इस्लामी आतंकवाद के हमले रोकने में लचर साबित हो रहा है जर्मन माॅडल!

राजनीतिक और धार्मिक चरमपंथ (religious extremism)जर्मनी में लंबे समय तक लोकतंत्र के लिए एक खतरा रहा है। आतंकवाद रोधी केंद्र में पुलिस और खुफिया तंत्र का नेटवर्क इस्लामी चरमपंथी हमले को रोकने के लिए काम करता है, लेकिन यह कितने काम का है?

इस्लामी आतंकवाद के हमले रोकने में लचर साबित हो रहा है जर्मन माॅडल!
पेशे से वकील और सोसायटी फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख उल्फ बायरमेयर जीएटीजेड को जर्मन सुरक्षा तंत्र में पथभ्रष्ट विकास का लक्षण मानते हैं। बायरमेयर ने बवेरियन कॉस्टीट्यूशन एक्ट के खिलाप संघीय संवैधानिक अदालत में शिकायत भी दर्ज कराई है।  उन्होंने अपनी बात यह कह कर खत्म की

26 जुलाई 22। 19 दिसंबर, 2016 जर्मनी के ज्वाइंट काउंटर टेररिज्म सेंटर के लिए एक काला दिन साबित हुआ। यही वो दिन था जब अनीस आमरी नाम के एक आतंकवादी ने चोरी के एक ट्रक को बर्लिन के ब्राइटशाइडप्लात्ज के क्रिसमस बाजार में लोगों की भीड़ पर चढ़ा दिया। 12 लोगों की मौत हुई और 60 से ज्यादा लोग घायल हुए जिनमें कई बहुत गंभीर हालत में पहुंच गये। इस घटना के कई पीड़ित आज भी उसका दंश झेल रहे हैं। जर्मनी के लिहाज से यह सबसे बड़ा इस्लामी आतंकवादियों का हमला था।

केंद्रीय गृह मंत्री नैंसी फेजर उस वक्त बर्लिन से बहुत दूर थीं, उन्होंने 2021 में मौजूदा जिम्मेदारी संभाली है। वह हेसे राज्य के विधानसभा में थी। अपनी नई भूमिका में आने के बाद उन्होंने बर्लिन के ज्वाइंट काउंटर टेररिज्म सेंटर यानी गीटीएजेड का दौरा किया। यह सेंटर खासतौर से इस्लामी आतंकवाद के मामलों से निपटता है।

यहां संघीय और राज्यों की 40 सुरक्षा एजेंसियां साथ मिल कर काम करती है। इतनी बड़ी संख्या की वजह यह है कि सभी 16 जर्मन राज्यों में अलग अपराध जांच विभाग और घरेलू खुफिया एजेंसियां है। हर दिन 40 एजेंसियों के प्रतिनिधि विशाल काफ्रेंस रूम में मुलाकात करते हैं और जर्मनी के मौजूदा खतरों पर चर्चा करते हैं।

जर्मन गृह मंत्री ने नेटवर्किंग के इस तरीके को इस्लामी आतंकवाद से लड़ाई में "इमारत की सबसे अहम ईंट" करार दिया है। 2004 में इसके गठन के बाद अब तक इसने 21 हमलों को नाकाम करने में सफलता पाई है। गृह मंत्री का कहा है कि यह "एक बड़ी उपलब्धि है।" हालांकि वो यह भी मानती हैं कि 11 दूसरे भी मामले हैं जिनमें अधिकारियों को बहुत देर हो गई। फेजर का कहना है, "इसका मतलब है कि खतरे का स्तर बहुत ज्यादा है।"

इस्लामी चरमपंथ से लड़ाई

हारबार्थ अब कार्ल्सरुहे की संघीय संवैधानिक अदालत के प्रमुख हैं और ज्यादा केंद्रीय नियंत्रण देखना चाहते हैं। जर्मनी के पूर्व सांसद ने मांग की है, (We need to involve federal departments more in dealing with dangerous people) "खतरनाक लोगों से निपटने में हमें संघीय विभागों को ज्यादा शामिल करने की जरूरत है।"

अपनी नयी भूमिका में उन्हें आतंकवाद से लड़ाई के मुद्दे से भी निपटना है। बार बार अदालत को सुरक्षा तंत्र और उस विधायिका से जूझना पड़ता है जो पुलिस और खुफिया सेवाओं का आधार है। इनमें पुलिस के अलावा संघीय खुफिया एजेंसी, बीएनडी और घरेलू खुफिया एजेंसियों के साथ ही संविधान की रक्षा करने वाले संघीय विभाग बीएफवी भी शामिल हैं।

संघीय अपराध पुलिस ऑफिस यानी बीकेए की वेबसाइट पर जीटीएज को एक "सहयोग का मंच" कहा गया है। इसके मुताबिक "सभी उपयुक्त कर्मियों की विशेषज्ञता" जोड़ी जायेगी और "असरदार सहयोग" को संभव बनाया जाएगा। हालांकि व्यवहार में यह कभी कभी गलत हो सकता है और अनीस आमरी जैसे मामले ने दिखाया है कि इसकी नाकामी कितनी तकलीफदेह है।

जर्मन सुरक्षा बलों की आलोचना

पेशे से वकील और सोसायटी फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख उल्फ बायरमेयर जीएटीजेड को जर्मन सुरक्षा तंत्र में पथभ्रष्ट विकास का लक्षण मानते हैं। बायरमेयर ने बवेरियन कॉस्टीट्यूशन एक्ट के खिलाप संघीय संवैधानिक अदालत में शिकायत भी दर्ज कराई है।  उन्होंने अपनी बात यह कह कर खत्म की "ढेर सारे रसोइये भोजन का स्वाद बिगाड़ देते हैं।

संघीय संवैधानिक अदालत में वह एक समय रिसर्च असिस्टेंट रहे हैं। अदालत को दिये बयान में बायरमेयर ने सुरक्षा विभागों के बीच काम के बंटवारे में अस्पष्टता के लिए उनकी आलोचना की। उनका कहना है कि अगर कई एजेंसियां "बहुत थोड़ी थोड़ी" जिम्मेदारी लेंगी तो वो खतरे का एक बहुत छोटा हिस्सा ही देखती हैं, "लेकिन तब कोई एजेंसी इन छोटे छोटे टुकड़ों को जोड़ कर वो किसी स्थिति की पूरी तस्वीर नहीं बनाती।"

उस वक्त केंद्रीय आंतरिक मामलों के मंत्री रहे, थोमस दे मेजियेर ने सुझाव दिया था कि अनीस आमरी जैसे चरमपंथी से निबटने में हुई कई गलतियों के बाद जर्मन सुरक्षा तंत्र को ज्यादा केंद्रीकृत किया जाना चाहिए। हालांकि वह संघीय राज्यों के आगे प्रबल रूप में सामने नहीं आ सके। वास्तव में हालात जस के तस ही बने रहे।