NDTV : प्रणय-राधिका अड़ंगा डालकर अडानी को रोक पाएंगे, क्या है प्लान?

एनडीटीवी के टेकओवर (ndtv takeover) पर रार बढ़ता जा रहा है। इसमें नए मोड़ आ रहे हैं। मीडिया कंपनी के प्रमोटर राधिका रॉय (Radhika Roy) और प्रणय रॉय (Prannoy Roy) इस टेकओवर को टालने की हर कोशिश में जुटे हुए हैं। बाजार नियामक सेबी (SEBI) के बाद उन्होंने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का हवाला दिया है। सवाल यह है कि इन अड़ंगों से अडानी की टेकओवर की कोशिश को कितने समय तक रोका जा सकता है।

NDTV :  प्रणय-राधिका अड़ंगा डालकर अडानी को रोक पाएंगे, क्या है प्लान?
एनडीटीवी लिमिटेड (NDTV Limited) ने स्टॉक एक्सचेंजों को बताया है कि विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) को पहले बाजार नियामक सेबी की मंजूरी लेनी होगी। सेबी ने 27 नवंबर, 2020 को एक आदेश जारी किया था। इसके तहत एनडीटीवी के संस्थापकों राधिका रॉय और प्रणय रॉय पर दो साल के लिए रोक लगाई थी। यह उन्हें सिक्योरिटी मार्केट में शेयरों की खरीद-फरोख्त से रोकता है। प्रतिबंध की यह अवधि 26 नवंबर को समाप्त होनी है।

2 सितंबर 22।  कभी सेबी का हवाला तो कभी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की दुहाई। अडानी ग्रुप को रोकने के लिए NDTV सारे हाथ-पांव मार रही है। जिस दिन से अडानी ग्रुप ने एनडीटीवी के अधिग्रहण का ऐलान किया है तब से यह कवायद जारी है। अडानी समूह ने 23 अगस्त को वीसीपीएल (VCPL) के जरिये मीडिया कंपनी में 29।18 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण की घोषणा की थी। साथ ही अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए ओपन ऑफर लाने को कहा था। वीसीपीएल की आरआरपीआर होल्डिंग (RRPR Holdings) में 99.99 फीसदी हिस्सेदारी है। यह अब अडानी ग्रुप की कंपनी है। आरआरपीआर होल्डिंग NDTV की प्रमोटर है। अडानी ग्रुप के ऐलान के पहले ही दिन एनडीटीवी ने कहा था कि इसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। फिर उसने बाजार नियामक सेबी को बीच में डाला। अब वह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का एंगल लाई है। सवाल है कि इस तरह से एनडीटीवी अडानी ग्रुप को कब तब टेकओवर करने से रोक पाएगी।

एनडीटीवी लिमिटेड (NDTV Limited) ने स्टॉक एक्सचेंजों को बताया है कि विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) को पहले बाजार नियामक सेबी की मंजूरी लेनी होगी। सेबी ने 27 नवंबर, 2020 को एक आदेश जारी किया था। इसके तहत एनडीटीवी के संस्थापकों राधिका रॉय और प्रणय रॉय पर दो साल के लिए रोक लगाई थी। यह उन्हें सिक्योरिटी मार्केट में शेयरों की खरीद-फरोख्त से रोकता है। प्रतिबंध की यह अवधि 26 नवंबर को समाप्त होनी है।

क्या है संस्थापकों की दलील?

एनडीटीवी के संस्थापकों का तर्क है कि पाबंदी चूंकि अभी जारी है। लिहाजा, वीसीपीएल के लिए वॉरंट को इक्विटी में बदलने के विकल्प के इस्तेमाल को लेकर सेबी से मंजूरी की जरूरत है। ये वॉरंट कन्वर्टिबल हैं। इन्हें कर्ज के बदले जारी किया गया था। दोनों पक्षों ने सेबी का दरवाजा खटखटाया है। उससे चीजें स्पष्ट करने की मांग की है। लिहाजा, इस पूरे मामले में रेगुलेटर की टिप्पणी अहम होगी।

एनडीटीवी का इनकम टैक्स कनेक्शन

इसके बाद एनडीटीवी ने एक और अड़ंगा पेश किया है। उसने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का हवाला दिया। उसने बताया कि एनडीटीवी में राधिका रॉय और प्रणय रॉय की हिस्सेदारी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अस्थायी तौर पर कुर्क कर रखा है। उसके ट्रांसफर के लिए डिपार्टमेंट की मंजूरी जरूरी है। इस दलील को अडानी समूह ने खारिज किया है। इसे ‘गलत’ और ‘भ्रामक’ बताया है। ग्रुप ने आरआरपीआर होल्डिंग को वॉरंट को इक्विटी शेयर में बदलने के लिए कहा है।

क्या है अडानी ग्रुप का कहना?

अडानी ग्रुप ने आरोप लगाया है कि यह सब कुछ वॉरंट को शेयर में बदलने और अपने दायित्वों को पूरा करने में देरी के इरादे से किया जा रहा है। ग्रुप ने कहा कि आरआरपीआर होल्डिंग के पत्र में प्रामाणिकता का अभाव है। कानून के तहत इसका कोई आधार नहीं है। वास्तव में यह गलत इरादे से लिखा गया है। एक्सपर्ट मानते हैं कि एनडीटीवी की कोशिशों से अधिग्रहण को टाला जा सकता है। लेकिन, अडानी के हाथों में जाने से इसे रोक पाना मुश्किल है।