सेना में भर्ती का नया सिस्टम, सैनिकों को 4 साल के लिए किया जाएगा भर्ती

भारतीय सेना में भर्ती के नए Tour of Duty सिस्टम को 'अग्निपथ' नाम दिया गया है। भर्ती होने वाले सैनिकों को 'अग्निवीर' कहा जाएगा। 'अग्निपथ' सिस्टम के तहत सैनिकों की भर्ती चार साल के लिए होगी।

सेना में भर्ती का नया सिस्टम, सैनिकों को 4 साल के लिए किया जाएगा भर्ती
अग्निपथ' सिस्टम के तहत सैनिकों की भर्ती चार साल के लिए होगी। चार साल पूरे होने के बाद उन्हें 10 लाख रुपये टैक्स-फ्री मिलेंगे।

8 जून 22। सेना में भर्ती के लिए नई व्यवस्था आ रही है। सरकार नए 'टुअर ऑफ ड्यूटी' सिस्टम की घोषणा करेगी। इसे 'अग्निपथ' नाम दिया गया है। नई व्यवस्था के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों को 'अग्निवीर' पुकारा जाएगा। 'अग्निपथ' सिस्टम के तहत सैनिकों की भर्ती चार साल के लिए होगी। चार साल पूरे होने के बाद उन्हें 10 लाख रुपये टैक्स-फ्री मिलेंगे। 'अग्निवीरों' को उनकी सेवा के लिए सर्टिफिकेट्स व डिप्लोमा भी दिए जाएंगे। नई व्यवस्था के जरिए ऑफिसर रैंक से कम पर थल सेना, वायु सेना और नौसेना में हर साल 45 हजार से 50 हजार भर्तियां करने की योजना है। भर्ती प्रक्रिया साल में दो बार, छह महीने के अंतराल पर होगी। अभी योग्यता, भर्ती प्रक्रिया, ट्रेनिंग को लेकर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है। हालांकि, सूत्रों ने सशस्त्र बलों की भर्ती में 'अग्निपथ' सिस्टम की तस्वीर काफी हद तक साफ कर दी है।
अग्निवीरों की भर्ती का पैमाना क्या होगा?
-17 साल 6 महीने से लेकर 21 साल उम्र वाले कैंडिडेट्स अप्लाई कर सकेंगे।
-भर्ती की बाकी योग्यताएं अभी वाली ही रहेंगी। उसमें किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है।
-रंगरूटों की छह महीने तक ट्रेनिंग होगी। बाकी वक्त (3.5 साल) वे सर्विस करेंगे। अभी एक सैनिक 17-20 साल सर्विस करता है।
-चार साल का सर्विस पीरियरड पूरा होने के बाद इनमें से 25 प्रतिशत को सेना में एक महीने बाद फिर शामिल कर लिया जाएगा।
सैलरी कितनी होगी? कब और कैसे मिलेगी?
-नई स्कीम के तहत, शुरुआती सैलरी 30,000 रुपये महीना होगी जो चौथा साल खत्म होते-होते 40,000 तक पहुंच जाएगी।
-सरकार सैलरी का 30 प्रतिशत हिस्सा 'बचत' के रूप में रख लेगी और उतना ही 'सेवा निधि' में जमा करेगी। बाकी 70% सैलरी खाते में क्रेडिट होगी।
-एक सैनिक को चार साल की सर्विस के बाद 10 से 12 लाख रुपये मिलेंगे जो टैक्स-फ्री होंगे।
'अग्निवीरों' का बीमा होगा?
अगर चार साल की सर्विस के दौरान किसी 'अग्निवीर' की ऑपरेशन के दौरान मृत्यु हो जाती है तो बीमे की रकम परिवार को मिलेगी। यह रकम करीब 48 लाख रुपये होगी। इसके अलावा जितनी सर्विस बची होगी, उसकी सैलरी भी नॉमिनी को मिलेगी। सर्विस पीरियड के दौरान विकलांगता या शारीरिक अक्षमता की सूरत में जवान को एकमुश्त आर्थिक सहायता दी जाएगी।
चार साल के बाद क्या होगा?
सूत्रों के मुताबिक, ट्रेनिंग और सर्विस पीरियड के दौरान, स्किल्स को देखते हुए जवानों को डिप्लोमा या क्रेडिट्स दिए जाएंगे। इनका इस्तेमाल वह आगे की पढ़ाई में कर सकेंगे। चार साल का टेन्योर खत्म होने के बाद सैनिकों के 'रीहैबिलिटेशन' के लिए सरकार मदद करेगी।
सेना भर्ती का नया सिस्टम क्यों?
उम्मीद है कि नए सिस्टम के जरिए सेना से जुड़ी तमाम दिक्कतें दूर हो सकेंगी। इससे सेना के तीनों अंगों में शामिल होने की चाह रखने वाले युवाओं को भी राहत मिलेगी। पिछले दो साल से न तो थल सेना, न वायु सेना और न ही नौसेना में कोई भर्ती हुई है। सेना में जूनियर कमिशंड ऑफिसर्स (JCOs) के एक लाख से ज्यादा पोस्ट्स खाली हैं।
मार्च 2022 में रक्षा मंत्रालय ने संसद में बताया कि 2017, 2018 और 2019 में 90 से ज्यादा भर्ती रैलियां हुई थीं। 2020-21 में केवल 47 भर्ती रैली और 2021-22 में सिफ 4 भर्ती रैलियां हुईं। वजह कोविड-19 महामारी बताई गई।
नए सिस्टम से देश के किसी भी हिस्से, किसी भी बैकग्राउंड से आने वाला युवा किसी भी रेजिमेंट का हिस्सा बन सकेगा। अभी कुछ रेजिमेंट्स में भर्ती के लिए कुछ कायदे हैं जिन्हें पूरा करना होता है।
सरकार को नई व्यवस्था से पेंशन में बचत होगी। वर्तमान वित्त वर्ष में सरकार ने रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों की पेंशन के लिए करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये अलॉट किए थे। यह रकम कुल रक्षा बजट का करीब एक-चौथाई है।
कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि नई व्यवस्था सफल नहीं होगी। इसकी मुख्य वजह सिर्फ चार साल की सर्विस का नियम है, वह भी बिना पेंशन के। अभी करीब 20 साल की सर्विस होती है और पेंशन भी मिलती है।
कुछ वेटरंस का यह भी मानना है कि सेना के प्रति पूरी तरह समर्पित होने के बजाय, ये 'इंटर्न सैनिक' केवल अपना रेज्यूमे बनाने में लगे रहेंगे।
रिटायर्ड ले. जनरल हरवंत सिंह का कहना है कि नॉर्मल प्रोसेस की तरह सैनिकों को ग्रूम नहीं किया जा सकेगा। ऐसे में एक अहम सवाल यह भी है कि क्या इन सैनिकों की ट्रेनिंग और सर्विस चुनौतीपूर्ण मिलिट्री ऑपरेशंस को अंजाम देने में काफी होगी? 
(चार साल की सेवा के बाद) देश में बेरोजगारी की स्थिति को देखते हुए ज्यादातर (अग्निवीरों) के जॉबलेस रहने की संभावना है। ये हजारों बेरोजगार जिन्हें हथियार चलाने की बढ़‍िया ट्रेनिंग मिली होगी, आंतरिक सुरक्षा के लिए अलग चुनौती बन सकते हैं। ऐसा क्यों है कि इतने बड़े प्रस्ताव को सिविल सर्विसिज, पुलिस और CPOs में लागू नहीं किया जा रहा है?