सलमान नदवी के यू टर्न के बाद सोशल मीडिया पर घिरे NSA अजीत डोभाल

सलमान नदवी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि उन्होंने जिस कार्यक्रम में शिरकत की उन्हें नहीं पता कि PFI पर प्रतिबंध की बात हो रही है और न ही कोई ऐसा प्रस्ताव लाया गया। और न ही किसी पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि किसी संगठन के किसी एक व्यक्ति के गलत काम की वजह से पूरे संगठन को तो बैन नहीं कर सकते।

सलमान नदवी के यू टर्न के बाद सोशल मीडिया पर घिरे NSA अजीत डोभाल
सलमान नदवी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि उन्होंने जिस कार्यक्रम में शिरकत की उन्हें नहीं पता कि PFI पर प्रतिबंध की बात हो रही है और न ही कोई ऐसा प्रस्ताव लाया गया। और न ही किसी पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि किसी संगठन के किसी एक व्यक्ति के गलत काम की वजह से पूरे संगठन को तो बैन नहीं कर सकते। उन्होंने पीएफआई की बात करते हुए इसकी तुलना आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद से कर डाली। 

4 जुलाई 22। बीती 30 जुलाई को दिल्ली के कॉन्सीट्यूशन क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित किया। यूं तो इस क्लब में हर रोज कई सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रम होते रहते हैं मगर ये खास था। इसके खास होने की वजह थी भारत के एनएसए अजीत डोभाल का शिरकत करना। ये एक अंतरधार्मिक सम्मेलन था और इसमे विभिन्न धर्मों के धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में काफी महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इसी बैठक में पीएफआई संस्था को बैन करने का प्रस्ताव भी पास हुआ, मगर दो दिन बाद ही इसमे मौजूद नेता अपनी बात से पलट गए। वही नेता अब पीएफआई को समर्थन करने की बात कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग डोभाल की मौजूदगी पर प्रश्न उठा रहे हैं। 

एक सुर में पीएफआई बैन की बात

देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। दिल्ली के 'कॉन्स्टिट्यूशन क्लब' में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (एआईएसएससी) की तरफ से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस अंतरधार्मिक सम्मेलन में विभिन्न धर्मों के धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में काफी महत्वपूर्ण चर्चा हुई। संस्था के फाउंडर हजरत सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि सर तन से जुदा स्लोगन एंटी इस्लामिक है। यह तालिबानी सोच है, इसका मुकाबला करने के लिए बंद कमरों की जगह खुले में आकर लड़ाई की जरूरत है। मगर ये सब केवल दो ही दिन में बदल गया। 

सलमान नदवी भी कार्यक्रम में शामिल

कार्यक्रम में सैयद सलमान नदवी (Salman Nadwi) भी शामिल हुए थे। सलमान नदवी वही शख्स हैं जिसने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने पर सबसे पहले बधाई संदेश जारी किया था। आईएसआई जैसे आतंकी संगठन के लिए ट्वीट किया था। मुस्लिम ब्रदरहुड के कट्टर समर्थक रहे हैं। अब ये पूरी तरह से अपने बयान से पलट गए हैं। इनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग अजीत डोभाल से सवाल पूछ रहे हैं।

द स्किन डॉक्टर नाम के यूजर ने ट्विटर पर कहा है कि अजीत डोभाल वहां जा रहे हैं और चिश्ती रेडिका संगठन के खिलाफ एक गुप्त बयान दे रहे हैं और विशेष रूप से उनके प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं। अगर यह सब अंतिम पीएफआई प्रतिबंध के लिए आधारभूत कार्य बनाने की योजना का हिस्सा है, तो बहुत अच्छा किया गया। नहीं तो एनएसए को सूफी कार्यक्रम में भेजने का घटिया कदम था। 

मोनिका वर्मा नाम की यूजर ने लिखा है कि सलमान नदवी वो हैं, जिस मौलवी से एनएसए अजीत डोभाल मिले थे। वह पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के अपने समझौते से मुकर गए। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ एक मजाक है या एक चरमपंथी संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए हमें मुस्लिम ब्रदरहुड से मान्यता की क्या आवश्यकता है?

संजय दीक्षित नाम के यूजर ने लिखा कि सूफी हिंदुओं को मूर्ख बनाने में महान हैं। यहां एक और सबूत है, जिसमें अजीत डोभाल इच्छुक सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं। डोभाल समय से 15 साल पीछे हैं, क्योंकि इंटरनेट ने उनके तरीकों और मंशा को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। 

दो दिन में पलट गया नदवी

सलमान नदवी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि उन्होंने जिस कार्यक्रम में शिरकत की उन्हें नहीं पता कि PFI पर प्रतिबंध की बात हो रही है और न ही कोई ऐसा प्रस्ताव लाया गया। और न ही किसी पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि किसी संगठन के किसी एक व्यक्ति के गलत काम की वजह से पूरे संगठन को तो बैन नहीं कर सकते। उन्होंने पीएफआई की बात करते हुए इसकी तुलना आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद से कर डाली।