झांसी से ग्वालियर आए रेलवे के दो अफसरः सरकारी टूर पर परिवार के साथ शॉपिंग और पिकनिक का मजा

झांसी से ग्वालियर आए रेलवे के दो अफसरः सरकारी टूर पर परिवार के साथ शॉपिंग और पिकनिक का मजा
स्टेशन रोड स्थित एक मॉल में बैठकर शेक पीते सीनियर डीओएम शशिकांत त्रिपाठी।

उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मंडल के दो अफसर अपने परिवारों के साथ पिकनिक मनाने और उन्हें शॉपिंग कराने के लिए जनता के टैक्स के पैसे से सरकारी टूर बनाकर ग्वालियर आ गए। झांसी मंडल के सीनियर डिवीजनल ऑपरेटिंग मैनेजर (एसडीओएम) शशिकांत त्रिपाठी और डिवीजनल कॉमर्शियल मैनेजर (डीसीएम) अखिल शुक्ला सरकारी गाड़ियां लेकर गुरुवार को ग्वालियर आए। यहां रेस्ट हाउस में दोनों अफसरों ने अपने परिवारों को ठहराया और उसके बाद बानमोर में एक फैक्ट्री में मीटिंग करने पहुंचे। इस बैठक का उद्देश्य मालगाड़ियों से सामान की ढुलाई का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना था, लेकिन सिर्फ दो घंटे में मीटिंग की खानापूर्ति कर ये दोनों अफसर वापस ग्वालियर लौट आए।


अपने परिवार के साथ मॉल में एंट्री करते एसडीओएम।


मॉल के कैफेटेरिया में परिवार के साथ बैठे एसडीओएम।

इसके बाद एसडीओएम त्रिपाठी अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ मॉल में खरीदारी करने पहुंच गए, वहीं डीसीएम शुक्ला पत्नी-बच्चों के साथ शनिचरा घूमने चले गए।

तीन सरकारी गाड़ियों का किया इस्तेमाल

मीटिंग के लिए अफसर चाहते तो एक ही सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर सकते थे, लेकिन यहां सीनियर डीओएम UP 93 AZ 5060 नंबर की अर्टिगा कार से पहुंचे थे, वहीं डीसीएम UP 93 BK 8115 नंबर की स्कॉर्पियो कार से आए। यहां रेस्ट हाउस के पोर्च में दोनों गाड़ियां खड़ी रहीं। ग्वालियर में रेलवे के अफसरों ने चापलूसी के लिए यहां तीसरी कार का इंतजाम कर रखा था। यहां से ये अफसर MP 07 BA 4144 नंबर की इनोवा गाड़ी में बैठकर बानमोर रवाना हुए।

क्या कहता है नियम
रेलवे के नियम के मुताबिक किसी भी सरकारी टूर पर अफसर अपने परिवार को साथ लेकर नहीं जा सकते हैं। यदि अफसरों को परिवार को लेकर जाना है, तो अपने खर्चे पर व्यवस्था करनी पड़ती है।

स्थानीय अफसरों ने कराई व्यवस्था

इस मामले में एक चर्चा यह भी है कि इन अफसरों को ग्वालियर टूर का खर्चा स्थानीय रेलवे अफसरों ने उठाया था। इसका कारण यह है कि अभी सीनियर डीओएम त्रिपाठी ने अपनी तरफ से ही एक ऑर्डर जारी कर ग्वालियर रेलवे स्टेशन मैनेजर पीपी चौबे को हटाकर गजेंद्र सिंह राठौर को स्टेशन मैनेजर बना दिया, इसके लिए उनसे सीनियर लगभग एक दर्जन अफसरों को नजरअंदाज किया गया। नियम के मुताबिक यह ऑर्डर पर्सनल विभाग से जारी होने थे।

न फोन उठाया, न एसएमएस का दिया जवाब
द लीड स्टोरी ने इस मामले में एसडीओएम का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नंबर पर कई बार कॉल किए, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। उनसे एसएमएस के जरिए भी संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वहीं डीसीएम अखिल शुक्ला का कहना था कि हम ऑफिस टाइम के बाद घूमने के लिए गए थे, क्योंकि ग्वालियर में मेरे भाई रहते हैं और हमने उनकी ही गाड़ियां इस्तेमाल की थीं।

“रेलवे में सरकारी टूर के लिए गाड़ियां उपलब्ध कराई जाती हैं और कामकाज के बाद घूमने में कोई बुराई नहीं है। फिर भी यह मंडल का मामला है, तो आप इस बारे में मंडल के ही अफसरों से संपर्क करें।”
अजीत कुमार सिंह, चीफ पीआरओ, उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद मुख्यालय