डॉक्टरों पर हमले की सूचना मिलने के एक घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करे पुलिस : केरल हाईकोर्ट

अदालत ने डॉक्टरों व स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हमलों की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश जारी किया

डॉक्टरों पर हमले की सूचना मिलने के एक घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करे पुलिस : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने पुलिस को डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों पर हमला की सूचना मिलने के एक घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करने और हमले के अपराध का संज्ञान लेने का निर्देश दिया। लाइव लॉ के अनुसार अदालत ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हमलों की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश जारी किया। जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने एक मामले में राज्य के पुलिस प्रमुख को पक्षकार बनाते हुए स्वतरू संज्ञान लेते हुए अपने आदेश में कहा कि पहले के निर्देशों के अलावा, हमारा दृढ़ मत है कि अस्पताल के किसी भी अन्य कर्मचारी सहित डॉक्टर या हेल्थकेयर पेशेवर पर हमले की हर घटना, चाहे वह सुरक्षा हो या अन्य संबंधित पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस अधिकारी द्वारा उस समय से एक घंटे के भीतर संज्ञान लिया जाना चाहिए, जिस समय से उन्हें इसकी सूचना दी जाती है। सीनियर एडवोकेट गोपकुमारन नायर और एडवोकेट के. आनंद ने अदालत को सूचित किया कि जून 2021 से दर्ज किए गए हमलों की संख्या 138 या उससे अधिक है। अदालत ने कहा कि यह निश्चित रूप से परेशान करने वाला है, क्योंकि इसका मतलब है कि हर महीने कम से कम 10 या 12 हमले हो रहे हैं। कोर्ट ने इस बात पर चिंता व्यक्त किया कि उसके द्वारा आदेश जारी किए जाने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।

नागरिकों में बिना भय पैदा किए कुछ नहीं बदल सकता : कोर्ट
अदालत ने कहा कि जब तक नागरिकों में कानून के डर की भावना पैदा नहीं होती हैए तब तक वास्तव में कुछ भी नहीं बदल सकता है। अनुभव ने हमें दिखाया है कि नागरिक कानून से डरते नहीं हैं, लेकिन कदाचार या उल्लंघन के मामले में आशंका से डरते हैं। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि नागरिकों को यह आभास होता है कि कानून की प्रक्रिया धीमी है और उन पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, इस तरह की घटनाएं बार-बार होती हैं। कोर्ट ने कहा कि तथ्य यह है कि सरकारी अस्पताल प्रणाली चरमरा गई है और रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जब तक डॉक्टर और हेल्थकेयर पेशेवर शांति से कार्य करने में सक्षम नहीं होंगे, तब तक सिस्टम के लिए कार्य करना असंभव होगा। 
अदालत ने कहा कि सरकार सहित सभी हितधारकों को डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों और क्या किया जाना चाहिए, इसके बारे में सूचित करने की आवश्यकता है। सीनियर सरकारी वकील एस कन्नन ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि अस्पतालों में पुलिस चैकियों की स्थापना सहित पिछले आदेशों में न्यायालय द्वारा जारी सभी निर्देशों का सरकार द्वारा पालन किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि पहले के निर्देशों के अलावा, यह दृढ़ विचार है कि अस्पताल के किसी भी अन्य कर्मचारी सहित डॉक्टर या हेल्थकेयर पेशेवर पर हमले की हर घटना, चाहे वह सुरक्षा हो या अन्य, रिपोर्ट किए जाने के समय से एक घंटे के बाद का संज्ञान लेना होगा। आगे कहा कि यह विशेष कानून के तहत लागू हो सकता है, या भारतीय दंड संहिता के तहत हो सकता है, लेकिन उपरोक्त समय सीमा के भीतर एक प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता होगी, जो अकेले यह सुनिश्चित करेगा कि अपराधी समझते हैं कि कार्रवाई तेज और त्वरित है। इस प्रकार, न्यायालय ने सू मोटो से राज्य पुलिस प्रमुख को एक प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों को आवश्यक सर्कुलर या ऐसे अन्य निर्देशों के माध्यम से प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है। पीठ ने कहा कि हम आदेश देते हैं कि प्रत्येक संबंधित स्टेशन हाउस अधिकारी, जिनके पास या जिनके स्टेशन पर, किसी भी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर पर अत्याचार या हमले या नुकसान की शिकायत आती है, चाहे वह डॉक्टर, नर्स, कर्मचारी, सुरक्षा या ऐसे अन्य हों, या किसी अस्पताल की संपत्ति के खिलाफ तो सूचना मिलने के एक घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जाएगी। अदालत ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अपराधियों को पकड़ने के लिए तेजी से कार्रवाई शुरू की जाए। कोर्ट ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि नागरिकों को अस्पताल या स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले के अपराध की गंभीरता के बारे में बताया जाए। कोर्ट ने मामले को 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। केरल प्राइवेट हॉस्पिटल्स एसोसिएशन बनाम एडवोकेट साबू पी. जोसेफ साइटेशन के केस की अदालत ने सुनवाई की।