प्लास्टिक चबाने वाले कीड़े की हुई खोज, रीसाइक्लिंग की दिक्कत हो सकती है दूर

ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने ज़ोफोबास मोरियो नाम के कीड़े को खाजा है। इसे आमतौर पर सुपरवॉर्म के रूप में जाना जाता है। ये मूल रूप से पॉलीस्टाइनिन खाकर जीवित रह सकता है। रिसर्चर्स का कहना है कि प्लास्टिक खाने वाले कीट लार्वा की प्रजाति प्लास्टिक रीसाइक्लिंग में क्रांति लाने में मदद कर सकती है।

प्लास्टिक चबाने वाले कीड़े की हुई खोज, रीसाइक्लिंग की दिक्कत हो सकती है दूर
सुपरवॉर्म की आंत में कई एंजाइम पाए, जो पॉलीस्टाइनिन और स्टाइरीन को खत्म करने की क्षमता रखते हैं। लेकिन इस रिसर्च से बड़े पैमाने पर कृमि फार्म बनने की संभावना नहीं है, जो रीसाइक्लिंग प्लांट के लिए जरूरी है।

10 जून 22। दुनिया में हर साल 30 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है जिसके निपटारे को लेकर साइंटिस्ट्स परेशान थे। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की एक टीम ने इसका हल ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे कीड़े की खोज की है, जो प्लास्टिक को खाकर खत्म कर सकता है।
इस रिसर्च टीम में शामिल डॉक्टर क्रिस रिंकी ने कहा, “सुपरवॉर्म मिनी रीसाइक्लिंग प्लांट की तरह होते हैं, जो पॉलीस्टाइनिन को अपने मुंह से काटते हैं और फिर इसे अपने आंत में मौजूद बैक्टीरिया को खिलाते हैं।”
क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी की टीम ने तीन सप्ताह में सुपरवॉर्म के तीन समूहों को अलग-अलग आहार दिए। इनमें से पॉलीस्टाइनिन खाने वाले समूह का वजन भी बढ़ गया।
टीम ने सुपरवॉर्म की आंत में कई एंजाइम पाए, जो पॉलीस्टाइनिन और स्टाइरीन को खत्म करने की क्षमता रखते हैं। लेकिन इस रिसर्च से बड़े पैमाने पर कृमि फार्म बनने की संभावना नहीं है, जो रीसाइक्लिंग प्लांट के लिए जरूरी है। लिहाजा वैज्ञानिक यह पहचानने में लगे हैं कि इन कीड़ों में कौन सा एंजाइम सबसे प्रभावी है, ताकि रीसाइक्लिंग के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सके।
बता दें कि पूरी दुनिया में हर साल 300 मिलियन टन प्लास्टिक का निर्माण और उत्पादन किया जाता है। यूरोप में पूरी दुनिया का 26 प्रतिशत (6।6 मिलियन टन) प्लास्टिक उत्पादन होता है। वहीं 38 प्रतिशत प्लास्टिक जमीन में दबा दिया जाता है। अमेरिका में साल 2012 में उपभोग की जा चुकी प्लास्टिक में से केवल नौ प्रतिशत (2।8 मिलियन टन) को रिसाइकिल किया गया था। बाकी बची 32 मिलियन टन प्लास्टिक को कचरे में फेंक दिया गया था।
माइक्रोबियल जीनोमिक्स में प्रकाशित रिसर्च में कहा गया है कि एंजाइम के साथ प्रयोग करने से पहले प्लास्टिक को कुछ जगहों से काट दिया जाएगा। रिसर्च में कहा गया है कि यह कीड़ा प्लास्टिक की रासायनिक संरचना को तोड़ देता है और इस तरह के 100 कीड़े 92 मिलीग्राम पॉलीथीन को 12 घंटे में खत्म कर सकते हैं। इसकी मदद से प्लास्टिक के कारण होने वाले प्रदूषण की समस्या कम हो सकेगी।