ब्रिटेन में मध्यकालीन कुएं से निकले 17 कंकाल अश्केनाजी यहूदियों के हैं?

ब्रिटेन के एक निर्माणाधीन शॉपिंग मॉल के पास मध्यकालीन कुएं में 17 कंकाल मिले थे। इन शवों ने इतिहासकारों को कई वर्षों तक भ्रम में रखा। आनुवंशिकी जांच के बाद शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि ये अश्केनाजी यहूदी थे।

ब्रिटेन में मध्यकालीन कुएं से निकले 17 कंकाल अश्केनाजी यहूदियों के हैं?
एरफर्ट के वैज्ञानिकों ने 14वीं सदी के 33 अश्केनाजी यहूदियों के अध्ययन के आधार पर एक शोध प्रकाशित किया है। हालांकि, रिसर्च पेपर की तुलनात्मक समीक्षा नहीं की गई है, लेकिन उनका कहना है कि उन्होंने इनमें अश्केनाजी समुदाय में पाए जाने वाले रोगों को भी देखा है।

11 सितंबर 22।    साल 2004 में यूके के नॉर्विच शहर(UK city of Norwich) में कुछ मजदूर एक निर्माणाधीन मॉल में काम कर रहे थे। वहां उन्हें कुछ ऐसा मिला, जिसे देखकर वे मजदूर हैरान रह गए। उन लोगों ने एक(17 human skeletons found in a medieval well) मध्यकालीन कुएं में इंसानों के 17 कंकाल देखे। इन कंकालों ने न सिर्फ आम लोगों का, बल्कि इतिहासकारों का भी ध्यान आकर्षित किया।

इन नर कंकालों को देखकर पहला अनुमान यह लगाया गया कि शायद ये यहूदियों के थे। अब करीब 18 साल बाद शोधकर्ता इस मामले की तह तक पहुंच चुके हैं। डीएनए परीक्षण के जरिए शोधकर्ताओं ने खोज निकाला है कि(These bodies are definitely Ashkenazi Jews) ये शव निश्चित तौर पर अश्केनाजी यहूदियों के हैं।

यह शोध मध्यकालीन अश्केनाजी यहूदियों के डीएनए के बारे में पहली वैज्ञानिक जानकारी देता है। मध्यकाल में इस समुदाय के चिकित्सकीय इतिहास के बारे में भी कई जानकारी मिलती हैं।

कौन थे अश्केनाजी यहूदी

अश्केनाजी यहूदी, यहूदियों का ही एक समुदाय था, 12वीं सदी से पहले ही जर्मनी में राइन नदी के किनारे और इटली में बस गया था। आज दुनियाभर में यहूदियों की कुल आबादी का 80 फीसद हिस्सा अश्केनाजी यहूदियों का है।

आनुवंशिकी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को यह समुदाय खूब आकर्षित करता रहा है, क्योंकि इस समुदाय के लोगों में आनुवंशिक विविधता और इन्हें दूसरों से अलग बनाने वाले गुण बहुत कम होते हैं। उदाहरण के लिए इनमें सिकल सेल एनीमिया और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी ऑटोसोमल रेसेसिव बीमारियों की प्रधानता होती है। साथ ही, पार्किंसन्स और ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर का जोखिम भी इनमें काफी होता है।

अश्केनाजी यहूदी समुदाय में कुछ असामान्य जीन्स की अधिकता और आनुवंशिक विविधता की कमी मिलकर एक विशेष आनुवंशिक समीकरण बनाते हैं। वैज्ञानिक इसे 'फाउंडर इफेक्ट' कहते हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब कुछ लोगों का एक छोटा समूह एक बड़ी आबादी से अलग कर दिया जाता है।

अमेरिका स्थित नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट का कहना है कि जिस समुदाय में फाउंडर इफेक्ट पाया जाता है, उनके जीनोटाइप और शारीरिक गुण उनके प्रारंभिक समूहों से मेल खाते हैं और ये बड़ी आबादी से काफी अलग हो सकते हैं।

कंकाल अवशेषों पर आनुवंशिक परीक्षण

वैज्ञानिकों ने कुएं में मिले मध्ययुग के कंकालों में से छह पर परीक्षण किया। उन्हें अश्केनाजी और गैर-अश्केनाजी यहूदियों में तुलनात्मक रूप से कुछ अंतर मिले।

थॉमस कहते हैं, "हमने देखा कि इन नमूनों में आनुवंशिक रोगों के होने की संभावना उतनी ही है, जितनी आज के अश्केनाजी यहूदियों में है। यदि ऐसा है, तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि उनके साथ पॉपुलेशन बॉटलनेक जैसी कोई दुर्घटना हुई होगी।"

शोध और नैतिकता का सवाल

शोधकर्ताओं ने जब शोध शुरू किया, तो उन्हें इन शवों के बारे में कुछ भी पता नहीं था। थॉमस कहते हैं, "हमारे केस में हमने किसी भी यहूदी कब्र से छेड़छाड़ नहीं की है। जो कंकाल हमें मिले हैं, ये शॉपिंग सेंटर के निर्माण के दौरान हुई खुदाई में मिले हैं और हमें नहीं पता था कि ये यहूदी ही हैं।"

एरफर्ट के वैज्ञानिकों ने 14वीं सदी के 33 अश्केनाजी यहूदियों के अध्ययन के आधार पर एक शोध प्रकाशित किया है। हालांकि, रिसर्च पेपर की तुलनात्मक समीक्षा नहीं की गई है, लेकिन उनका कहना है कि उन्होंने इनमें अश्केनाजी समुदाय में पाए जाने वाले रोगों को भी देखा है।

इतिहास पर एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

हालांकि, इस शोध के आधार पर यह पता नहीं लगता कि इन 17 लोगों की मौत कैसे हुई और न ही इसका पता चलता है कि बॉटलनेक जैसी घटना कब और कैसे हुई। फिर भी यह अश्केनाजी यहूदियों की उत्पत्ति के एक सिद्धांत को तो खारिज करती ही है। यह सिद्धांत कहता है कि अश्केनाजी यहूदियों की उत्पत्ति खजर समुदाय से हुई, जो तुर्की के रहने वाले थे और 12वीं-13वीं शताब्दी में साम्राज्य के पतन के बाद यूरोप चले गए। इस सिद्धांत का अनुमोदन आर्थर कोएस्लर ने 1976 में अपनी पुस्तक 'द थर्टींथ ट्राइब' में किया है।

थॉमस कहते हैं, "यह सच नहीं होगा। अश्केनाजी यहूदियों पर हमारे आंकड़ों के आधार पर ऐसा कतई साबित नहीं होता। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यूके का यह आंकड़ा बहुत पहले का है।"