आज नहाए खाए से हुई छठ की शुरुआत, जानें इस दिन क्यों खाते हैं कद्दू-भात

आज नहाए खाए से हुई छठ की शुरुआत, जानें इस दिन क्यों खाते हैं कद्दू-भात
आज छठ पूजा का पहला दिन है। इस दिन नहाय खाए की परंपरा निभाई जाती है। आज के दिन स्नान के बाद कच्चे चावल का भात और कद्दू खाने की परंपरा है। इस भोजन को बहुत ही पवित्र माना जाता है।

28 अक्टूबर 22। आज नहाय खाए से छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। सप्तमी तिथि के दिन यानी कि 31 अक्टूबर 2022 को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा। आस्था के इस महापर्व में महिलाएं संतान सुख, उसकी लंबी उम्र और उज्जवल भविष्य की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती है। छठ पूजा का पहला दिन नहाए खाए होता है। नहाए खाए का अर्थ है स्नान करके भोजन करना। आज के दिन कद्दू-भात यानी चावल खाने का विशेष महत्व होता है। आइए जानते है नहाए खाए से जुड़ी इस परंपरा के बारे में।

नहाए खाए का महत्व (Nahay Khay Date And Significance)

दीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए की परंपरा निभाई जाती है। इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है। इस परंपरा में व्रती नदी या तालाब में स्नान कर कच्चे चावल का भात, चनादाल और कद्दू (लौकी या घीया) प्रसाद के रूप में बनाकर ग्रहण करती हैं। इस भोजन को बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इस दिन एक समय नमक वाला भोजन किया जाता है। मूल रूप से नहाए खाए का संबंध शुद्धता से है। इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ का व्रत रखती हैं।

इस दिन क्यों खाते हैं कद्दू

कद्दू की सब्जी को पूरी तरह से सात्विक माना जाता है। इसलिए यही खाकर छठ पूजा व्रत की शुरुआत की जाती है। माना जाता है कि इसे खाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। सेहत के लिहाज से कद्दू आसानी से पचने वाली सब्जी है। यही वजह है कि छठ व्रती आज कद्दु का सेवन करते हैं।

नहाए खाए नियम (Nahay khay Niyam)

नहाए खाए के दिन व्रती पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें, क्योंकि इस पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व है। साथ ही व्रतियों के भी पवित्र नदी या तालाब में स्नान का विधान है।

इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं। साफ-सफाई और शुद्धता के साथ पहले दिन का नमक युक्त भोजन बनाया जाता है। ध्यान रहे खाना बनाते वक्त जूठी वस्तु का इस्तेमाल ना करें। छठ के चारों दिन जो घर में व्रत नहीं रखते उन्हें भी सात्विक भोजन करना होता है।