सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आएंगे प्राइवेट स्कूल

नए आदेश से प्राइवेट स्कूलों में चल रही गड़बड़ियों को रोकने में मदद मिलेगी

सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आएंगे प्राइवेट स्कूल

भोपाल। सूचना के अधिकार कानून के दायरे में प्राइवेट स्कूल भी आएंगे। वे अपने निजी या तीसरे पक्ष होने का हवाला देकर जानकारी देने से बच नहीं सकते हैं। मध्य प्रदेश राज्य सूचना एक मामले की सुनवाई करते हुए यह अहम निर्णय दिया है।

सूचना आयुक्त के आदेश के मुताबिक सभी प्राइवेट स्कूल की मान्यता संबंधित जानकारी को आरटीआई अधिनियम के अधीन माना गया है। आयुक्त ने आदेश जारी कर ये भी स्पष्ट किया है कि सरकार से अनुदान या रियायती दर पर जमीन लेने वाले स्कूलों पर आरटीआई अधिनियम पूरी तरह से लागू होगा। प्राइवेट स्कूल की जानकारी को गलत ढंग से रोकने पर शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों पर सिंह ने कुल 20000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

प्राइवेट स्कूलों पर लगेगा अंकुश -
राज्य सूचना के मुताबिक प्राइवेट स्कूल की जानकारी आम जनता की पहुंच में आने से अवैध तरीके से चल रहे प्राइवेट स्कूलों पर अंकुश लगेगा। यही नहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी। सिंह ने कहा कि “आम नागरिकों और अभिभावकों को यह जानने का हक है कि उनके बच्चे जिस प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं वे शासन द्वारा निर्धारित कानून के तहत संचालित हो रहे हैं या नहीं। शासन-प्रशासन में उपलब्ध प्राइवेट स्कूलों के मान्यता संबंधी दस्तावेजों की पारदर्शिता के मापदंड के अनुरूप आम आदमी को उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि  प्राइवेट स्कूल को संचालित करने वाली प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट सुनिश्चित हो सके।” सूचना आयुक्त ने कहा कि जानकारी आम जनता तक पहुंचने से शिक्षा विभाग का ही काम आसान होगा। यदि कोई स्कूल नियम अनुरूप नहीं चल रहा है और उसकी जानकारी आरटीआई के तहत आम जनता तक पहुंचती है तो ऐसी स्थिति में गलत तरीकों से चल रहे प्राइवेट स्कूलों की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

प्राइवेट स्कूल के लिए रेगुलेटर है शिक्षा विभाग -
आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी प्राइवेट स्कूल शासन-प्रशासन के नियम एवं कानून के अनुरूप संचालित होते हैं। लिहाजा, शिक्षा विभाग यहां रेगुलेटरी अथॉरिटी होने के नाते प्राइवेट स्कूलों से मान्यता संबंधी शर्तों के पूर्ण होने पर ही स्कूलों को संचालित करने की अनुमति प्रदान करता है। इसलिए वह नियम और कानून के तहत निजी स्कूल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को उपलब्ध कराएं। शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूल के तीसरे पक्ष होने के आधार पर जानकारी को रोक नहीं सकता है।

जानकारी 30 दिन में देने के निर्देश -
स्कूलों की मान्यता संबंधी जानकारी सरल एवं सुलभ स्वरूप में शिक्षा विभाग के पहुंच में हैं. इसलिए, कोई भी आम आदमी अगर आरटीआई दायर करके निजी स्कूलों की मान्यता संबंधी जानकारी मांगता है तो धारा 7 (1) के तहत 30 दिन के अंदर आरटीआई आवेदक को की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। सूचना आयुक्त ने साफ़ किया कि अगर मान्यता की जानकारी किसी कारण से विभाग मे उपलब्ध नहीं है तो शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों से जानकारी लें। यदि जानकारी देने में कोई भी प्राइवेट स्कूल मना करें तो विभाग स्कूल के RTE Act 2009 एवं RTE rules 2011 के तहत प्राइवेट स्कूलों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई कर सकते हैं।

इस प्रकरण में हुई थी आयोग में सुनवाई -
रीवा के एक RTI आवेदक ने जानकारी में वहां के निजी स्कूल की मान्यता संबंधी जानकारी मांगी थी। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई के लिए विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पास भेज दिया। लेकिन विकास खंड अधिकारी ने यह कहते हुए जानकारी उपलब्ध नहीं कराई की निजी स्कूल ने आरटीआई अधिनियम के अधीन ना होने से जानकारी देने से मना कर दिया है। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सुनवाई के बाद जानकारी को उपलब्ध न कराने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी रीवा केपी तिवारी और विकास खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी नीरज नयन तिवारी प्रत्येक पर 10000 – 10000 रुपए का जुर्माना लगा दिया।