“मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य को 80 लाख रुपये के चोरी के आभूषण के लिए पूरी तरह से मुआवजा देने का आदेश दिया, जो ग्वालियर पुलिस द्वारा जब्ती के बाद कोषालय से गुम हो गया था”
“जहां संपत्ति चोरी हो गई है, खो गई है या नष्ट हो गई है और कोई प्रथम दृष्टया बचाव नहीं किया गया है कि राज्य या उसके अधिकारियों ने उचित देखभाल और सावधानी बरती है, मजिस्ट्रेट संपत्ति के मूल्य के भुगतान का आदेश दे सकता है।”
यहाँ है मामला :-
दरअसल वर्ष 1998 में सुनार रमेश चंद्र गोयल के घर डकैती पड़ी थी। डकैतों ने रमेश व उनकी पत्नी बसंती की हत्या कर सोना-चांदी व नगदी लूट ली थी। ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने इस सनसनी खेज़ वारदात का खुलासा कर एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया था, लूटे गये सोना-चांदी बरामद कर नियम अनुसार मोतीमहल मालखाने में जमा करा दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं रुचि अग्रवाल वा अन्य ने निचली अदालत में गहने जारी करने के लिए एक आवेदन दिया। उक्त आवेदन को स्वीकार करते हुए निचली अदालत ने निर्देश दिया था कि खजाने से आभूषण मंगवाए जाएं और सौंपने से पहले उनका मूल्यांकन किया जाए।
2017 में हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद मोती महल स्थित कोषालय (ट्रेजरी) के मालखाने से सोने-चांदी से भरा बाक्स मंगाया। उसे खोला गया तो बाक्स से सोना चांदी गायब मिला। जज भी हैरान रह गए। क्योंकि जिन पैकेट में जेवर रखे हुए थे, वे ख़ाली निकले,आनन फ़ानन पड़ाव थाने में FIR दर्ज कराई गई। जिला न्यायालय ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि जेवर लौटाने में समय लगेगा। क्योंकि बाक्स से सोना-चांदी गायब हो गया है। हाईकोर्ट ने पुलिस को शीघ्र जांच खत्म करने के निर्देश दिए, लेकिन पुलिस भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल सकी, पुलिस और प्रशासन के ढुलमुल जवाब से नाखुश कोर्ट ने कहा जेवर शासन की निगरानी में थे। मालखाने से गायब हुए हैं। (Ornament stolen from treasury or malakhana) लौटाने की जिम्मेदारी भी शासन की है। इसलिए कलेक्टर याचिकाकर्ताओं को 80 लाख रुपये अदा करे।(state government to compensate for stolen ornaments in custody)