मुस्लिम महिलाओं को बहुत दर्द देता है यह अजीब रिवाज, फिर भी विरोध नहीं

मुताह निकाह एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट निकाह है। इसमें पति पत्नी को निकाह के बदले पैसे देता है। कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार समय खत्म हो जाता है तो दोनों अलग हो जाते हैं। इसे मजे के लिए किया गया निकाह भी कहा जाता है।

मुस्लिम महिलाओं को बहुत दर्द देता है यह अजीब रिवाज, फिर भी विरोध नहीं
मुताह निकाह की अवधि खत्म होने के बाद महिला का पति की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं रहता। वह पति से हिस्सा या जीवनयापन के लिए पैसे नहीं मांग सकती। इस तरह के निकाह से हुए बच्चे का कोई भविष्य नहीं होता। पिता उसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए मजबूर नहीं होता।

13 सितंबर 22। मुस्लिम समाज (Muslim Brotherhood)की महिलाओं को तीन तलाक से तो मुक्ति मिल गई, लेकिन कई ऐसे और भी अजीब रिवाज हैं, जिससे महिलाओं का शोषण किया जा रहा है। एक ऐसा ही रिवाज है (mutaah nikah)मुताह निकाह। इसमें तय समय की शादी के लिए पुरुष महिला को पैसे देते है। 

मुताह निकाह एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट निकाह है। इसमें पति पत्नी को निकाह के बदले पैसे देता है। पहले ही तय हो जाता है कि निकाह कितने समय के लिए है। इसे मजे के लिए किया गया निकाह भी कहा जाता है। निकाह के बाद पति पत्नी एक साथ रहते हैं। जब कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार समय खत्म हो जाता है तो दोनों अलग हो जाते हैं। अलग होने पर महिला अपने गुजारा भत्ते की मांग नहीं कर सकती। पुरुष कॉन्ट्रैक्ट का समय खत्म होने के बाद आजाद होता है।

निकाह के लिए पैसे देता है पुरुष

मुताह निकाह के लिए पुरुष पैसे देता है। इसलिए इसे महिला की खरीद भी कहा जाता है। इसे वेश्यावृत्ति का एक रूप भी कहा गया है, जिसमें पुरुष महिला को तय वक्त तक पत्नी के रूप में रखने के लिए पैसे देता। हैदराबाद के मौलिम मोहिसिन बिन हुसैन ने मुताह निकाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।

बॉन्ड भरकर होती है शादी

मुताह निकाह (Marriage is done by filling bonds)में बॉन्ड भरकर तय समय के लिए शादी की जाती है। समय पूरा होने पर पति पत्नी का रिश्ता उसी तारीख के हिसाब से खत्म हो जाता है। मुताह निकाह छह महीने, एक साल या पांच साल जो समय दोनों पक्ष को मंजूर हो उतने समय के लिए होता है। शिया मुसलमान मुताह निकाह करते हैं। वहीं, सु्न्नी मुसलमानों में इस तरह के निकाह को मिस्यार निकाह कहते हैं।

बच्चों का नहीं होता भविष्य

मुताह निकाह की अवधि खत्म होने के बाद महिला का पति की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं रहता। वह पति से हिस्सा या जीवनयापन के लिए पैसे नहीं मांग सकती। इस तरह के निकाह से हुए बच्चे (children have no future)का कोई भविष्य नहीं होता। पिता उसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए मजबूर नहीं होता।