खूबसूरती का तोहफाः एमपी के दो शहर ग्वालियर व ओरछा यूनेस्को की वल्र्ड हेरिटेज की सूची में शामिल

अब यूनेस्को इन दो ऐतिहासिक स्थलों को बेहतर व खूबसूरती निखारने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर तैयार करेगा मास्टर प्लान  

खूबसूरती का तोहफाः एमपी के दो शहर ग्वालियर व ओरछा यूनेस्को की वल्र्ड हेरिटेज की सूची में शामिल

भोपाल. मध्य प्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि प्रदेश के दो शहरों ग्वालियर और ओरछा को विश्व धरोहर सिटी की सूची में स्थान मिला है। इन ऐतिहासिक शहरों को यूनेस्को ने अर्बन लैंडस्केप सिटी प्रोग्राम के तहत विश्व विरासत सिटी की सूची में शामिल कर लिया है। अब यूनेस्को ग्वालियर और ओरछा के ऐतिहासिक स्थलों को बेहतर बनाने और उसकी खूबसूरती निखारने के लिए पर्यटन विभाग के साथ मिलकर मास्टर प्लान तैयार करेगा। मप्र सरकार के अनुसार वर्ष 2021 में यूनेस्को की टीम मध्यप्रदेश आएगी और यहां की हेरिटेज संपदा को देखकर मास्टर प्लान तैयार करेगी। यह परियोजना भारत और दक्षिण एशिया के लिए एक मिसाल कायम करेगा। इस परियोजना के तहत यूनेस्को ऐतिहासिक शहरों के लिए एचयूएल की सिफारिश पर आधारित शहरी विकास के लिए सबसे बेहतर तरीके और साधनों का पता लगाएगा।

ओरछा अपने मंदिरों और महलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर 
बुंदेलखंड में स्थित खूबसूरत ओरछा का इतिहास बेहद खास है। ओरछा अपने मंदिरों और महलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। ओरछा पूर्ववर्ती बुंदेला राजवंश की 16 वीं शताब्दी की राजधानी है। जिसे राजपूत और मुगल स्थापत्य प्रभावों के एक अनोखे संगम द्वारा परिभाषित किया गया है। यहां कई सारे मंदिर और महल स्थित हैं, जिनकी कोई न कोई पौराणिक कथा है। ओरछा राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीन महल, लक्ष्मीनारायण मंदिर एवं कई अन्य प्रसिद्ध मंदिरों और महलों के लिए विख्यात है।

भव्य स्मृति चिन्ह ऐतिहासिक शहर ग्वालियार को पर्यटन की दृष्टि से खास बनाते हैं
मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक नगर और राज्य का प्रमुख शहर  ग्वालियर है। 9वीं शताब्दी में स्थापित ग्वालियर विशिष्ट रूप से अपनी निर्मित सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय समुदायों के इंटरफेस पर स्थित है। यह शहर गुर्जर प्रतिहार राजवंश, तोमर, बघेल कछवाहों तथा सिंधिया की राजधानी रहा है। इनके द्वारा छोड़े गए प्राचीन चिन्ह स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे। सहेजकर रखे गए अतीत के भव्य स्मृति चिन्ह इस शहर को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं। वहीं, आज ग्वालियर एक आधुनिक शहर है के साथ-साथ जाना-माना औद्योगिक केन्द्र है। ओरछा और ग्वालियर दोनों की नगरीय आकार और बनावट व्यावहारिक नगर नियोजन का प्रतिनिधित्व करती है। जिसे ऐतिहासिक रूप से क्षेत्र के प्राकृतिक भूगोल में शामिल किया गया था और यह उनकी आधुनिक, शहरी बस्तियों के लिए महत्वपूर्ण है।

स्मार्ट सिटी की सूची में तो विकसित हो रहा है ग्वालियर  
स्मार्ट सिटी मिशन एक स्थायी शहरी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए राष्ट्रीय पहल है। वहीं प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ओरछा लगभग 12,000 की आबादी के साथ और ग्वालियर लगभग 1,101981 की आबादी के साथ तेजी से जनसंख्या में वृद्धि कर रहा है। ऐसे में इन शहरों को आर्थिक परिवर्तन और शहरी विकास की जरूरत है। ग्वालियर रणनीतिक रूप से भारत में प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों और पर्यटन सर्किटों के करीब स्थित है और भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर इसे ‘स्मार्ट सिटी’ के रूप में नामित किया गया है। मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक केंद्र पर बनी ग्वालियर की सांस्कृतिक पहचान शहर के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, लेकिन दुर्भाग्यवश कई स्मार्ट शहरों की शहरी विरासत को इन मूल्यवान शहरों को स्मार्ट सिटी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में एकीकृत नहीं किया गया है। इसलिए भारतीय संदर्भ के अंदर यूनेस्को स्थायी शहरी विकास के लिए विरासत आधारित योजना के अभ्यास को आगे बढ़ाना चाहता है।

यूनेस्को महत्वपूर्ण ट्रेनिंग और तकनीकी विशेषज्ञता की पेशकश करेगा
यूनेस्को के अनुसार ग्वालियर और ओरछा दोनों के ऐतिहासिक केंद्रों ने धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ाया है, जिसने शहरों की आर्थिक उन्नति में काफी योगदान दिया है। यह तेजी से और अनियंत्रित शहरीकरण और निरंतर पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों के साथ किया गया है। यूनेस्को दुनिया भर के उन स्थलों की पहचान करती है, जिसे मानव द्वारा उत्कृष्ट मूल्यों का माना जाता है। इन स्थलों में मानव निर्मित इतिहास और प्राकृतिक दोनों तरह के स्थल या इमारतें शामिल होते हैं। यूनेस्को ऐसी ही सभी विश्व धरोहरों को प्रोत्साहन देने का कार्य करता है। इन धरोहरों को सूचीबद्ध कर अंतररष्ट्रीय संधियों और कानूनों के जरिए संरक्षण दिया जाता है। यूनेस्को नई दिल्ली एचयूएल सिफारिश के दृष्टिकोण के जरिए वहां के स्थानीय कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण ट्रेनिंग और तकनीकी विशेषज्ञता की पेशकश करेगा। इस परियोजना के तहत बहु-स्तरीय जुड़ाव को भी शामिल किया जाएगा, जैसे शहरी स्थानीय निकाय, नागरिक प्राधिकरण और समुदाय में हितधारकों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी, जागरूकता और सांस्कृतिक विरासत संरक्षण और सतत विकास के बीच संबंध विकसित करना होगा।

ऐतिहासिक धरोहरों का केमिकल ट्रीटमेंट होगा, स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा
वल्र्ड हेरिटेज  सिटी की सूची में आने के बाद ग्वालियर के मानसिंह पैलेस, गूजरी महल और सहस्त्रबाहु मंदिर के अलावा अन्य धरोहरों का केमिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा। इससे दीवारों पर उकेरी गई कला स्पष्ट दिखेगी और उसकी चमक भी बढ़ेगी। धरोहर तक पहुंचने वाले मार्ग को सुगम किया जाएगा। गार्ड नियुक्त किए जाएंगे, जो सैलानियों के पहुंचते ही उनका भारतीय परंपरानुसार स्वागत करेंगे। शहर में गंदगी का निशान नहीं मिलेगा। इससे शहर आने वाले सैलानियों की संख्या में वृद्धि होगी और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।