क्या चंबल के पानी से नहीं होता कोरोना?

 जब रूल्स बनाने वाले खुद ही उनको तोड़ेंगे, तो किस कलेक्टर-एसपी की हिम्मत जो नियमों का पालन कराए

क्या चंबल के पानी से नहीं होता कोरोना?

एक दिन पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट एवं केंद्र सरकार की जो गाइडलाइन जारी हुई है, अगर कोई व्यक्ति विशेष या कोई संगठन उन गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो एसपी-कलेक्टर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। इस याचिका में हाईकोर्ट ने भिंड के कलेक्टर और एसपी को निर्देशित करते हुए फैसला सुनाया, लेकिन ग्वालियर अंचल में पिछले तीन दिन में खुद राज्य सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के महासदस्यता अभियान के लिए बड़े पैमाने पर लोगों की भीड़ एकत्रित की और उनको अंचल के विभिन्न जिलों से ग्वालियर लाने के लिए बसों तक का इंतजाम किया। ऐसे में यहां सवाल उठना लाजिमी है कि क्या चंबल के पानी से कोरोना नहीं होता है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर भीड़ को एकत्रित करने का फैसला किसी और ने नहीं, बल्कि कानून बनाने वालों और उस कानून की रक्षा करने वाले जिम्मेदार लोगों ने लिया था। अगर भारतीय जनता पार्टी के दावों पर यकीन करें, तो इन तीन दिनों में कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा ज्वॉइन करने वालों की संख्या 76000 को पार कर चुकी है। यानी यहां सत्ताधारी दल खुद स्वीकार कर रहा है कि ऑन रिकॉर्ड महासदस्यता अभियान के लिए 76000 लोगों को इकट्ठा किया गया। इस पूरे अभियान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के जितने भी नियम बनाए गए थे, उन सभी का उल्लंघन हुआ और पूरे तीन दिन तक सरकार द्वारा यह सब किया गया। ऐसे में यहां दूसरा सबसे अहम सवाल खड़ा होता है कि भिंड तो दूर की बात मध्यप्रदेश के किस जिले के एसपी और कलेक्टर की इतनी हिम्मत है जो हाईकोर्ट के इन आदेशों का पालन कराने के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ कार्यवाही करने की हिमाकत करेगा। ग्वालियर अंचल ने लॉकडाउन के वह शुरुआती दिन देखे हैं, जब किसी भी जिले में एक भी कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ जाता था, तो जिले के कलेक्टर कर्फ्यू लगा देते थे और पूरा शहर बंद कर दिया जाता था। लंबे समय तक व्यापारियों और कारोबारियों को व्यवसाय करने से रोका गया, क्योंकि उन पर आरोप लगाए गए कि वे लोग बाजार में भीड़ एकत्रित करा रहे हैं। यानी शहर के आम लोग, कारोबारी, व्यवसाय करने वाले लोग कोरोना संक्रमण के फैलाव का कारण बन सकते हैं, लेकिन सरकार के जिम्मेदार लोग नहीं, क्योंकि चंबल का पानी पीने से कोरोना नहीं होता है। जरा सोचिए, जो कुछ हो रहा है और जो कुछ किया जा रहा है एवं जिन लोगों द्वारा यह सब किया जा रहा है क्या देशहित में और जनहित में वह सब उचित है। आत्म अवलोकन बहुत जरूरी है। सरकार भी करें और आम लोग भी, क्योंकि देश जरूरी है और देशहित सबसे पहले होना चाहिए।