महारानी के ताज पर सजे कोहिनूर को भारत वापस लाने की फिर उठी मांग

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II के निधन के बाद उनके कोहिनूर को लेकर भारत ने फिर अपना दावा ठोंका है। ओडिशा के एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने दावा किया है कि कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ का है। उसे लौटाया जाए।

महारानी के ताज पर सजे कोहिनूर को भारत वापस लाने की फिर उठी मांग
इतिहासकार और शोधकर्ता अनिल धीर ने कहा कि अपनी मृत्यु से पहले महाराजा रणजीत सिंह की वसीयत में कहा गया था कि उन्होंने कोहिनूर भगवान जगन्नाथ को दान कर दिया था। दस्तावेज़ को एक ब्रिटिश सेना अधिकारी द्वारा सर्टिफाइड किया गया था, जिसका प्रूफ दिल्ली में राष्ट्रीय अभिलेखागार में उपलब्ध है।

13 सितंबर 22। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II (Queen Elizabeth II)के निधन के बाद उनके ताज पर सजे कोहिनूर हीरे को लेकर भारत ने फिर अपना दावा ठोंका है। ओडिशा के एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने दावा किया है कि(Kohinoor diamond belongs to Lord Jagannath) कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ का है। संगठन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से ब्रिटेन से यह कोहिनूर ऐतिहासिक पुरी मंदिर लौटाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग उठाई है। बता दें कि कोहिनूर दुनिया के सबसे कीमती रत्नों में से एक माना जाता है। इसकी कीमत 15 अरब रुपए है। कोहिनूर 14 वीं शताब्दी में दक्षिण भारत में कोल्लूर खदान में कोयला खनन के दौरान मिला था। 105.6 कैरेट का यह हीरा ब्रिटिश सम्राट के क्राउन में 1937 से लगा हुआ है। इसका वजन 21.6 ग्राम है। एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था।

पुरी स्थित संगठन श्री जगन्नाथ सेना ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा है, जिसमें कोहिनूर हीरे को 12वीं शताब्दी के मंदिर में वापस लाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए उनके हस्तक्षेप (Demand to return Kohinoor)की मांग की गई है। सेना के संयोजक प्रिया दर्शन पटनायक ने ज्ञापन में कहा कि कोहिनूर हीरा जगन्नाथ भगवान का है। अब यह इंग्लैंड की महारानी(दिवंगत) के पास है।

पटनायक ने जोर देकर कहा कि इस संबंध में रानी को एक पत्र भेजने के बाद उन्हें 19 अक्टूबर, 2016 को बकिंघम पैलेस से एक कम्यूनिकेशन मिला, जिसमें उन्हें सीधे यूनाइटेड किंगडम सरकार से अपील करने के लिए कहा गया, क्योंकि महामहिम अपने मंत्रियों की सलाह पर काम करते हैं और रहते हैं।

पटनायक ने बताया कि उन्होंने उस पत्र की एक कॉपी राष्ट्रपति को दिए गए ज्ञापन के साथ अटैच्ड की है।

इतिहासकार और शोधकर्ता अनिल धीर ने कहा कि अपनी मृत्यु से पहले महाराजा रणजीत सिंह की वसीयत में कहा गया था कि उन्होंने कोहिनूर भगवान जगन्नाथ को दान कर दिया था। दस्तावेज़ को एक ब्रिटिश सेना अधिकारी द्वारा सर्टिफाइड किया गया था, जिसका प्रूफ दिल्ली में राष्ट्रीय अभिलेखागार में उपलब्ध है।

लेखक और इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने अपनी पुस्तक कोहिनूर में उल्लेख किया है कि बाल सिख उत्तराधिकारी दलीप सिंह ने रानी विक्टोरिया को गहना(हीरा) सौंपने पर खेद व्यक्त किया था। हालांकि, वह इसे एक पुरुष के रूप में उसे रानी को देना चाहते थे। सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार का रुख यह था कि हीरेको न तो ब्रिटिश शासकों द्वारा चुराया गया था और न ही जबरन लिया गया था, बल्कि पंजाब के तत्कालीन शासकों द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया गया था।