सीजेआई ने लॉन्च किया 'FASTER' सिस्टम, अब जमानत मिलने पर कैदियों की तुरंत हो सकेगी रिहाई की कार्यवाही
अब कोर्ट के आदशों का नहीं करना पड़ेगा इंतजार, हार्ड कॉपी की बजाय ई-कॉपी मिलेगी
नई दिल्ली। अब जमानत मिलने के बाद कैदियों की रिहाई के लिए अदालती आदेशों का इंतजार नहीं करना होगा. जेल में हार्ड कॉपी नहीं, बल्कि बिजली की गति से अदालती आदेशों की ई-कॉपी मिलेगी। रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायधीश एनवी रमना ने फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रानिक रिकार्ड्स यानी 'FASTER' योजना लॉन्च किया है। फास्टर सिस्टम के जरिए अदालत के फैसलों को इलेक्ट्रानिक तरीके से तेज़ी से भेजा जा सकेगा और उस पर तुरंत रिहाई की कार्यवाही हो सकेगी। कार्यक्रम में सीजेआई एनवी रमना समेत सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज और सभी हाईकोर्ट के जज शामिल रहे। इस सिस्टम के आने के बाद कैदियों को जमानत के दस्तावेजों की हार्ड कॉपी के जेल प्रशासन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना होगा। सीजेआई ने कहा कि 'FASTER' की अवधारणा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत देने के बावजूद कैदियों को तीन दिन तक रिहा नहीं किए जाने के बारे में एक समाचार रिपोर्ट पढ़ने के बाद आकार लिया, क्योंकि आदेशों की फिजिकल कॉपी जेल अधिकारियों को नहीं दी गईं। उसके बाद सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने स्वतः संज्ञान लिया और इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली को विकसित करने के निर्देश जारी किए गए। सीजेआई ने कहा कि इस नए सिस्टम फास्टर का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट या किसी भी अदालत द्वारा पारित आदेशों को उनकी पार्टी के हस्तक्षेप के बिना सुरक्षित तरीके प्रसारित करना है। सीजेबाई ने प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस खानविलकर और जस्टिस हेमंत गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट के सेकेट्री जनरल, कंप्यूटर कमेटी के रजिस्ट्रार, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और ई-समिति के चेयरमैन का शुक्रिया अदा किया। दरअसल, सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपने आदेशों को संबंधित पक्षों तक पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन के सिस्टम को लागू करने के निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते समय जमानत मिलने के बावजूद कैदियों को जेल से रिहाई में होने वाली देरी पर चिंता जताई थी। अब फास्टर सिस्टम से कोर्ट के आदेश-निर्देश संबंधित अथॉरिटिज, अधिकारियों और एजेंसियों तक शीघ्र पहुंचेंगे।