जीवाजी क्लब पदाधिकारियों की सीएम से मुलाकात पर खड़े हुए सवाल, मेंबर पूछ रहे-अपने वादों के लिए मुख्यमंत्री से क्यों मांगा पैसा?

प्रतिनिधि मंडल में अधिकतर वे लोग, जिन्हें कमलनाथ सरकार के समय बताया गया था भू-माफिया

जीवाजी क्लब पदाधिकारियों की सीएम से मुलाकात पर खड़े हुए सवाल, मेंबर पूछ रहे-अपने वादों के लिए मुख्यमंत्री से क्यों मांगा पैसा?

चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करने वाले पदाधिकारी अब जीवाजी क्लब को खेल परिसर में बदलने के लिए सरकार के सामने हाथ फैला रहे हैं। क्लब के प्रतिनिधि मंडल ने दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर ऑल वेदर हीटेड स्वीमिंग पूल, नई शूटिंग रेंज, नया वॉलीबॉल कोर्ट, मिनी फुटबॉल फील्ड, मिनी क्रिकेट ग्राउंड, चैस अरीना विकसित करने के लिए फंड की मांग की है। इसको लेकर विवाद की स्थिति बन गई है और क्लब के मेंबर दो-फाड़ हो गए हैं। विरोध में आए सदस्यों का कहना है कि चुनाव के समय जब खेल परिसर विकसित करने के लिए फंडिंग के बारे में पूछा गया था, उस समय कोई प्लानिंग नहीं बताई गई थी। अब क्लब के सदस्यों के लिए सरकार पैसा क्यों देगी। इसके अलावा इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल सदस्यों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसका कारण यह है कि इनमें वही लोग शामिल थे, जो कमलनाथ सरकार के समय भू-माफिया की कैटेगरी में शामिल थे। उन पर अवैध निर्माण से लेकर सरकारी जमीन पर कब्जा करने तक के आरोप लगे थे और जिला प्रशासन ने उनके खिलाफ कार्रवाई भी की थी। इनमें राजकुमार कुकरेजा का सिटी सेंटर स्थित होटल ला सफायर का प्रशासन ने सफाया किया था, वहीं गोयल परिवार की जमीनों को सरकारी घोषित कर दिया गया था।

ये है तकनीकी पेंच
जीवाजी क्लब में मुख्य रूप से शहर के धनाढ्य लोग पदाधिकारी व सदस्य हैं। इस क्लब में उन्हीं लोगों की एंट्री है, जो पांच लाख रुपए की मोटी रकम चुकाकर सदस्य बनते हैं और यहां की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए भी हर साल मोटी रकम खर्च करते हैं। इस क्लब से आम लोगों का कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में यदि यहां सरकारी पैसा लगाकर काम होता है, तो उसका फायदा आम जनता को नहीं मिलने वाला है। हालांकि क्लब के पदाधिकारियों का दावा है कि वे एक समिति होने के नाते सरकारी अनुदान के लिए पात्र हैं, लेकिन असल में यह समिति जनकल्याण के लिए कोई काम नहीं करती है। यदि सरकारी अनुदान से क्लब में कार्य होते भी हैं, तो भी इसका फायदा सिर्फ क्लब मेंबर्स तक ही सीमित होकर रह जाएगा।

सीएम से की हैं ये मांगें

वर्तमान स्वीमिंग पूल को कवर करके ऑल वेदर हीटेड पूल बनाया जाए। नई शूटिंग रेंज, नया बॉलीवॉल कोर्ट, मिनी फुटबॉल
फील्ड, मिनी क्रिकेट ग्राउण्ड, चैस अरीना विकसित किए जाने की जरूरत है। क्लब में संचालित जिम, टेनिस कोर्ट, बैंडमिंटन, स्क्वैश कोर्ट का नवीनीकरण किया जाना भी जरूरी है। क्लब के डायवर्जन विवाद और नामांतरण विवाद को भी हल कराने की मांगें सीएम से की गई हैं।

वर्तमान अध्यक्ष गायब, पूर्व अध्यक्ष ने संभाली कमान
इस प्रतिनिधि मंडल से क्लब के अध्यक्ष संग्राम सिंह कदम का गायब रहना भी सवाल खड़े कर रहा था, जबकि क्लब के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार उर्फ राजू कुकरेजा इस डेलीगेशन की कमान संभाल रहे थे। डेलीगेशन में क्लब सचिव तरुण गोयल, अशोक गोयल, यश गोयल के अलावा संदीप जैन, पंकज गुप्ता, हरिकांत समाधिया, नितिन बंसल, गौतम भागचंदानी, रजत कुकरेजा, अंशुल बाखलीवाल, हिमेश दंडोतिया, बीके शर्मा, सिद्धार्थ मेहता, अमित कोहली, चेतन गुप्ता, पर्व जैन, सुनील खंडूजा, संदीप गुप्ता, लव खंडूजा सहित अन्य लोग शामिल थे।

सीएम नहीं देंगे, तो हम कहीं और से मांगेंगे फंड
“हमने चुनाव के समय ही बताया था कि क्लब में खेल गतिविधि बढ़ाने के लिए फंड का इंतजाम करना जरूरी है। उसी के लिए हमने सीएम से मुलाकात की है। हम चूंकि एक संस्था की श्रेणी में आते हैं, इस कारण हम सरकारी अनुदान के लिए पात्र हैं। यदि सीएम नहीं देंगे, तो हम कहीं और से फंड की व्यवस्था करेंगे। हम राष्ट्रीय स्तर पर भी फंड की मांग करेंगे। जहां तक वर्तमान अध्यक्ष की बात है, तो उनके परिजन को कोविड होने के कारण वे साथ नहीं जा पाए थे।”
तरुण गोयल, सचिव जीवाजी क्लब

क्लब नहीं, बल्कि अपने लिए गए थे मिलने
“क्लब को खेल परिसर में तब्दील करने के लिए सीएम का कोई रोल ही नहीं है। इनके सारे दावे झूठे हैं और ये अपनी दुकान चलाने के लिए मिल-जुलकर सीएम के पास गए हैं। क्लब एक प्राइवेट संस्था है। ये सरकारी संस्था नहीं है, जिसमें सरकारी अनुदान मिलेगा। इसमें दलाल किस्म के लोग हैं, जो अपनी राजनीति और अपना व्यापार चमकाने के लिए सीएम के पास गए हैं। झूठ की राजनीति के नाम पर पदाधिकारी जीतकर आ गए हैं। अगर क्लब के लिए काम होना है, तो उसमें सरकारी अनुदान क्यों चाहिए।”
बॉबी गर्ग, क्लब मेंबर

एजीएम में नहीं दिया था जवाब
“मैंने क्लब की एजीएम में ही सवाल किया था कि खेल परिसर विकसित करने के लिए जो सपने दिखाए जा रहे हैं, उनके लिए फंड कहां से आएगा। ये बात उस समय पर क्लियर नहीं हो पाई थी। बैलेंस शीट में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। सरकार के पास इस तरह की संस्थाओं को सीधा सहयोग देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। क्लब सोशल तो है, लेकिन गरीब तबके और वंचित वर्ग के लिए यहां कोई काम नहीं होता है। मेरी जानकारी के मुताबिक ये प्रतिनिधि मंडल खेल परिसर के लिए नहीं, बल्कि अन्य कारणों के लिए मुलाकात की है। चुनाव के समय सीएम को अप्रोच करना इस समय इलेक्शन का प्रोटोकॉल तोड़ना भी है।”
आरपी सिंह, क्लब मेंबर