भारत में एक ऐसी जगह जहां रहने के लिए धर्म व पैसे की नहीं पड़ती जरूरत

भारत का ऑरोविले शहर एक ऐसा शहर है, जहां न धर्म है न पैसा है और न सरकार है। ये जगह चेन्नई शहर से केवल 150 किमी की दूरी पर स्थित है। अगर आप यहां बसने का सोच रहे हैं, तो कुछ शर्तें हैं, जिनका आपको ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इस जगह की स्थापना 1968 में मीरा अल्फाजों ने की थी।

भारत में एक ऐसी जगह जहां रहने के लिए धर्म व पैसे की नहीं पड़ती जरूरत
इस शहर की स्थापना 1968 में मीरा अल्फाजों द्वारा की गई थी। इस जगह को सिटी ऑफ डॉन यानी भोर का शहर भी कहते हैं। आपको ये जानकार थोड़ी हैरानी होगी इस को शहर को बसाने का सिर्फ एक ही लक्ष्य था। यहां लोग जाति-धर्म, ऊंच-नीच और भेदभाव जैसी चीजों से दूर रहें। यहां कोई भी आकर रह सकता है, लेकिन यहां से जुड़ी कुछ चीजें हैं, जो यहां आने वाले व्यक्ति को ध्यान में रखनी जरूरी हैं।

8 अगस्त 22।  भारत एक ऐसी जगह है, जहां आपको हर धर्म के लोग, और सरकार का कानून दिख जाएगा। लेकिन देश में एक ऐसा शहर भी है, जहां न तो धर्म है, न पैसा है और न ही सरकार है। आप यही सोच रहे होंगे कि भारत में इस तरह का कौन सा शहर है, जहां ऐसी चीजों को नहीं माना जाता, तो हम आपको बता दें ये स्थान चेन्नई शहर से केवल 150 किमी की दूरी पर स्थित है। हम बात कर रहे हैं, ऑरोविले (Auroville City)नाम की जगह की।

इस शहर की स्थापना 1968 में मीरा अल्फाजों द्वारा की गई थी। इस जगह को सिटी ऑफ डॉन यानी भोर का शहर भी कहते हैं। आपको ये जानकार थोड़ी हैरानी होगी इस को शहर को बसाने का सिर्फ एक ही लक्ष्य था। यहां लोग जाति-धर्म, ऊंच-नीच और भेदभाव जैसी चीजों से दूर रहें। यहां कोई भी आकर रह सकता है, लेकिन यहां से जुड़ी कुछ चीजें हैं, जो यहां आने वाले व्यक्ति को ध्यान में रखनी जरूरी हैं।

यहां आने वाले लोगों के लिए शर्त -

यहां आने वाले व्यक्ति के लिए सिर्फ एक ही नियम होता है कि उन्हें यहां सेवक के रूप में रहना पड़ेगा। ये एक तरीके की प्रायोगिक टाउनशिप है जो विल्लुप्पुरम डिस्ट्रिक तमिलनाडु में मौजूद है। मीरा अल्फाजों जिन्होंने इस शहर को शुरू किया था वो श्री अरविंदो स्प्रिचुअल रिट्रीट में 29 मार्च 1914 में पुदुच्चेरी आई थी। 

ऑरोविले में नहीं है धर्म की कोई अवधारणा -

ऑरोविले धार्मिक विश्वास से परे सच के रास्ते पर चलने में विश्वास रखता है। इस जगह के बीच में एक मंदिर है, जिसे "मातृमंदिर" कहा जाता है। यह उन लोगों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखता है, जो एकांत में योग का अभ्यास करते हैं, ये मंदिर किसी विशेष धर्म या संप्रदाय से संबंधित नहीं हैं। ऑरोविले में रहने वाले लोग लगभग 50 देशों से आते हैं, जो हर तरह के आयु वर्ग, सामाजिक वर्गों, संस्कृतियों आदि से जुड़े होते हैं। यहां की वर्तमान आबादी 2,400 लोगों की है। 

नहीं है कोई सरकार -

ये जानकार आपको शायद हैरानी हो लेकिन ऑरोविले बिना सरकार के चलता है। यह एक विधानसभा द्वारा नियंत्रित होता है जिसमें हर एक वयस्क लोग शामिल हैं। सोचिए इस जगह को 900 सदस्यों की एक सभा द्वारा चलाया जा रहा है, जो विभिन्न संस्कृतियों से हैं, जो कभी-कभी एक-दूसरे को समझ भी नहीं पाते हैं। लेकिन फिर भी लोग काफी अच्छे से यहां रहते हैं। 

पैसे की भी नहीं है कोई धारणा -

ऑरोविले में पैसों का कोई आदान-प्रदान नहीं होता। यहां के लोग बाहरी दुनिया के लोगों के साथ पैसों का लेन-देन कर सकते हैं, लेकिन ऐसा इस शहर में नहीं ।

ऑरोविले में है ये सभी सुविधाएं -

ऑरोविले का अपना आर्किटेक्चर और टाउन प्लानिंग ब्यूरो है। इसमें अभिलेखीय सुविधाएं, अनुसंधान संस्थान, एक ऑडिटोरियम, 40 ऑड इंडस्ट्री, रेस्टोरेंट, फार्म, गेस्टहाउस आदि हैं। यहीं नहीं, यहां कम्प्यूटर, निवासियों के लिए एक ई-मेल नेटवर्क (ऑरोनेट) भी है। 

ऑरोविले कैसे पहुंचे -

फ्लाइट से - ऑरोविले का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है और पांडिचेरी में भी कोई एयरपोर्ट नहीं है। पास का हवाई अड्डा चेन्नई है जो 135 किलोमीटर दूर है और यह दुनिया के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। चेन्नई से कैब किराए पर लेने पर आपको लगभग 2100 रुपये खर्च करने होंगे।

सड़क मार्ग से - ऑरोविले चेन्नई, तिरुवन्नामलाई, बेंगलुरु, चिदंबरम, ऊटी जैसे शहरों से बसों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पांडिचेरी भी भारत के प्रमुख शहरों से अच्छे से कनेक्टेड है।

ट्रेन से - ऑरोविले के लिए पास का रेलवे स्टेशन विल्लुपुरम है, जो 32 किमी दूर है और भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। कोई वहां से कैब किराए पर ले सकता है या ऑरोविले पहुंचने के लिए यात्री ट्रेन में यात्रा कर सकता है।