शिवराज ने कहा कि एक अच्छा कार्यकर्ता पार्टी के हर आदेश को फॉलो करता है।
कभी कल्पना नहीं की थी, विधायक, सांसद, मंत्री बनूंगा... मुख्यमंत्री का तो कभी सोच ही नहीं सकता था।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर कहा है कि मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं। मैं अपने लिए कोई भूमिका तय नहीं कर सकता। अगर पार्टी नेतृत्व कहेगा तो मैं दरी बिछाने के लिए लिए भी तैयार हूं। शिवराज ने यह बात दिल्ली में दोहराई है। जहां वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेने पहुंचे थे। अंग्रेजी अखबार ET (इकोनॉमिक टाइम्स) के पूछे सवाल का जवाब देते हुए सीएम ने कहा कि एक अच्छा कार्यकर्ता पार्टी के आदेश को फॉलो करता है। वह अपने बारे में खुद फैसले नहीं लेता। पार्टी को पता है कि किस कार्यकर्ता से क्या काम लेना है।
शिवराज से पूछा गया था कि राज्य छोड़कर आप राष्ट्रीय राजनीति में अपने आप को कहां देखते हैं। इस पर शिवराज ने कहा कि मैं केवल भाजपा का आम कार्यकर्ता हूं। चुनाव की बात पर उन्होंने कहा कि हमारे लिए हर साल चुनावी साल होता है। हम रेगुलर इस पर काम करते रहते हैं। चुनावी साल का कॉन्सेप्ट उन लोगों के लिए है, जो चार साल काम नहीं करते हैं। इतने सालों में मेरा लक्ष्य इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य और नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए काम करना रहा है।
पांच महीने पहले जब शिवराज सिंह को भाजपा संसदीय बोर्ड से बाहर किया गया था तब भी उन्होंने कहा था कि मुझे बिल्कुल भी अहम नहीं है कि मैं ही योग्य हूं। पार्टी मुझे दरी बिछाने का काम देगी तो राष्ट्र हित में यह भी करूंगा। पार्टी कहेगी कि जैत (मुख्यमंत्री का गृह गांव) में रहो तो वहां रहूंगा। पार्टी कहेगी कि भोपाल में रहो तो भोपाल में रहूंगा। राजनीति में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं होना चाहिए।
शिवराज ने कहा था कि भाजपा एक विशाल परिवार है। इसके प्रवाह में कोई आगे बढ़ता है तो कोई बाहर आता है। केंद्रीय स्तर पर एक टीम होती है जो यह तय करती है कि किसे, क्या काम करना है। जैसे हम प्रदेश में तय करते हैं। शिवराज ने कहा- राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संसदीय बोर्ड में जिन्हें शामिल किया है, वे सभी योग्य हैं। इसमें पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण को ध्यान में रखा गया है।
शिवराज ने कहा था कि हम भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता बड़े लक्ष्य को सामने रखकर सालों से काम कर रहे हैं। जब काम शुरू किया था तो नहीं पता था कि कभी विधायक भी बनूंगा। 17 साल की उम्र में आपातकाल का विरोध करने पर जेल भेज दिया गया था। 1974 में जेपी मूवमेंट से जुड़ा। फिर विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता रहा।कभी कल्पना नहीं की थी, विधायक, सांसद, मंत्री बनूंगा... मुख्यमंत्री का तो कभी सोच ही नहीं सकता था।