750 छात्राओं का बनाया 'आजादीसैट' लॉन्च करेगा ISRO, गेमचेंजर है प्लान

आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर ISRO 750 छात्राओं का बनाया आजादीसैट लॉन्च करने वाला है। इसे एसएसएलवी से लॉन्च किया जाएगा जो अपने साथ तिरंगा भी लेकर जाएगा। जानें क्या है खास।

750 छात्राओं का बनाया 'आजादीसैट' लॉन्च करेगा ISRO, गेमचेंजर है प्लान
वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक छात्रों ने 8 किलो का सैटलाइट तैयार किया है जिसमें ऐक्सलेरोमीटर, टेंपरेचर सेंसर और रैडिएशन काउंटर लगे हैं। यह कम से कम 6 महीने तक काम करेगा।

5 अगस्त 22। चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ही कहा था कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ में (India will hoist the tricolor in space) भारत अंतरिक्ष में तिरंगा लहराएगा। अब ISRO इस वादे को पूरा करने जा रहा है। 7 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान (ISRO) अब तक के सबसे छोटे कमर्शल रॉकेट से 'आजादीसैट' सैटलाइट को लॉन्च करने वाला है। यह रॉकेट अपने साथ तिरंगा लेकर जाएगा और आसमान में लहराएगा।

क्या था प्रधानमंत्री का वादा?

पीएम मोदी ने कहा था कि गगनयान मिशन के जरिए राष्ट्रध्वज को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस मिशन में मानव भी अंतरिक्ष में जाएगा। हालांकि मिशन में देरी की वजह से अभी यह वादा तो पूरा नहीं हो पाया लेकिन इस मौके पर ISRO खास प्रयोग कर रहा है जो कि भविष्य के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। ISRO ने छोटे सैटलाइट को लॉन्च करने के लिए स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल (SSLV) डिवेलप किया है। इससे 500 किलोग्राम तक के वजन को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकता है।

ग्रामीण छात्राओं का बनाया सैटलाइट

'आजादी का अमृत महोत्सव' के मौके पर एसएसएलवी अपने साथ जिस सहयात्री को लेकर अंतरिक्ष में जा रहा है उसकी अपनी कई खासियत हैं। इसका नाम 'AzaadiSAT' है जो कि अपने साथ 750 ग्रामीण इलाकों की छात्राओं ने बनाया है और यह 75 तरह के काम करेगा। ग्रामीण छात्राओं को शोध और विज्ञान की तरफ प्रेरित करने के लिए यह प्रोजेक्ट चलाया गया था जिसके तहत छात्राओं ने मिलकर स्मॉल सैटलाइट तैयार किया है। 

भविष्य के लिए कितना उपयोगी होगा यह प्रयोग

वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में स्पेस प्रोग्राम के लिए यह मिशन बहुत ही उपयोगी साबित होने वाला है। 120 टन के इस एसएसएलवी से 500 किलोग्राम तक के भार को आसानी से पृथ्वी की कक्षा में भेजा जा सकता है। यह बहुत की कॉस्ट इफेक्टिव है। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा, यह नया सैटलाइट गेमचेंजर साबित हो सकता है।

ISRO के अधिकारियों के मुताबिक एसएसएलवी से मिनी, माइक्रो और नैनो सैटलाइट आसानी से प्लेनर ऑर्बिट में भेजे जा सकते हैं। इस बार जो प्लेलोड भेजा जा रहा है उसमें छात्रों ने यूएचएप-वीएचएफ ट्रांसपॉन्डर लगाया है जो कि हैम रेडियो के लिए काम करेगा, आयोनाइजिंग रैडिएशन मापने के लिए सॉलिड स्टेट पिन डायोड बेस रैडिएशन काउंटर और लॉन्ग रेंज ट्रांसपॉन्डर और सेल्फी कैमरा लगाया है। इसका डेटा रिसीव करने के लिए ग्राउंड स्टेशन सिस्टम भी बनाया गया है।