मप्र हाईकोर्ट का आदेश: अब अभिभावकों को देना होगी स्कूल से तय सिर्फ ट्यूशन फीस

एक सितंबर की अंतरिम राहत को अगली सुनवाई तक बढ़ाया, अब अगले महीने होगा फैसला

मप्र हाईकोर्ट का आदेश: अब अभिभावकों को देना होगी स्कूल से तय सिर्फ ट्यूशन फीस

मध्य प्रदेश में ट्यूशन फीस को लेकर हाईकोर्ट ने अगली तारीख दे दी है। एक सितंबर को जारी अंतरिम आदेश को अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया है। ऐसे में फिलहाल की स्थिति में अभिभावकों को अभी स्कूल के अनुसार तय ट्यूशन फीस देना होगा। दोनों पक्षों को 6 अक्टूबर के पहले अपना पक्ष रखना होगा। इसके बाद ही अगला निर्णय लिया जाएगा। सभी पक्षों को बीच का रास्ता निकालने को कहा गया है। सहोदया ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट विनय राय मोदी ने बताया कि स्कूल फीस मामले में हाईकोर्ट में जस्टिस संजय यादव और जस्टिस बीके श्रीवास्तव की ज्वाइंट बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। न्यायालय द्वारा सभी पक्षकारों को एक ऐसा प्रस्ताव रखने को कहा, जिसमें स्कूल शिक्षा के जुड़े सभी हितग्राहियों जैसे पालक, विद्यार्थी, शिक्षक, अन्य गैर शैक्षणिक स्टाफ और स्कूल प्रबंधन सभी का हित सुरक्षित रहे। मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।


किसी पर भी अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ना चाहिए
प्रस्ताव में कहा गया कि किसी पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने स्पष्ट किया कि एसोसिएशन से सम्बद्ध सभी निजी विद्यालय अभी केवल शिक्षण शुल्क ही ले रहे हैं। सभी अन्य शुल्क नियमित स्कूल शुरू होने पर ही लिए जाएंगे। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि महामारी के इस दौर में सभी पक्षों को कुछ समझौता करना आवश्यक है और यदि सभी पक्ष अगली सुनवाई तक कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं दे पाते हैं, तो कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।


कोई अरिक्ति शुल्क नहीं ले सकता स्कूल प्रबंधन
स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार मार्च तक कई स्कूलों ने सत्र 2020-21 की फीस को लेकर घोषणा कर दी थी। इसकी जानकारी भी जिला शिक्षा अधिकारी को दे दी थी। इसमें सिर्फ ट्यूशन फीस ही स्कूलों को लेना होगी। जिन स्कूलों ने फीस की घोषणा नहीं की, वह स्कूल पिछले साल के आधार पर घोषित ट्यूशन फीस लेंगे। इसके अतिरिक्त कोई भी चार्ज या अन्य तरह के शुल्क नहीं लिए जा सकते हैं। अभिभावकों का आरोप है कि कई स्कूलों ने सालभर की फीस को ही ट्यूशन फीस में जोड़ दिया। यह फीस लेने पर स्कूल संचालक दबाव बना रहे हैं। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग का साफ कहना है कि ऐसा करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।