बोले ग्वालियर वाले- द कश्मीर फाइल्स फिल्म नहीं सच्चाई जिसे तब की सरकारों ने छुपाया

फिल्म की कहानी,रिव्यू और लोगों कि राय

बोले ग्वालियर वाले- द कश्मीर फाइल्स फिल्म नहीं सच्चाई जिसे तब की सरकारों ने छुपाया

संजीव कुमार शर्मा

ग्वालियर। सारे भारत में फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर जबरदस्त उत्साह है। ग्वालियर में भी इस फिल्म के कई शो विभिन्न मॉल में दिखाए जा रहे हैं। जो भी दर्शक मॉल से फिल्म देखकर निकल रहे हैं उनमें से अधिकतकर लोगों के गले रुंधे हुए हैं। कई तो अपनी भावनाएं भी नहीं बता पा रहे। कई भावुक हो जा रहे हैं तो कइयों की आंखें नम हो जा रही हैं। आलम यह है कि कई सालों बाद ऐसी मूवी आई है, जिसको आम लोग प्रमोट कर रहे हैं। हर किसी से इस मूवी को देखने की अपील कर रहे हैं। सोसल मीडिया पर भी फिल्म को लेकर चर्चाओ का बाजार गर्म है। इस फिल्म के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री है जिनका जन्म ग्वालियर में ही हुआ है। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन की घटना पर आधारित है। ये फिल्म सिनेमाघरों में 11 मार्च को रिलीज हुई है। रिलीज होने से पहले जम्मू में कश्मीरी पंडितों के लिए इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी। इस फिल्म को देखकर दर्शक इतने भावुक हुए कि सिनेमा हॉल में रोने लगे। फिल्म में मिथुन चक्रवती,अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, दर्शन कुमार, चिन्मय मंडलेकर, पुनीत इस्सर, मृणाल कुलकर्णी जैसे दिग्गज कलाकारों ने काम किया है। हिन्दूवादी संगठनों, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा भी फिल्म का समर्थन किया जा रहा है। ग्वालियर में फिल्म देखकर निकले लोगों से  लीड स्टोरी ने बातचीत की तो ज्यादातर लोगों का कहना था कि यह फिल्म नहीं सच्चाई हैं जिसे तब की सरकार ने छुपाया था।

यह बोले शहर के लोग…

मैं अपने सभी कार्यकताओं को लेकर आज फिल्म देखने आया हूंऔर लोगो से कहना चाहता हूं कि अपने परिवार के साथ इस फिल्म को देखें। इस पिक्चर के माध्यम से कश्मीर की वो सच्चाई जानने को मिली है, जो अबतक देश के लोगों को मालूम नहीं थी।

वासुदेव झा, शहीद भगत सिंह मंडल अघ्यक्ष भाजपा


जाति धर्म से ऊपर उठकर इसे इंसानियत के नाते देखना चाहिए यदि आप इंसान है तो आपकी आंखों में फिल्म देखकर आंसू जरूर आ जाएंगे।

अरविंद शर्मा,युवा भाजपा नेता


मध्य प्रदेश सरकार ने फिल्म को टैक्स  फ्री कर दिया है। सभी को इसे जरूर देखना चाहिए।

सुशील उपाध्याय,युवा मोर्चा भाजपा


फिल्म वो सच्चाई है जो हमने सिर्फ सुनी भर थी,देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कितना दर्द सहा हमारे भाइयों ने।

गिरार्ज दीक्षित, मंडल मंत्री भाजपा


ऐसी अच्छी फिल्म बनाने वाले निर्देशक को धन्यवाद जिन्होंने सच्चाई सामने ला दी।

मनीष भिलवार,महामंत्री भाजपा


सुना है इसके निर्देशक ग्वालियर के हैं इसीलिए मैं फिल्म देखने आया।

जय बाथम,मछूआरा प्रकोष्ठ जिला संयोजक भाजपा


फिल्म में कई सीन रूलाकर रख देते हैं। कश्मीर में उस समय क्या हुआ देखकर बहुत बुरा लग रहा है। फिल्म बहुत अच्छी हैं।

संतोष दुबे


मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि फिल्म में हिन्दुआ का दर्द देखकर मुझे रोना आ गया। इससे ज्यादा में कुछ नही कह सकता।
भूरा थापक 

अभी तो मैं अपने कार्यकर्ताओं के साथ आया हूं पर एक बार और अपने परिवार के साथ आऊंगा ताकि हमारे बच्चे भी जान सकें हमारे देश में हमारी कौम पर कितना अत्याचार हुआ हैं।

दीपक मुदगल,किसान मोर्चा मण्डल अध्यक्ष

पहले भी बन चूकी हैं कश्मीर घाटी पर फिल्में
साल 2020 में विधु विनोद चोपड़ा द्वारा ‘शिकारा नामक फिल्म का निर्देशन किया गया था। यह फिल्म भी कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के हत्याकांड व पलायन पर आधारित थी। विधु विनोद चोपड़ा ने एक लव स्टोरी के जरिए कश्मीरी लोगों की पीड़ा को दर्शाने की कोशिश की थी वही सुपरस्टार संजय दत्त और रितिक रोशन को लेकर मिशन कश्मीर जैसी हित फिल्म में भी कश्मीर को एक अलग तरिके से दिखाने की कोशिश की गई थी। लेकिन विवेक अग्निहोत्री ने ‘द कश्मीर फाइल्स के जरिए एक रोंगटे खड़े करने वाली अलग कहानी को दर्शाने की कोशिश की. उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं की कहानी को गहरे और बहुत ही कठोर तरीके से इस फिल्म के जरिए सुनाने की कोशिश की है. वह हमें एक पूरी तरह से एक अलग दुनिया में ले जाते हैं. फिल्म में कई ऐसे सीन हैं जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगे. फिल्म आपको पूरे समय अपनी सीट से बांधे रखेगी। फिल्म की कहानी अच्छी है और विवेक अग्निहोत्री अपने कार्य में पूरी तरह से सफल नजर आते हैं.हांलाकि फिल्म समीक्षक इसे रेटिंग – 3 ही दे रहे हैं।

