यूपी में बिना ओबीसी आरक्षण निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

3 महीने टाली प्रोसेस, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तुरंत चुनाव कराने का आदेश दिया था

यूपी में बिना ओबीसी आरक्षण निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

नई दिल्ली/ध्लखनऊ। 2 जनवरी को हुई सुनवाई में यूपी सरकार की तरफ से मांग की गई थी कि स्थानीय निकाय चुनाव अब आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही कराए जाएं। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निकाय चुनाव तीन महीने के लिए टालने की इजाजत दी है। इस तीन महीने के दौरान पिछड़ा वर्ग के लिए बनाया गया आयोग अपनी रिपोर्ट फाइल करेगा। इस दौरान कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सकेगा। यूपी में निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना ही कराने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। बुधवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में के बारे में निर्देशित किया है, इस पर रोक लगाई जाती है। इस पर कोर्ट ने संबंधित पक्षों से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 26 दिसंबर को बड़ा फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के बिना ही निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था। ऐसे में ओबीसी के लिए आरक्षित सीट अब जनरल मानी जाएगी। वहीं, कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद cm योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया सामने आई थी। उन्होंने मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि पहले ओबीसी आरक्षण देंगे, फिर चुनाव कराएंगे।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने आयोग बनाया, हर जिले में सर्वे होगा
ासरकार ने 28 दिसंबर को 5 सदस्यों का ओबीसी आयोग बनाया। रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह को नियुक्त किया गया। आयोग का काम है कि ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट करके अपनी रिपोर्ट शासन को दे। इसके आधार पर ओबीसी आरक्षण निर्धारित होगा। जस्टिस राम अवतार ने कहा था कि व्ठब् आरक्षण कठिन और चुनौतीपूर्ण है। प्रदेश के हर जिले में जाकर सर्वे करना होगा। ऐसे में आयोग को रिपोर्ट देने में 6 महीने का समय लग सकता है।