दुष्कर्म के मामलों में पुलिस कर रही है ब्लैकमेल !

आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने लगाए गंभीर आरोप, शिकायती आवेदन में अफसरों से की दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग

दुष्कर्म के मामलों में पुलिस कर रही  है ब्लैकमेल !
ग्वालियर। महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस दावे तो कई करती है, लेकिन महिलाओं से जुडे 376 जैसे संवेदनशील मामलों में पुलिस द्वारा न केवल लापरवाही बरती जाने बल्कि ब्लैकमेल किए जाने के भी गंभीर आरोप पुलिस महानिरीक्षक अनिल शर्मा और एसएसपी अमित सांघी को दिए गए दो शिकायती आवेदन में लगाए गए हैं। 

  ये हैं दो मामले: पहले प्रकरण में आरटीआई एक्टिविस्ट व सामाजिक कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी ने पुलिस महनिरीक्षक और एसएसपी, ग्वालियर को एक आवेदन भेजा है। इस शिकायती आवेदन में आशीष चतुर्वेदी ने डबरा थाना की तत्कालीन उप-निरीक्षक सुमन पालिया, पर बेहद गंभीर आरोप लगाए है। आशीष चतुर्वेदी के अनुसार उन्हें लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि ग्वालियर जिले के कई थानों में पुलिस अफसरों द्वारा फर्जी 376 के प्रकरणों का रैकेट चलाया जा रहा है, जिसमें फरियादियों और पुलिस अफसरों द्वारा सांठगांठ कर कई स्थानों पर दुष्कर्म की घटना दर्शाकर शून्य पर कायमी की जाती है, वहीं कई मामलों में घटनास्थल या आसपास मौजूद लोगों को मामले में फंसाने की धमकी देकर अवैध वसूली करने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने शिकायती आवेदन में आरोप लगाया है कि डबरा थाने में 2 जून 2021 में शून्य में दर्ज किए गए एक प्रकरण में धारा 376, 376 ;2-एन, 323 व 506 जिसका रोजनामचा प्रविष्टि क्रमांक 027 में घटनास्थल हरियाणा दर्शाया गया। आशीष का कहना है कि उक्त मामले में तत्कालीन उपनिरीक्षक सुमन पालिया, थाना डबरा ने फरियादिया के 164 के कथन न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डबरा के समक्ष दर्ज कराए गए। अपने कथन में उक्त महिला ने शून्य पर केस दर्ज होने के 24 घंटे बाद ही उसके साथ ऐसी कोई घटना होने से इनकार कर दिया। आशीष का आरोप है कि तत्कालीन उपनिरीक्षक सुमन पालिया ने 376 जैसे मामले में 164 दिन बाद एफआईआर की, फिर जांच के नाम पर लीपापोती कर प्रकरण क्लोज कर दिया। उनका आरोप है कि एमएलसी में जब्तशुदा सामान की भी कोई एफएसएल जांच नहीं कराई गई। ऐसे में उपनिरीक्षक सुमन पालिया का उपरोक्त कृत्य पुलिस रेगुलेशन, सीआरपीसी के प्रावधानों के विपरीत है। 
वहीं विश्वविद्यालय थाना की  महिला उप निरीक्षक सुरुचि शिवहरे पर भी आशीष ने ऐसा ही एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उप निरीक्षक शिवहरे ने अपराध क्र.31/22 घारा 376, 506, 34 गैंगरेप के अपराध में मिथ्या रूप से दो लोगों को फंसाये जाने की धमकी देकर अवैध वसूली एवं ब्लैकमेलिंग की गई, जिसके सबंध मे पीड़ितों ने मुझसे मदद मांगी। इस मामले मे ग्वालियर में पुलिस विभाग मे पदस्थ उप-निरीक्षक स्तर के पुलिसकर्मियों से भी लगातार ब्लैकमेलिंग की गई। मेरे द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को जब इसकी जानकारी दी गई तो जांच अधिकारी द्वारा घटना से जुड़े साक्ष्य मिटाए गए, जिसकी जानकारी भी मेेरे द्वारा अधिकारियों को दी गई। इसके बाद सुरुचि शिवहरे ने मेरे मोबाइल पर फरियादिया का रिकॉर्डेड वीडियो वाटसएप पर 1 फरवरी को सुबह 11 बजे भेजा, जिससे फरीयादिया की पहचान उजागर की गई है, जबकि विधि अनुसार इस प्रकार दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करना गंभीर आपराधिक कृत्य है। प्रकरण में विवेचना के लिए आवश्यक तथ्य यह भी है कि वीडियो में पीड़िता भोपाल के पुलिस अधिकारी के संबंध में भी बोल रही है। अपने शिकायती आवेदन में आशीष का कहना है कि उपरोक्त वर्णित प्रकरणों के दस्तावेज एवं तकनीकी साक्ष्य की जानकारी से स्पष्ट है कि ऐसे प्रकरणों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों के क्रम में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एडवायजरी का भी उल्लंघन किया गया है। साथ ही साक्ष्य मिटाए जाने का अपराध भी कारित किया गया है। गौरतलब है कि इस मामले में मनोहर साहू पुत्र रामकरण साहू उम्र 27 साल निवासी ग्राम चुरली, टेकनपुर एवं उपनिरीक्षक ब्रजेन्द्र सिंह भदौरिया प्रभारी टेकनपुर चौकी ने भी गत 26 जनवरी को सिटी सेंटर स्थित होटल रिवाज में हुए एक गैंगरेप प्रकरण में उनको झूठा फंसाने की धमकी देने का आरोप यूनिवर्सिटी थाना में पदस्थ एसआई सुरुचि शिवहरे पर लगाया है। इस संबंध में मनोहर साहू और ब्रजेन्द्र सिंह ने पुलिस महानिरीक्षक को शिकायती आवेदन देकर जांच कराए जाने की मांग की है।

