से दुखी थे।

मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में रिजिजू ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि सरकार ने अदालत को सूचित कर दिया था कि वह कानून में बदलाव पर विचार कर रही है, सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून को स्थगित करने का फैसला किया।

कानून मंत्री सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के आदेश के संदर्भ में बात कर रहे थे। उक्त आदेश में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने कानून की समीक्षा तक राजद्रोह मामलों की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।

पीठ ने कहा था, ‘हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी एफआईआर को दर्ज करने, जांच जारी रखने या आईपीसी की धारा 124ए के तहत जबरदस्ती कदम उठाने से तब तक परहेज करेंगी, जब तक कि यह पुनर्विचार के अधीन है। यह उचित होगा कि इसकी समीक्षा होने तक कानून के इस प्रावधान का उपयोग न किया जाए।’

बहरहाल, कानून मंत्री रिजिजू ने आगे कहा कि अगर सरकार इस विषय पर अड़ी होती तो न्यायपालिका ने उसे कड़ी फटकार लगाई होती, हालांकि जब सरकार ने पहले ही कह दिया था कि वह कानून की समीक्षा कर रही है तो शीर्ष अदालत को आदेश नहीं देना चाहिए था, क्योंकि यह ‘अच्छी बात नहीं थी।’

उन्होंने आगे कहा कि हर किसी के लिए एक लक्ष्मण रेखा होती है और उसे राष्ट्रहित में लांघना नहीं चाहिए।