 

निर्देशक के बारे में
साल 2019 में विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स रिलीज हुई थी और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई. इस फिल्म को दो नेशनल अवॉर्ड भी मिले थे। ‘द ताशकंद फाइल्स के बाद अब विवेक अग्निहोत्री ‘द कश्मीर फाइल्स लेकर आए हैं। इस फिल्म में उन्होंने 90 के दशक में कश्मीर में हुए कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के नरसंहार और पलायन की कहानी को दर्शाया है। इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती जैसे धुरंधर कलाकार तो हैं ही, लेकिन साथ ही फिल्म में पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार जैसे मंझे हुए कलाकार भी नजर आए। ‘द ताशकंद फाइल्स को दर्शकों और क्रिटिक्स से काफी सराहना मिली थी। ‘द कश्मीर फाइल्स के जरिए विवेक अग्निहोत्री एक बार फिर दर्शकों का दिल जीत पाने में कामयाब हुए हैं।

क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी कश्मीर के एक टीचर पुष्कर नाथ पंडित (अनुपम खेर) की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है. कृष्णा (दर्शन कुमार) दिल्ली से कश्मीर आता है, अपने दादा पुष्कर नाथ पंडित की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए. कृष्णा अपने दादा के जिगरी दोस्त ब्रह्मा दत्त (मिथुन चक्रवर्ती) के यहां ठहरता है. उस दौरान पुष्कर के अन्य दोस्त भी कृष्णा से मिलने आते हैं. इसके बाद फिल्म फ्लैशबैक में जाती है। फ्लैशबैक में दिखाया जाता है कि 1990 से पहले कश्मीर कैसा था. इसके बाद 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को मिलने वाली धमकियों और जबरन कश्मीर और अपना घर छोड़कर जाने वाली उनकी पीड़ादायक कहानी को दर्शाया जाता है. कृष्णा को नहीं पता होता कि उस दौरान उसका परिवार किस मुश्किल वक्त से गुजरा होता है. इसके बाद 90 के दशक की घटनाएं की परतें उसके सामने खुलती हैं और दर्शाया जाता है कि उस दौरान कश्मीरी पंडित किस पीड़ा से गुजरे थे. पूरी कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है.
संजय का रिव्यू
अभिनय
कलाकारों की एक्टिंग ने इस फिल्म को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. वैसे तो अनुपम खेर ने कई बार अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता है, लेकिन इस फिल्म में अनुपम खेर ने पुष्कर नाथ पंडित के किरदार को ऐसे निभाया कि दर्शक आश्चर्यचकित रह जाएंगे। उन्होंने एक बार फिर से ये साबित किया कि वह फिल्म इंडस्ट्री के सबसे शानदार वर्सेटाइल एक्टर हैं वहीं, मिथुन चक्रवर्ती ने भी अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। एक स्टूडेंट लीडर के तौर पर दर्शन कुमार ने बहुत ही प्रभावी अभिनय का प्रदर्शन किया वहीं, पल्लवी जोशी की बात करें तो ‘द ताशकंद फाइल्स के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था और एक बार फिर से उन्होंने साबित किया कि वह ‘द कश्मीर फाइल्स के लिए भी पुरस्कार की मजबूत दावेदार हैं. यहां पर चिन्मय की एक्टिंग की भी तारीफ करना चाहेंगे, जिन्होंने फारुक अहमद के तौर पर स्क्रीन पर एक अमिट छाप छोड़ी है. इनके अलावा बाकी कलाकारों ने भी अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है।
फिल्म में कहां रह गई कमी?
फिल्म में जो कमी हमें नजर आई, वो है इसका रनिंग टाइम. यह फिल्म 2 घंटे 50 मिनट की है। इस फिल्म में आसानी से 30 मिनट का कट लगाया जा सकता था। कहीं- कहीं पर फिल्म काफी बोझिल नजर आती है। ऐसा लगता है कि फिल्म के कुछ सीन्स को जबरदस्ती खींचने की कोशिश की गई है। इसके अलावा फिल्म का म्यूजिक भी कुछ खास नहीं लगा है। अगर बैकग्राउंड स्कोर और अच्छा होता, तो फिल्म को ये और भी नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता था। यह फिल्म कमजोर दिल वाले लोगों के लिए नहीं है। अगर आपका दिल मजबूत है तो ही आप इस फिल्म को देखें, क्योंकि फिल्म में कई ऐसे सीन हैं, जिन्हें देखकर आप अपनी आंखें बंद कर सकते हैं। खैर, फिल्म अच्छी है, इसे आपको एक बार जरूर देखना चाहिए।