सेवा में कमी के खिलाफ ठोका मुकदमा, तिरुपति मंदिर पर 50 लाख का जुर्माना!

यह पहला ऐसा मामला है कि जब किसी भक्त ने टीटीडी की सेवा में कमी के खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट में मुकदमा दायर किया हो। करीब नौ दशक पहले टीटीडी की शुरुआत हुई थी। कंज्यूमर कोर्ट ने टीटीडी को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा।

सेवा में कमी के खिलाफ ठोका मुकदमा, तिरुपति मंदिर पर 50 लाख का जुर्माना!
कोर्ट ने मंदिर निकाय से भास्कर को 2006 से आज की तारीख तक 12,250 रुपये की बुकिंग राशि 24 फीसदी प्रति वर्ष ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। यह पहला ऐसा मामला है कि जब किसी भक्त ने टीटीडी की सेवा में कमी के खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट में मुकदमा दायर किया। करीब नौ दशक पहले टीटीडी की शुरुआत हुई थी।

4 सितंबर 22।  तमिलनाडु (Tamil Nadu)के सलेम स्थित कंज्यूमर कोर्ट ने एक भक्त को 14 साल का इंतजार कराने के लिए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanam) को 50 लाख रुपये का जुर्माने (50 lakh fine)भरने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के अनुसार, भक्त को या तो वस्त्रलंकारा सेवा के लिए नई तारीख मिले या फिर एक साल में 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। यह पहला ऐसा केस है जब किसी भक्त ने टीटीडी के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में मुकदमा (lawsuit in consumer court)दाखिल किया हो।

कोविड महामारी के चलते मार्च 2020 में 80 दिन के लिए मंदिर बंद कर दिया गया था। इसके चलते मंदिर में होने वाली वस्त्रलंकारा समेत सभी अर्जित सेवा रोक दी गई थीं। तब टीटीडी ने भक्त केआर हरि भास्कर को आधिकारिक वकतव्य भेजते हुए पूछा था कि वह वीआईपी ब्रेक दर्शन के लिए कोई नया स्लॉट चाहते हैं या फिर रिफंड। लेकिन भास्कर ने मंदिर निकाय को वस्त्रलंकारा सेवा के लिए किसी भी तारीख की बुकिंग देने को कहा था।

टीटीडी ने मंदिर सेवा को रीशिड्यूल करने से किया इनकार

टीटीडी प्रशासन ने स्पष्ट किया कि वस्त्रलंकारा सेवा को रीशिड्यूल करना संभव नहीं है और उनसे रिफंड लेने के लिए कहा। भास्कर ने इसके बाद जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में टीटीडी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। कंज्यूमर कमीशन ने टीटीडी को वस्त्रलंकारा सेवा के लिए एक साल के अंदर स्लॉट देने या फिर 50 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा।

टीटीडी के खिलाफ केस का पहला मामला

कोर्ट ने मंदिर निकाय से भास्कर को 2006 से आज की तारीख तक 12,250 रुपये की बुकिंग राशि 24 फीसदी प्रति वर्ष ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। यह पहला ऐसा मामला है कि जब किसी भक्त ने टीटीडी की सेवा में कमी के खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट में मुकदमा दायर किया। करीब नौ दशक पहले टीटीडी की शुरुआत हुई थी।