प्राइवेट स्कूलों की मनमानीः टीचरों को 5 से 6 महीने से नही दे रहे वेतन, लेकिन अभिभावकों से मांग रहे हैं पूरी फीस; नहीं देने पर बंद कर रहे हैं ऑनलाइन क्लासेस
शहर में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी हद से ज्यादा बढ़ती जा रही है। एक तरफ ये स्कूल अपने टीचरों को पांच से छह महीने का वेतन नहीं दे रहे हैं। टीचर लगातार इनसे अपना वेतन देने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सभी स्कूल मैनेजमेंट अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं कि वे ट्यूशन फीस के नाम पर स्कूल की पूरी फीस जमा करें जबकि अधिकृत तौर पर स्कूलों के खुलने पर सरकार ने पाबंदी लगा रखी है। ऐसे में स्कूल जो ऑनलाइन क्लासेज चला रहे हैं, उनको चलाने और अपने टीचरों को वेतन देने के नाम पर अभिभावकों पर पूरी फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। जो अभिभावक फीस देने से मना करते हैं, तो उनके बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस बंद करा दी जाती है। इस मामले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के जानकार और आरटीआई एक्टिविस्ट सुधीर सप्रा ने कुछ स्कूल संचालकों की मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोला तो उनको अपने फैसलों पर पुनर्विचार करना पड़ा है।
यह स्कूल है विवादों के केंद्र में
ईसीएस बैगलेस स्कूल, ईरा वर्ल्ड स्कूल, जीडी गोयनका स्कूल, डीपीएस पब्लिक स्कूल, आईटीएम ग्लोबल स्कूल सहित शहर में करीब 20 से 25 स्कूल हैं, जहां स्कूल के टीचरों का वेतन मिलने में मैनेजमेंट द्वारा दिक्कत पैदा की जा रही है। शहर में सीबीएसई के कुल 45 स्कूल हैं, जिनमें से 40 स्कूलों में शिक्षकों को नियमित रूप से वेतन नहीं मिल पा रहा है। अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों को तीन से चार महीने बाद एक माह का वेतन दिया जा रहा है।
क्या है ट्यूशन फीस की परिभाषा
मध्यप्रदेश में अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि ट्यूशन फीस की परिभाषा क्या है। ट्यूशन फीस के रूप में कोई स्कूल पूरी फीस मांग लेता है, तो कोई अन्य स्कूल मेंटेनेंस और पढ़ाई का शुल्क मांगता है। जब तक यह तय नहीं हो जाता कि पेरेंट्स को ट्यूशन फीस के रूप में कितना शुल्क स्कूलों को अदा करना है। तब तक स्कूलों को भी पेरेंट्स पर अनुचित दबाव नहीं बनाना चाहिए।
नियम-कानून का मखौल उड़ा रहे हैं स्कूल
“लगभग सभी प्राइवेट सीबीएसई स्कूल सारे नियम कानून का मखौल उड़ा रहे हैं। यह पेरेंट्स टीचरों को वेतन देने के नाम पर पूरी फीस जमा करने का दवाब बनाते हैं नहीं देने पर ऑनलाइन क्लासेज बंद करने की धमकियां देते हैं और अगर पेरेंट्स फीस जमा भी कर देते हैं तो अपने शिक्षकों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं करते। जो स्कूल इस तरह की गतिविधियों में लिप्त है मैं उनके खिलाफ शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई कराने के लिए प्रयासरत हूं।”
सुधीर सप्रा, आरटीआई एक्सपर्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता
वेतन रोका नहीं, सिर्फ लेट हो रहा है
“हमने किसी का वेतन नहीं रोका है। हम सभी टीचरों को वेतन दे रहे हैं, लेकिन किसी को घर तक चेक पहुंचाने या खाते में पैसा डालने में थोड़ा समय लग जा रहा है। जहां तक ऑनलाइन क्लासेस की बात है, तो हमें तो कई पेरेंट्स ने फीस नहीं चुकाई है। इसके बावजूद हम सभी की क्लासेस लगा रहे हैं।”
प्रिया अरोड़ा, संचालक, जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल