हाईकोर्ट ने पॉक्सो केस में एंकर दीपक चौरसिया की गिरफ़्तारी पर रोक लगाई

हाईकोर्ट ने पॉक्सो केस में एंकर दीपक चौरसिया की गिरफ़्तारी पर रोक लगाई
चौरसिया 2015 के एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी, आईपीसी की धारा 469, 471, 180, 120बी और पॉक्सो अधिनियम-2012 की धारा 23 के तहत उनके खिलाफ दर्ज किया गया है।

14 नवंबर 22। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने न्यूज एंकर दीपक चौरसिया की एक पॉक्सो एक्ट मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और उन्हें गुड़गांव की निचली अदालत में 17 नवंबर या उससे पहले प्रस्तुत होने के निर्देश दिए।

जस्टिस विवेक पुरी ने कहा कि गुड़गांव कोर्ट के समक्ष चौरसिया जमानत और गिरफ्तारी वॉरंट की वापसी के लिए आवेदन पेश करेंगे।

जस्टिस पुरी ने कहा, ‘आगे यह आदेश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी और याचिकाकर्ता के खिलाफ दिए गए कठोर कदम उठाने के आदेश जमानती आवेदन के निस्तारण तक और उसके बाद याचिका खारिज किए जाने की स्थिति में सात दिनों की अवधि के लिए स्थगित रहेंगे।’

चौरसिया 2015 के एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी, आईपीसी की धारा 469, 471, 180, 120बी और पॉक्सो अधिनियम-2012 की धारा 23 के तहत उनके खिलाफ दर्ज किया गया है।

निचली अदालत ने 28 अक्टूबर को चौरसिया की जमानत रद्द कर दी थी और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी करने का आदेश दिया था। उस तारीख को वह अदालत में पेश नहीं हुए थे। हालांकि, उन्होंने स्वास्थ्य आपात स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि वह ‘जानबूझकर उसके समक्ष उपस्थित होने से बच रहे हैं।’

चौरसिया का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सुमित गोयल ने 10 नवंबर को उच्च न्यायालय को बताया कि चौरसिया तय तिथि पर निचली अदालत में पेश नहीं हो सके क्योंकि उन्हें आशलोक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

अदालत को बताया गया कि उन्हें 28 अक्टूबर को भर्ती कराया गया था और 03 नवंबर को उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हे राहत देते हुए 17 से पहले निचली अदालत में पेश होने के निर्देश दिए।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, चौरसिया उन आठ लोगों में शामिल हैं, जिन पर एक दस वर्षीय बच्ची और उसके परिवार के ‘संपादित’, ‘अश्लील’ वीडियो प्रसारित करने और वीडियो को स्वयंभू संत आसाराम के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले से जोड़ने का आरोप है।