बस दुइए बरिस' निरहुआ का वो वादा, जो आजमगढ़ की जनता के दिल में बस गया
यूपी की दो लोकसभा सीट रामपुर और आजमगढ़ उपचुनाव के लिए 23 जून को हुए मतदान के बाद रविवार यानी 26 जून को Result आ गया है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना सुबह आठ बजे से शुरू हुई। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव 2022 को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। बीजेपी के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को हरा दिया।
26 जून 22। 'दुइए बरिस क मौका ह… एह बारी जिता द, अगर नीक ना करब त हरा दिहा लोगन…' यह बात दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने उस वक्त कही था जब वह अखिलेश यादव के गढ़ 'आजमगढ़' की जनता से वोट मांग रहे थे। वह जानते थे कि समय कम है, चुनौती बड़ी है और अखिलेश यादव चुनाव के बाद जनता के बीच दिखे नहीं हैं। उनका वादा ही आजमगढ़ की जनता के दिल में धंस गया या यूं कहें कि बस गया था। फिर क्या था.. आज जो हुआ वह तो सिर्फ मुहर है.. दरअसल, इसकी स्क्रिप्ट तो निरहुआ के उसी वादे से लिखी जा चुकी थी। सपा समझ ही नहीं पाई और बीजेपी ने देखते-देखते रामपुर और आजमगढ़ दोनों किलों को ध्वस्त कर दिया।
आजमगढ़ और रामुपर उपचुनावों पर टिकीं थीं नजरें
आजमगढ़ और रामपुर उपचुनावों पर सबकी नजरें टिकी थीं। यूं तो उपचुनावों पर लोगों को कोई खास दिलचस्पी नहीं होती मगर इन दोनों सीट पर सभी को दिलचस्पी थी। इसका कारण ये था कि ये दोनों समाजवादी पार्टी के कोर वोटर की सीटें कहीं जाती हैं। इस बार 2022 यूपी विधानसभा चुनावों में एम, वाई समीकरण चला था। भाजपा की सीटें पहले से कम जरूर हुई मगर योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनें। हम यहां पर आजमगढ़ के बारे में बात करेंगे कि आखिरकार आजमगढ़ में ऐसा क्या हुआ कि जनता ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव जोकि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई भी हैं उनको हार का मुंह देखना पड़ा। ये हार समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी चिंताजनक है और वहीं बीजेपी ने सपा का एक और पार्टी का गढ़ ढहा दिया।
आजमगढ़ के अंदर 10 विधानसभा सीटें आती हैं
आजमगढ़ जिले की आबादी 46,13,913 लाख है। जिले की औसत साक्षरता दर 70।93 फीसदी है। आजमगढ़ जिले में तो विधानसभा की 10 सीटें हैं, लेकिन लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। विधानसभा सीटों के नाम गोपालपुर, सगरी, आज़मगढ़, मेंहनगर और मुबारकपुर हैं। मेंहनगर की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
अखिलेश यादव ने छोड़ी थी सीट
आजमगढ़ के चुनावी इतिहास को देखें तो पिछले करीब पांच चुनावों में यह सीट दो नेताओं के आसपास घूमती दिखती है। वह हैं रमाकांत यादव और मुलायम सिंह यादव परिवार। रमाकांत यादव ने तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ा और जीते। जब वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ आए तो यह सीट उनके पाले में चली गई। इसके बाद उनके बेटे अखिलेश यादव ने यहां से जीत दर्ज की। यूपी चुनाव 2022 में मैनपुरी के करहल विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर पहली बार विधानसभा पहुंचे अखिलेश यादव ने सांसदी छोड़ दी।