फाइल फोटो
आशीष ने आईजी से मांग की है कि उक्त शिकायत पर संज्ञान लेकर प्रकरण की जांच के लिए एक समिति बनाई जाए एवं ग्वालियर जिले में पिछले एक वर्ष में दर्ज 376  के उन प्रकरणों का परीक्षण कराया जाए, जिनमें शून्य पर अपराध दर्ज होने के कई दिनों बाद असल कायमी की/कराई गई, कितने मामलों में जांचकर्ता द्वारा एफआर हेतु प्रतिवेदन भेजा गया, कितने प्रकरणों में संदिग्ध भूमिका के आधार पर जांच अधिकारी परिवर्तित किए गए तथा ऐसे कितने जांच अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई।
उक्त दोनो प्रकरणों में द लीड स्टोरी ने डबरा थाना की तत्कालीन उप निरीक्षक सुमन पालिया और थाना विश्वविद्यालय की महिला उप-निरीक्षक सुरुचि शिवहरे से भी बात की। शिकायकर्ता के आरोपों पर डबरा थाना की तत्कालीन एसआई सुमन पालिया का कहना है कि उस समय कोरोना काल के कारण सीमाएं सील होने से हरियाणा जाना संभव नहीं था, डीपीओ साहब से सलाह लेकर इस प्रकरण में डीआर लगाई गई थी। केस डायरी डीपीओ साहब एवं एसपी के पास भी गयी थी।
वहीं विश्वविद्यालय थाना की एसआई सुरुचि शिवहरे का कहना है यदि  शिकायत का आवेदन दिया है तो अभी जाँच होगी, शिकायत कर्ता से साक्ष्य मांगिये। इस मामले की जाँच अब वो नहीं महिला थानाप्रभारी कर रही हैं। फरियादी युवती के बयान का वीडियो व्हाट्सएप करने के सवाल पर उनका कहना है कि वो उन लोगों ने ही मेरे मोबाइल से वीडियो देखने के बहाने सेंड कर दिया था।
इस मामले में आरोप लगाने वाले टेकनपुर थाने के प्रभारी बृजेंद्र भदौरिया से बात करने पर उन्होंने बताया कि थाना विश्वविद्यालय  की एसआई सुरुचि शिवहरे उन्हें इस मामले में जबरदस्ती फंसा रही हैं और उनसे ब्लैकमेलिंग की जा रही है। इस मामले में उन्होंने आवेदन देकर वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की है साथ ही यह भी कहा कि रिवाज होटल की घटना में सीसीटीवी फुटेज मैं यह स्पष्ट हो जाएगा कि जब घटना घटी तब मैं वहां नहीं था।
आशीष चतुर्वेदी द्वारा की गई शिकायत पर ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने कहा कि उनके द्वारा शिकायत संज्ञान में आई है, उसकी हम जाँच करा लेंगे, उसके बाद जो तथ्य आएंगे, उन्ही तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।