पाक के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर आतंकवाद की धाराओं के तहत केस दर्ज

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद से इमरान खान बड़ी बड़ी रैलियां कर रहे हैं। सेना को डर है कि इमरान वापस सत्ता में ना आ जाएं।

पाक के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर आतंकवाद की धाराओं के तहत केस दर्ज
अति ताकतवर सेना वाले देश पाकिस्तान में जब कभी लोकतांत्रिक सरकार बनी है, तो वह दो पार्टियों के बीच से चुनी गई है। ये दो पार्टियां पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) हैं। पीएमएल (एन) नवाज शरीफ और उनके भाई शहबाज शरीफ की पार्टी है। वहीं पीपीपी, जुल्फिकार अली भुट्टो व बेनजीर भुट्टो की पार्टी है। दोनों दलों में शीर्ष पर इन्हीं परिवारों के लोग हैं।

22 अगस्त 22।  पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। शनिवार को राजधानी इस्लामाबाद में पूर्व क्रिकेटर खान ने एक बड़ी रैली की। इस दौरान उन्होंने कुछ पुलिस अधिकारियों और एक महिला जज के खिलाफ मुकदमे की चेतावनी दी। पुलिस ने हाल ही में इमरान के एक करीबी को गिरफ्तार किया। एक टीवी शो में इमरान के करीबी शहबाज गिल ने एआरवाई टीवी से कहा कि सैनिकों और सैन्य अधिकारियों को सैन्य कमांड के "गैरकानूनी" आदेश मानने से इनकार कर देना चाहिए। इस बयान के बाद गिल पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया। उनकी गिरफ्तारी हुई और साथ ही एआरवाई टीवी को बैन कर दिया गया।

इमरान का आरोप है कि गिरफ्तारी के बाद उनके सहयोगी को प्रताड़ित किया गया। पूर्व पीएम ने इसी मामले का जिक्र करते हुए आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी। इसके बाद पुलिस ने इमरान खान पर आतंकवाद (Case registered against Imran Khan under sections of terrorism)की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। मुकदमे को लेकर इमरान ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनकी पार्टी, तहरीक ए इंसाफ ने एक वीडियो ऑनलाइन किया है, जिसमें इमरान खान के घर के बाहर  बड़ी संख्या में समर्थकों का जमावड़ा दिख रहा है। वीडियो के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि इमरान को गिरफ्तार नहीं करने दिया जाएगा। तहरीक ए इंसाफ ने चेतावनी दी है कि अगर उसके नेता को गिरफ्तार किया गया तो पूरे पाकिस्तान में रैलियां होंगी।

पाकिस्तान की कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक पुलिस कुछ धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज करती है। इसके बाद जांच के लिए पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करती है और फिर आगे की जांच व कानूनी प्रक्रिया के लिए आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है। पुलिस का आरोप है कि खान के खिलाफ मजिस्ट्रेट जज अली जावेद ने भी बयान दिया है। आरोपों के मुताबिक इस्लामाबाद में रैली के दौरान खान ने पाकिस्तान पुलिस के आईजी और एक जज को धमकाते हुए कहा, "आपको भी इसके लिए तैयार रहना होगा, हम भी आपके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। आप सबको शर्मिंदा करना ही होगा।''(Case registered against Imran Khan under sections of terrorism)

इमरान पर मंडराता जेल जाने का खतरा

दुनिया के कई देशों की तरह पाकिस्तान में भी आतंकवाद संबंधी धाराओं के तहत दर्ज मुकदमा गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले में दोषी साबित होने पर उन्हें कई साल की जेल हो सकती है। इमरान खान के खिलाफ हल्की फुल्की धाराओं के तहत पहले भी मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, लेकिन उनमें गिरफ्तारी कभी नहीं हुई। लेकिन आतंकवाद का आरोप बेहद गंभीर है। वहीं राजद्रोह का मुकदमा झेल रहे उनके करीबी शहबाज गिल को मौत या उम्रकैद जैसी सजा हो सकती है।

पाकिस्तान की न्यायपालिका पर राजनीतिक पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। वॉशिंगटन स्थित संगठन फ्रीडम हाउस के मुताबिक पाकिस्तान में सेना और लोकतांत्रिक सरकार के बीच शक्ति का संघर्ष होने पर न्यायपालिका ने अकसर ताकतवर सेना का साथ दिया है।

इमरान बनाम सेना

अति ताकतवर सेना वाले देश पाकिस्तान में जब कभी लोकतांत्रिक सरकार बनी है, तो वह दो पार्टियों के बीच से चुनी गई है। ये दो पार्टियां पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) हैं। पीएमएल (एन) नवाज शरीफ और उनके भाई शहबाज शरीफ की पार्टी है। वहीं पीपीपी, जुल्फिकार अली भुट्टो व बेनजीर भुट्टो की पार्टी है। दोनों दलों में शीर्ष पर इन्हीं परिवारों के लोग हैं।(Case registered against Imran Khan under sections of terrorism)

2018 में इन दोनों पार्टियों को हराते हुए इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई। हालांकि तब ये आरोप लगे कि सेना के सपोर्ट से ही इमरान खान सत्ता तक पहुंचे हैं। पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में आधे से ज्यादा समय देश में सैन्य शासन में रहा है। पाकिस्तान की राजनीति पर नजर रखने वालों के मुताबिक सेना ने इमरान खान को एक चांस दिया, लेकिन 2021 आते इमरान खान और सेना के बीच ताकत को लेकर संघर्ष होने लगा। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के कुछ अहम पदों में नियुक्ति को लेकर आर्मी और इमरान में खटपट हो गई। इमरान ने पाकिस्तान की विदेश नीति को अमेरिका के बजाए रूस की तरफ मोड़ने की कोशिश की। 24 फरवरी 2022 को जब वह मॉस्को पहुंचे उसी दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया।

इमरान खान के कार्यकाल के आखिरी दिनों में पाकिस्तान में महंगाई आसमान छूने लगी। रोटी और चाय भी बहुत महंगी हो गई। लेकिन इस दौरान जनता को राहत देने के बजाए इमरान, "आपको घबराना नहीं है" यही कहते रहे। विपक्ष के हमलों और गठबंधन में शामिल पार्टियों की नाराजगी को भांपते हुए इमरान को अंदाजा हो गया कि उनकी सरकार ज्यादा दिन नहीं चलने वाली है। इसी दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार अमेरिका के इशारों पर गिराई जा रही है और इसमें पाकिस्तानी सेना भी मदद कर रही है। जानकार कहते हैं कि इस आरोप के साथ ही इमरान खान ने लाल लकीर पार कर दी।

विपक्ष ने सरकार को देश को आर्थिक गर्त में डुबोने के आरोप लगाया। अप्रैल 2022 आते आते गठबंधन में शामिल पार्टियों के सांसद पाला बदलने लगे। इसी दौरान इमरान ने अपनी सरकार बचाने के लिए बेहद नाटकीय तरीके से अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करवा दिया। वह सेना पर लगातार हमले करते रहे और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव में उनकी सरकार गिर गई। सरकार गिरने के साथ ही इमरान ने संसद से भी इस्तीफा दे दिया। तब से वह पाकिस्तान में रैलियां कर रहे हैं। उनकी रैलियों में बड़ी भीड़ जमा हो रही है। उनकी पार्टी के अहम नेता और इमरान के करीबी आए दिन टीवी और ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म्स को इंटरव्यू दे रहे हैं।