सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण अवमानना मामले में फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण अवमानना मामले में फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण अवमानना मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने कहा कि भूषण को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन वे अवमानना पर माफी नहीं मांगना चाहते। व्यक्ति को गलती का अहसास होना चाहिए। हमने उन्हें समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वे माफी नहीं मांगेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब आप किसी चोट पहुंचाते हैं तो माफी क्यों नहीं मांग सकते। इससे पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को प्रशांत भूषण को चेतावनी देते हुए दया दिखानी चाहिए।

सोमवार को प्रशांत ने अदालतों और जजों की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगने से इनकार कर दिया। भूषण ने कहा था कि मैंने जो कहा, वह हकीकत है। अब शर्त के साथ या बिना शर्त माफी मांगी, तो यह गलत होगा। अगर बेमन से माफी मांगी, तो अंतरात्मा की अवमानना हो जाएगी। जिसका मैं सबसे अधिक सम्मान करता हूं।

दो पेज के हलफनामे में भूषण ने कहा था कि उन्होंने ट्वीट भली नीयत से और संस्था की बेहतरी के लिए किए थे। ऐसे में माफी मांगना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को सजा पर बहस के बाद भूषण को बिना शर्त माफी मांगने पर विचार करने के लिए दो दिन दिए थे। इसका उन्होंने सोमवार को जवाब दिया।

एक अन्य मामला दूसरी बेंच के पास भेजा
-सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के 2009 के अवमानना मामले को दूसरी बेंच के पास भेज दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह केवल सजा का नहीं, बल्कि संस्थाओं में विश्वास का भी मामला है। 11 साल पहले तहलका मैगजीन को दिए इंटरव्यू में भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी की थी। इस मामले अब सुनवाई 10 सितंबर को होगी।

-जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने भूषण की तरफ से पेश हुए वकील राजीव धवन से कहा कि लोग कोर्ट में राहत के लिए आते हैं, लेकिन जब उनका भरोसा ही हिला हुआ हो तो समस्या खड़ी हो जाती है। कपिल सिब्बल जर्नलिस्ट तरुण तेजपाल की तरफ से पेश हुए थे। उन्होंने बेंच से कहा कि लोग तो आएंगे और जाएंगे, लेकिन संस्थाएं हमेशा बनी रहेंगी। इनका सुरक्षित रहना जरूरी है।