आजादी का अमृत महोत्सव: राष्ट्रीय ध्वज है, नारे हैं... नेहरू कहीं नजर आ रहे क्या?

भारत की स्वतंत्रता के 75 साल का जश्न मनाने के लिए चल रहे ‘nectar festival of freedom’ के आधिकारिक पत्राचार में देश के वर्तमान और एकमात्र ‘प्रिय नेता’ का ही ज़िक्र और तस्वीरें दिखाई दे रहे हैं।

आजादी का अमृत महोत्सव: राष्ट्रीय ध्वज है, नारे हैं... नेहरू कहीं नजर आ रहे क्या?
आज पचहत्तर साल बाद पूरे देश में सरकार द्वारा अनिवार्य ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ का कार्यक्रम पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है और लोग अपनी खिड़कियों से (पॉलिएस्टर के) तिरंगे लहरा रहे हैं, नेहरू उनकी अनुपस्थिति के बीच भी अलग से दिखाई दे रहे हैं। न केवल उनके नाम और छवि को सभी आधिकारिक पत्राचार से हटा दिया गया है।

12 अगस्त 22। 14 अगस्त, 1947 की आधी रात में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संसद में खड़े होकर एक भाषण पढ़ा, जो अपने आप में मिसाल बन गया। एक ऐसा भाषण जो आज भी इसे पढ़ने या सुनने वाले हर व्यक्ति के रोंयें खड़े करने की क्षमता रखता है।(nectar festival of freedom)

उन्होंने कहा था, ‘बहुत साल पहले हमने नियति से एक सौदा किया था, और आज वो समय आ गया है जब हम अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करें, पूर्ण रूप से नहीं लेकिन बहुत हद तक। जब घड़ी आधी रात होने का इशारा देगी, जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जागेगा इसके जीवन के लिए, आज़ादी के लिए।’

आज पचहत्तर साल बाद पूरे देश में सरकार द्वारा अनिवार्य ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ का कार्यक्रम पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है और लोग अपनी खिड़कियों से (पॉलिएस्टर के) तिरंगे लहरा रहे हैं, नेहरू उनकी अनुपस्थिति के बीच भी अलग से दिखाई दे रहे हैं। न केवल उनके नाम और छवि को सभी आधिकारिक पत्राचार से हटा दिया गया है।

अगर नरेंद्र मोदी सरकार यह कहना चाहती थी कि नेहरू-गांधी परिवार के लोग अब कोई मायने नहीं रखते हैं और जवाहरलाल नेहरू खुद इससे भी कम मायने रखते हैं, तो जहां तक संघियों की बात है, वे ऐसा करने में कामयाब रहे हैं।

ऊपर से लगातार कहा जा रहा है कि हर एक के घर के आगे तिरंगा लगा होना चाहिए जिससे देश एक रहे और जो लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, वो अपनी डिस्प्ले पिक्चर (डीपी) में तिरंगा लगाएं। तिरंगे की यह तस्वीर और मोदी के प्रेरणादायी कथन एक विशेष वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं, जो लोकेशन और कॉन्टैक्ट नंबर जैसी हर तरह की निजी जानकारियां मांगती है। इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन की मानें, तो ऐसा करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव के नाम पर और अपनी देशभक्ति दिखाने के लिए क्या अपना डेटा एक और सरकारी निकाय को नहीं दिया जा सकता! यह बात तो कब की ख़त्म हो चुकी है।

मोदी की कई तस्वीरों के अलावा अमृत महोत्सव की वेबसाइट पर बहुत सारी गतिविधियां दर्ज की गई हैं- रंगोली प्रतियोगिता, ‘अनसुने नायकों’ की कहानियां और मोदी की ढेर सारी तस्वीरें और उनके कथन। इसी तरह, ‘हर घर तिरंगा‘ वाला नया गीत 75 वर्षों में भारत की उपलब्धियों के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें सरकार के पसंदीदा विषयों- योग, बड़ी प्रतिमाएं लगाने (शिव और वल्लभ भाई पटेल की), स्वच्छ भारत और वर्तमान प्रधानमंत्री की ढेरों फोटो को शामिल किया गया है। इसकी तर्ज ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा‘ वाली ही है- जो दिखाता है कि अतीत से पीछा छुड़ा पाना शायद इतना भी आसान नहीं है।

लेकिन इस देशभक्ति के जोश में वेबसाइट पर भी नेहरू के बारे में कुछ भी पाना मुश्किल है। उन्हें गायब कर दिया गया है, कुछ हद तक उसी तरह जैसे पुराने सोवियत संघ में तस्वीरों से अवांछित नेताओं को हटाया गया था। जहां तक नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का सवाल है, उनके लिए जवाहरलाल नेहरू का कोई अस्तित्व ही नहीं है।

गांधी परिवार की उपस्थिति वर्तमान प्रधानमंत्री के लिए असुविधाजनक है। लेकिन वह उन्हें हटा नहीं सकते। और जहां तक नेहरू का संबंध है, उनका शानदार ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ भाषण इस अमृत महोत्सव से कहीं और आगे, आने वाले कई सालों तक भारतीयों को प्रेरित करता रहेगा।