आज़ादी के महापर्व पर आज़ाद पत्रकारिता का आगाज़

आज़ादी के महापर्व पर आज़ाद पत्रकारिता का आगाज़

देश तो 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हो गया, लेकिन हर गुजरते वक्त के साथ हमने इस आज़ादी को पाने के लिए किए गए उस संघर्ष को भुला दिया, जिसके लिए हमारे पुरखों ने हंसते-हंसते कुर्बानियां दे दी थीं।

द लीड स्टोरी डॉट इन आज़ादी के इस महापर्व पर इस उम्मीद के साथ आप लोगों के सामने आ रहा है कि हम बतौर मीडिया हाउस आपको बता सकें कि हम बतौर समाज, सिस्टम और बतौर आम नागरिक अपने देश, राज्य व शहर-गांवों के साथ जो कुछ भी कर रहे हैं, वह कितना सही है और कितना गलत। नेता, अभिनेता, पुलिस, ब्यूरोक्रेट, शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, सरकारी कर्मचारी और हां पत्रकार भी, यह सभी हमारे उसी सिस्टम का हिस्सा हैं, जिसकी शुरूआत बतौर नागरिक हमसे ही होती है। इसलिए जब हम अंदर तक करप्ट हो चुके अपने समाज, सिस्टम को कोसें, गालियां दें, तो पहले यह जरूर देख लें कि क्या हम एक नागरिक के तौर पर, एक समाज के तौर पर और एक सिस्टम के तौर पर जो कर रहे हैं, क्या वह देशहित में है, क्योंकि देशहित सबसे पहले होना चाहिए। इसी ध्येय वाक्य को अपनाकर हम कर रहे हैं द लीड स्टोरी डॉट इन की शुरूआत, यानी एक आज़ाद पत्रकारिता का आगाज़।