नेपाल में राजनीतिक संकट गहरायाः पीएम ओली ने लिया संसद भंग करने का फैसला
विरोध में हो रहा जगह-जगह प्रदर्शन, कोर्ट में याचिकाओं की लगी भरमार, भारत का कोई बयान नहीं आया है
नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद भंग करने का फैसला लिया है, जिसके विरोध में नागरिक जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। कोर्ट में याचिकाओं की भरमार लगी है। पड़ोसी मुल्क नेपाल में राजनीतिक तौर पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कोरोनाकाल के बीच में शुरू हुआ राजनीतिक संकट अब सरकार के अंत तक पहुंच गया है. बीते दिन नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नेपाली संसद को भंग करने की सिफारिश की, जिसके बाद अब नए सिरे से चुनाव होंगे.
हालांकि, इस फैसले के कारण काफी विवाद हो रहा है. कैबिनेट में जारी मतभेद के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रतिनिधि सभा को भंग किया. पीएम ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने तुरंत मुहर लगा दी. नेपाल में तीन साल पहले ही नई सरकार का गठन हुआ था, ऐसे में कार्यकाल से पहले ही इसने अलविदा कर दिया. अब नेपाल में अप्रैल-मई 2021 में फिर चुनाव होंगे. 3 साल पहले पुष्प कमल दहल प्रचंड गुट और केपी शर्मा ओली गुट ने साथ में आकर सरकार बनाई, लेकिन लगातार ओली पर एकतरफा सरकार चलाने का आरोप लगता रहा है. नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के संसद भंग करने के बाद देश में उनके खिलाफ आवाज उठी. रविवार को ही काठमांडू में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. काठमांडू में संसद और पीएम आवास के बाद सुरक्षा बढ़ाई गई है. भारत और नेपाल के बीच पिछले कुछ वक्त से तनाव जारी था. हाल ही में विदेश सचिव ने नेपाल का दौरा किया था, लेकिन नेपाल में हुए ताजा घटनाक्रम के बाद भारत का कोई बयान नहीं आया है.