धांधली : Aadhaar को राशन कार्ड से जोड़ा तो 50 लाख लाभार्थी हो गए बाहर

धांधली  : Aadhaar को राशन कार्ड से जोड़ा तो 50 लाख लाभार्थी हो गए बाहर
हिमंत बिस्वा शर्मा का कहना है कि इन अपात्र लाभार्थियों का नाम हटाने से राज्य सरकार को काफी बचत होगी। इसका प्रयोग सही लोगों को सूची में जोड़ने के लिए करेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्र खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के दायरे में 50 लाख लोगों को शामिल किया जाएगा।

7 सितंबर 22।   सरकारी सेवाओं का देशभर में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी फायदा उठा रहे हैं जो उसके लिए पात्र नहीं है। यह बात असम में राशन कार्डधारकों की सरकार द्वारा की जा रही जांच में सामने आया है। असम सरकार (Assam government)ने राशन कार्ड को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद 50 लाख राशन कार्डधारक राशन लेने ही नहीं आए और न ही इन लोगों ने अपने राशन कार्ड को आधार से लिंक कराया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने मंगलवार को केबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि राज्य में आधार कार्ड को राशन कार्ड से जोड़ने के दौरान सरकार को 50 लाख लाभार्थियों का अंतर मिला है। शर्मा ने कहा कि कुछ लोगों की संभवत: मृत्यु हो गई होगी जबकि कुछ लोग विवाह और अन्य कारणों से दूसरी जगह चले गए होंगे। वहीं, (Many ration cards were found to be fake)बहुत से राशन कार्ड फर्जी भी पाए गए हैं।

फर्जी लाभार्थियों पर सख्ती

गौरतलब है कि असम के खाद्य और नागरिक आपूर्ति निदेशालय ने सरकारी योजनाओं का गलत तरीके से लाभ उठा रहे लोगों की पहचान के लिए निगरानी काफी कड़ी कर दी है। राशन कार्डों के साथ आधार को जोड़ने से हमें अपात्र लाभार्थियों का पता लगाने में काफी मदद मिली है। मई से अगस्त अंत तक राशन कार्ड डेटाबेस से 40 लाख लाभार्थियों के नाम हटा दिए हैं। हटाए गए नाम मृत व्यक्तियों, अपात्र व्यक्तियों, डुप्लीकेट और फर्जी लाभार्थियों के हैं।

कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ेंगे नए लोग

हिमंत बिस्वा शर्मा का कहना है कि इन अपात्र लाभार्थियों का नाम हटाने से राज्य सरकार को काफी बचत होगी। इसका प्रयोग सही लोगों को सूची में जोड़ने के लिए करेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्र खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के दायरे में 50 लाख लोगों को शामिल किया जाएगा।

अरुणोदय योजना में भी मिले 62,000 अपात्र लोग

मुख्यमंत्री ने बताया कि अरुणोदय  योजना के तहत करीब 62,000 लोग अपात्र पाए गए हैं जबकि 2,000 लोगों ने स्वेच्छा से इस योजना का लाभ लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार इस योजना के तहत करीब 20 लाख लाभार्थी परिवारों को मासिक 1,250 रुपये की राशि देती है।