लालू ने कहा था ‘बीमार पड़े नीतीश तो समझो खतरनाक काम में लगा हुआ है’

बिहार में देखते ही देखते पक्ष विपक्ष हो गया और विपक्ष पक्ष। 5 साल पहले जो हुआ था, वही एक बार फिर हुआ है। मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही रहेंगे, लेकिन सहयोगी बदल गए। आरजेडी अब सत्ताधारी दल बन गया है और बीजेपी विपक्ष में आ गई है।

लालू ने कहा था ‘बीमार पड़े नीतीश तो समझो खतरनाक काम में लगा हुआ है’
लगभग पांच साल बाद नीतीश कुमार एक बार फिर बीमार पड़े। बीजेपी नेताओं से दूरी तो पहले सी बना रखे थे। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के कार्यक्रम से दूर रहे। मतलब साफ है कि डिस्टेंस मेंटेन कर रहे थे। ऐसा डिस्टेंस मेंटन किए कि बिहार में सरकार ही बदल गई। यानी कि जो लालू यादव ने पांच साल पहले कहा था, वह बात एक बार फिर सच साबित हुई।

10 अगस्त 22। 27 अगस्त 2017, स्थान पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान। नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गए थे। बीजेपी के साथ बिहार में सरकार चला रहे थे। उस समय सबसे अधिक कोई परेशान था तो, वो थे लालू यादव। होते भी क्यों नहीं, लंबे अर्से के बाद उनकी पार्टी सत्ता में आयी थी, लेकिन नीतीश ने एक ही झटके में सत्ता से बाहर कर दिया था। ऐसे में लालू यादव नीतीश कुमार को कोस रहे थे, बीजेपी पर बमक रहे थे। यूं कहें तो बीजेपी पर कम नीतीश पर उनका गुस्सा अधिक था। 

सरकार से बाहर निकलने के लगभग एक महीने के बाद आरजेडी की पटना में 'भाजपा भगाओ रैली' आयोजित हुई थी। इस रैली में विपक्षी पार्टियों के नेता भी शामिल हुए थे। सभी पार्टियों के नेता एक एक कर जमकर बीजेपी पर बरस रहे थे। वहीं लालू यादव बीजेपी पर तो बरसे ही, नीतीश को कोसने का एक भी मौका नहीं चूके। भाषण देते हुए लालू यादव ने कहा कि 'नीतीश कुमार जब बीमार पड़ जाए तो समझो कि खतरनाक काम में लगा हुआ है'।(Giving the speech, Lalu Yadav said that 'When Nitish Kumar falls ill, understand that he is engaged in dangerous work')

अब आप सोच रहे होंगे कि लालू यादव ने तो 5 साल पहले यह बात कही थी। आज के संदर्भ में इसका मतलब क्या है? दरअसल, नीतीश कुमार कुछ दिनों पहले कोरोना से संक्रमित हो गए थे। एक सप्ताह बाद नेगेटिव होकर काम पर वापस लौटे। दो दिन भी नहीं हुआ कि बिहार में सियासी खेल हो गया। जो कल तक पक्ष था, वह विपक्ष हो गया और विपक्ष सरकार। देखते ही देखते सत्ता परिवर्तन हो गया।

 2017 में भी नीतीश पड़े थे बीमार

साल 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ सरकार चला रहे थे। तेजस्वी यादव डेप्युटी सीएम थे। महीना सावन का ही था। अचानक मीडिया पर खबर आती है कि नीतीश कुमार बीमार हैं। उन्होंने कुछ दिनों के लिए सबसे दूरी बना ली। फिर खबर आयी कि नीतीश कुमार स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए राजगीर जा रहे हैं। नीतीश राजीगर गए। तीन-चार दिन बाद वापस पटना आए। पटना पहुंचने के कुछ दिनों के बाद ही बिहार में सियासी खेल हो गया। नीतीश महागठबंधन से अलग हो गए और बीजेपी के साथ सरकार बना लिए। 

गांधी मैदान में लालू ने किया था कटाक्ष

सत्ता से बाहर होने के बाद लालू यादव की आरजेडी ने पटना 'भाजपा भगाओ रैली' का आयोजन किया। इस रैली में सभी विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया गया था। लालू ने अपने भाषण में कहा था 'नीतीश जब बीमार पड़ जाए तो समझो कि वह खतरनाक काम में लगा हुआ है। 20 बार फोन किए हालचाल जानने के लिए। उसका आदमी बताया कि बहुत फीवर है। ठीक होंगे तो हम बता करा देंगे। तब हम समझ गए कि ई आदमी डिस्टेंस मेंटेन कर रहा है।'

डिस्टेंस मेंटेन मतलब गई सरकार

लगभग पांच साल बाद नीतीश कुमार एक बार फिर बीमार पड़े। बीजेपी नेताओं से दूरी तो पहले सी बना रखे थे। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के कार्यक्रम से दूर रहे। मतलब साफ है कि डिस्टेंस मेंटेन कर रहे थे। ऐसा डिस्टेंस मेंटन किए कि बिहार में सरकार ही बदल गई। यानी कि जो लालू यादव ने पांच साल पहले कहा था, वह बात एक बार फिर सच साबित हुई।