हिजाब धार्मिक प्रथा हो सकती है, लेकिन वहां भी जहां यूनिफॉर्म निर्धारित हो? : SC

हिजाब धार्मिक प्रथा हो सकती है, लेकिन वहां भी जहां यूनिफॉर्म निर्धारित हो? : SC
याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि हिजाब प्रतिबंध से महिलाएं शिक्षा से वंचित रह सकती हैं। इस पर पीठ ने कहा कि राज्य यह नहीं कह रहा है कि वह किसी भी अधिकार से इनकार कर रहा है। राज्य यह कह रहा है कि आप उस ड्रेस में आएं जो विद्यार्थियों के लिए निर्धारित है। किसी भी व्यक्ति को धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अधिकार निर्धारित यूनिफॉर्म वाले स्कूल में भी लागू हो सकता है। क्या कोई विद्यार्थी उस स्कूल में हिजाब पहन सकती है जहां निर्धारित ड्रेस है।

6 सितंबर 22।   सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने कर्नाटक के सरकारी कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती (Challenging the ban on wearing hijab in government colleges)देने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील पर सवालों की झड़ी लगा दी। सोमवार को कोर्ट ने कहा कि क्या कक्षा में एक विद्यार्थी का मिनी पहनने का विकल्प उचित होगा? साथ ही कोर्ट ने कहा कि गोल्फ कोर्स, रेस्तरां और कोर्ट रूम के लिए भी एक ड्रेस कोड लागू होता है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि हिजाब पहनना एक धार्मिक प्रथा हो सकती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हिजाब को ऐसे स्कूल में ले जाया जा सकता है जहां यूनिफॉर्म निर्धारित हो?

आपके पास धार्मिक अधिकार हो सकता है....

न्यायमूर्ति गुप्ता ने याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से पूछा कि क्या ड्रेस कोड की अनुपस्थिति छात्रों को कक्षा में कुछ भी पहनने में सक्षम बनाती है। ‘आप कह रहे हैं कि अधिनियम (कर्नाटक शिक्षा अधिनियम) ड्रेस कोड निर्धारित नहीं करता है और न ही निर्धारण को रोकता है। क्या यह राज्य को बाहर करता है?’ पीठ ने कहा, ‘आपके पास एक धार्मिक अधिकार हो सकता है .... क्या आप एक शैक्षणिक संस्थान के भीतर उस अधिकार को ले सकते हैं जहां एक यूनिफॉर्म निर्धारित है। आप हिजाब या स्कार्फ पहनने के हकदार हो सकते हैं, लेकिन क्या आप एक यूनिफॉर्म निर्धारित जगह पर इस अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।’

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने कहा कि यह मुद्दा काफी सीमित है और यह शैक्षणिक संस्थानों में अनुशासन से संबंधित है। इस पर अदालत ने उनसे भी सवाल किया, अगर कोई लड़की हिजाब पहनती है तो स्कूल में अनुशासन का उल्लंघन कैसे होता है। इस पर एएसजी ने कहा, अपनी धार्मिक प्रथा या धार्मिक अधिकार की आड़ में कोई यह नहीं कह सकता कि मैं ऐसा करने का हकदार हूं, इसलिए मैं स्कूल के अनुशासन का उल्लंघन करना चाहता हूं। इसके बाद अदालत ने सुनवाई बुधवार के लिए टाल दी।