कोरोना में हर 30 घंटे में पैदा हुआ एक अरबपति

दुनिया के अरबपतियों की कोरोना के शुरुआती 24 महीनों में जितनी संपत्ति बढ़ी, उतनी 23 साल में भी नहीं बढ़ी थी। दुनिया में इस समय 2 हजार 668 अरबपति हैं। ये अरबपति सामूहिक रूप से 12.7 ट्रिलियन डॉलर यानी 984.95 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। इनके पास जितनी संपत्ति है, वो दुनिया की जीडीपी का 14% हिस्सा है।

कोरोना में हर 30 घंटे में पैदा हुआ एक अरबपति
अमीर और गरीब के बीच बढ़ गई खाई।

25 मई 22। कोरोना महामारी यूं तो दुनियाभर के लिए एक अभिशाप रही। लेकिन ऐसे में कुछ अमीर लोगों के लिए ये एक वरदान के रुप में साबित हुई। जिसमें पिछले दो सालों में अमीर और अमीर बनता गया, जबकि गरीब और गरीब होता चला गया। इसका खुलासा ऑक्सफैम की हालिया रिपोर्ट से हुआ है, जिसका नाम है- प्रॉफिटिंंग फ्रॉम पैन। जिसमें बताया गया कि कोविड-19 महामारी के दौरान हर 30 घंटे में दुनिया में एक नया अरबपति बने। वहीं, दूसरी ओर हर 33 घंटे में लगभग 10 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए।
कोरोना के शुरूआत में बढ़ी अमीरों की संपत्ति
ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया के अरबपतियों की कोरोना के शुरुआती 24 महीनों में जितनी संपत्ति बढ़ी, उतनी 23 साल में भी नहीं बढ़ी थी। दुनिया में इस समय 2 हजार 668 अरबपति हैं। ये अरबपति सामूहिक रूप से 12.7 ट्रिलियन डॉलर यानी 984.95 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। इनके पास जितनी संपत्ति है, वो दुनिया की जीडीपी का 14% हिस्सा है।
रिपोर्ट में हुए ये खुलासे
1. अमीर और अमीर हुआः महामारी आने के बाद दुनिया में 573 अरबपति बढ़ गए। यानी हर 30 घंटे में एक अरबपति बढ़ा। इन अरबपतियों की संपत्ति महामारी के दौर में 42 फीसदी यानी 293.16 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई। दुनिया के 3.1 अरब लोगों के पास इतनी संपत्ति नहीं है, जितनी संपत्ति 10 सबसे अमीर लोगों के पास है।
2. गरीब और गरीब हुआः कोरोना महामारी के कारण दुनिया के 99 फीसदी लोगों की कमाई में गिरावट आई है। अकेले 2021 में ही 12.5 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गईं। 2021 में सबसे गरीब 40 फीसदी लोगों की कमाई में गिरावट आ गई। महामारी से पहले औसतन 6.7 फीसदी लोगों की कमाई गिर रही थी।
3. कंपनियां हुईं मालामालः महामारी में दवा कारोबार से जुड़े 40 लोग अरबपति बन गए। मॉडर्ना और फाइजर जैसी कंपनियों ने हर सेकंड 1 हजार डॉलर (77,555 रुपये) का मुनाफा कमाया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फार्मा कंपनियों ने सरकारों से जेनरिक प्रोडक्शन के लिए 24 गुना ज्यादा चार्ज लिया।
4. महिलाएं हुईं बेरोजगारः महामारी से पहले जेंडर पे का अंतर 100 साल में खत्म होने का अनुमान था, लेकिन अब इसमें 136 साल लग सकते हैं। 2020 में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लेबर फोर्स से बाहर होने की आशंका 1.4 गुना ज्यादा थी। 2019 के मुकाबले 2021 में नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या 1.3 करोड़ कम थी। जबकि, कामगार पुरुषों की संख्या 2019 के स्तर पर पहुंच गई।
5. गरीब जियेंगे भी कमः अमीर देशों में रहने वाले लोगों की औसत आय गरीब देशों में रहने वालों की तुलना में 16 साल ज्यादा है। हर साल 56 लाख लोग स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलने के कारण मर जा रहे हैं। इस हिसाब से हर दिन 15 हजार मौतें। ब्राजील के साउ पोलो के अमीर इलाकों में रहने वाले लोग गरीब इलाकों में रहने वालों की तुलना में 14 साल ज्यादा जियेंगे।