जस्टिस यूयू ललित होंगे अगले चीफ जस्टिस, CJI ने केंद्र को भेजी सिफारिश

जस्टिस यूयू ललित होंगे अगले चीफ जस्टिस, CJI ने केंद्र को भेजी सिफारिश
नौ नवंबर, 1957 को जन्मे जस्टिस ललित ने जून 1983 में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया था और दिसंबर 1985 तक बम्बई उच्च न्यायालय में वकालत की थी। वह जनवरी 1986 में दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था। जस्टिस ललित आठ नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त होंगे।

4 जुलाई 22। जस्टिस यू यू ललित देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। मौजूदा CJI जस्टिस रमना ने केंद्र सरकार को जस्टिस ललित के नाम की सिफारिश भेजी है। परम्परा के मुताबिक रिटायर होने वाले CJI नए CJI के नाम की सिफारिश करते हैं। 26 अगस्त को CJI रमना रिटायर हो रहे हैं। बता दें कि जस्टिस यूयू ललित मुसलमानों में ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। वह ऐसे दूसरे प्रधान न्यायाधीश होंगे, जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया गया। उनसे पहले जस्टिस एसएम सीकरी मार्च 1964 में शीर्ष अदालत की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे। वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे।

जस्टिस ललित मौजूदा प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण के सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद 27 अगस्त को भारत के 49वें सीजेआई बनने के लिए कतार में हैं। जस्टिस ललित को 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। तब वह जाने-माने वकील थे। जस्टिस ललित तब से शीर्ष अदालत के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3-2 के बहुमत से ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। उन तीन न्यायाधीशों में जस्टिस ललित भी थे।

जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’’ संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा है, बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में जस्टिस ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास केरल में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार है।

नौ नवंबर, 1957 को जन्मे जस्टिस ललित ने जून 1983 में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया था और दिसंबर 1985 तक बम्बई उच्च न्यायालय में वकालत की थी। वह जनवरी 1986 में दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था। जस्टिस ललित आठ नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त होंगे।