औरतों और मर्दों का मिजाज क्यों होता है अलग- अलग, जानें क्या कहती है रिसर्च

औरतें और आदमी अपनी मित्रताओं को अलग अलग ढंग से निभाते और संवारते हैं। ये अंतर प्राथमिक स्कूल में शुरू हो जाते हैं और कॉलेज और शादी के दिनों में भी जारी रहते हैं।

औरतों और मर्दों का मिजाज क्यों होता है अलग- अलग, जानें क्या कहती है रिसर्च
डनबर का शोध दिखाता है कि बहुत शुरुआती उम्र से लड़कियों और लड़कों में दोस्तियों का अंतर साफ हो जाता है- लड़कियों की दोस्तियां आमतौर पर संवाद आधारित और भावनाप्रधान होती हैं, जबकि लड़कों की दोस्तियां ज्यादा कैजुअल यानी लापरवाह होती है।

22 अगस्त 22।  आपने अपनी जिंदगी में ये बात नोट की होगी कि पुरुषों और स्त्रियों का अपने दोस्तों के साथ अलग-अलग रिश्ता होता है। औरतें जहां अक्सर ज्यादा भावना प्रधान या निजी विषयों पर बात करने के लिए तैयार और बेताब रहती हैं, वही पुरुषों की दोस्तियां कम बातचीत और ज्यादा हरकतों में बीतती हैं- जैसे कि खेल देखना या वीडियो गेम खेलना।

50 साल से अधिक समय से मित्रता का अध्ययन करने वाले ऑक्सफोर्ड के मनोविज्ञानी रॉबिन डनबर ने भी इस बात को नोटिस किया है। डनबर का शोध दिखाता है कि बहुत शुरुआती उम्र से लड़कियों और लड़कों में दोस्तियों का अंतर साफ हो जाता है- लड़कियों की दोस्तियां आमतौर पर संवाद आधारित और भावनाप्रधान होती हैं, जबकि लड़कों की दोस्तियां ज्यादा कैजुअल यानी लापरवाह होती है।

डनबर कहते हैं, "लड़के इस बात पर ज्यादा निर्भर नहीं रहते हैं कि तुम कौन हो बल्कि उनका ध्यान इस बात पर रहता है कि तुम मेरे पाले में हो या नहीं। वो पाला या क्लब क्या है, कैसे बनता है, इससे फर्क नहीं पड़ता। वे शुक्रवार रात एक साथ पीने-खाने के लिए निकले हुए लड़के हो सकते हैं या फुटबाल खेलने के लिए जुटे लड़के।"(Why do women and men have different moods)

डनबर कहते हैं कि उन्होंने अपनी टीम के साथ, फेसबुक में हजारों लोगों की तस्वीरों देख कर जो अध्ययन किए हैं, वे इस बात की तस्दीक करते हैं। महिलाएं अपने फेसबुक प्रोफाइल में अपनी तस्वीरें डालती हैं या करीबी दोस्त के साथ वाली तस्वीर अक्सर वे दो लोग होते हैं। पुरुषों की प्रोफाइल तस्वीरों में वे अक्सर दूसरे पुरुषों के एक समूह के साथ दिखेंगे या खेल या हाइकिंग जैसी किसी गतिविधि वाली तस्वीर लगाएंगे। उनका, अपने साथ अपने सबसे अच्छे दोस्त या अपनी पत्नी की तस्वीर लगाने की संभावना कम है।(Why do women and men have different moods)

डनबर कहते हैं कि ये सोशल मीडिया पर्यवेक्षण दिखाता है कि वास्तव में दोस्तियों को क्या चीज संचालित कर रही होती है। उसके असर प्राइमरी स्कूलों में मौजूद होते हैं, जहां शोधकर्ताओ ने पाया कि शुरू में लड़कियां, लड़कों के साथ धींगामश्ती करना चाहती हैं लेकिन जब ये धींगामश्ती कुछ ज्यादा ही रूखी और तीखी होने लगती हैं तो लड़कियां उससे हट जाती हैं और आपस में बात करने लगती हैं।

दोस्ती निभाने की कला

डनबर और दूसरे शोधकर्ताओं ने पुरुष और स्त्री मित्रताओं में एक बड़ा अंतर देखा है उन्हें निभाने को लेकर। जब पुरुष देश में यहां से वहां जाते हैं, तो उनका अपने दोस्तों से संपर्क अक्सर छूट जाता है। जबक औरतें अपने कॉलेज के दिनों के दोस्तों के साथ संपर्क बनाए रखती हैं।

डनबर कहते हैं, अक्सर जब नौकरी या बच्चों की वजह से जिंदगी व्यस्त हो जाती है, तो औरतें ही होती हैं जो दोस्तियां बरकरार रखने के लिए ज्यादा जद्दोजहद करती हैं। इस तरह जब वे प्रौढ़ावस्था में पहुंचती है तो एक पुरुष का एक स्त्री के सामाजिक सर्किल में ही खप जाने की संभावना ज्यादा होती है। यानी उसकी दोस्ती अपनी पत्नी की सहेलियों के पतियों से हो जाती है या इसका उलट होता है। पुरुषों के लिए एक घनिष्ठ सपोर्ट सिस्टम की किल्लत तब समस्या बन जाती है जब वे बूढ़े होते हैं और संभवतः अपनी पत्नियों से ज्यादा जी रहे होते हैं।

सामाजिक शोधों में "अकेलेपन की मौतों" का उल्लेख और अध्ययन भलीभांति दर्ज हैं। ये किसी के साथ भी संभव है चाहे पुरुष हो या स्त्री। आशय उन मौतों से है जब शादीशुदा दंपत्ति में से एक व्यक्ति की मौत अपने जीवनसाथी की मौत के कुछ ही दिन बाद हो जाती है। शोध दिखाते हैं कि इन मौतों की मुख्य वजह होता है सामाजिक अलगाव और अकेलापन। 2005 में ऑस्ट्रेलिया में उम्रदराज होने से जुड़े एक अध्ययन के मुताबिक दोस्त होने और एक सामाजिक नेटवर्क बना रहने से बूढ़े लोगों में मृत्यु के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक प्रभाव पड़ता है।