राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित ग्वालियर की गोल्डन गर्ल  शिराली, उम्र से ज्यादा जीते गोल्ड मैडल

शिक्षा व कला की अनूठी मिसाल शिराली रूनवाल

राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित ग्वालियर की गोल्डन गर्ल  शिराली,  उम्र से ज्यादा जीते  गोल्ड मैडल

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ख़ास...

ग्वालियर। ग्वालियर की बेटी शिराली रूनवाल। एक ऐसी शख्सियत, जिसने अपनी आयु से अधिक गोल्ड मैडल जीते हैं।शिक्षा व कला की अनूठी मिसाल शिराली रूनवाल, महज़ 5 वर्ष की अल्पायु में अद्वितीय चित्रकला व उत्तम आरेखण के लिए नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकीं हैं । वह आज 27 वर्ष की  उम्र में 2786 अवॉर्ड्स हासिल कर चुकीं हैं । उन्हें अमेरिका की मेक्सिको सिटी से लेकर इजिप्ट के कायरो शहर में पेंटिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए नवाज़ा जा चुका है। दस वर्ष की उम्र तक आते-आते उनकी कविताएं देशभर की बाल पत्रिकाओं में स्थान पाने लगी थीं। उनकी कविता 'कुएं का मेंढक' प्रसिद्ध फिल्म निर्माता आमिर खान की ब्लॉक बस्टर मूवी "तारे ज़मीं पर " में चाइल्ड आर्टिस्ट दर्शिल सफारी पर फिल्माई गई। एनसीआरटी, सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड ने उनकी रचनात्मकता को हाथों-हाथ लिया और विभिन्न विषयों पर रचित उनकी काव्य-कृतियों को पाठ्यक्रम में स्थान दिया।  शिराली ने न केवल 10वीं, 12वीं व पी.एम.टी. में लगातार प्रथम स्थान प्राप्त किया बल्कि एम.बी.बी.एस. में 37 गोल्ड मेडल प्राप्त कर एक रिकॉर्ड कायम किया है। यही नहीं, उन्होंने नीट पी.जी. में 99.99 पर्सेंटाइल अंकों के साथ पूरे देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया। वहीं एम.एस. ऑब्स एण्ड गायनी में डबल गोल्ड मेडल  हासिल कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। शिराली ने यह सब अपनी कड़ी मेहनत, लगनशीलता और ठोस इरादे से हासिल किया है। जब वह स्कूल में पढती थी तब उनकी मां को किडनी फेल्योर  के कारण लगभग 8 वर्ष तक स्वास्थ्य-संकट का सामना करना पड़ा। बार-बार के डायलिसिस व इन्वेस्टिगेशंस ने परिवार को तोड़ कर रख दिया। बावज़ूद इसके मध्यमवर्गीय मात-पिता की इस इकलौती संतान ने सच्ची लगन व पक्के इरादे के बल पर उस मुकाम को पाया जो सिर्फ  सपनों में ही संभव था। 


     आज डॉ. शिराली 12 राष्ट्रीय व 9 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ शिक्षा, कला, साहित्य, संस्कृति, समाजसेवा व सजग नागरिकता के बहुआयामी क्षेत्रों में स्वयं को साबित कर एक कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं। अभी हाल ही में उनके शोध को 'टॉप टेन यंग इंडियंस ' के नवोन्मेष में शामिल कर शासकीय मान्यता दी गई है। शिराली कहती हैं कि मेरा पैशन ही डॉक्टर बनना था । चार पीढ़ी से मेरे परिवार के लोग चिकित्सा में कार्यरत है । महिलाओ के स्वास्थ्य के लिए कार्य करने से बड़ा मेरे लिए कुछ नहीं रहा इसीलिए जब तारे जमीं का गाना हिट हुआ और मेरे पास कई प्रस्ताव आए तब मैंने अपनी पढाई को चुना।  हालांकि उनका कहना हैं कि अभी भी कुछ प्रोजेक्ट हैं जिन पर वे काम कर रही हैं। महिलाओं के लिए सन्देश देते हुए वे कहती हैं कि मेहनत,लगन और देर धैर्य से आप हर वो मुकाम हासिल कर सकते हैं जो आप पाना चाहते हैं ।