मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में करणी सेना ने आर्थिक आधार पर आरक्षण सहित 21 मांगों को लेकर आंदोलन

भोपाल के जंबूरी मैदान में लाखों की संख्या में करणी सेना के बैनर तले राजपूत संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में करणी सेना ने आर्थिक आधार पर आरक्षण सहित 21 मांगों को लेकर आंदोलन

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ज्ञंतदप ैमदं डवअमउमदज. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में करणी सेना ने आर्थिक आधार पर आरक्षण सहित 21 मांगों को लेकर आंदोलन क 
भोपाल। मध्य प्रदेश में राजपूत संगठनों और सर्व समाज ने आरक्षण की मांग के साथ मोर्चा खोल दिया है। ये लोग आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं। करणी सेना के बैनर तले राजपूत संगठनों और सर्व समाज ने भोपाल में जंगी प्रदर्शन किया। जिसने देखते ही देखते बड़ा रूप ले लिया। लाखों की संख्या में देश भर से आए कार्यकर्ता भोपाल के जंबूरी मैदान में जुट गए। जहां आर्थिक आधार पर आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के विरोध समेत 21 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया।

करणी सेना परिवार और अन्य संगठनों ने अपने आंदोलन के दौरान आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करते हुए कहा समाज के हर वर्ग के गरीबों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। एससी-एसटी एक्ट में बिना जांच के गिरफ्तारी पर रोक लगे। इसके साथ ही सामान्य-पिछड़ा एक्ट भी बने जो सामान्य पिछड़ा वर्ग के हितों की रक्षा कर सके। ईडब्ल्यूएस आरक्षण में भूमि और मकान की बाध्यता समाप्त कर 8 लाख की वार्षिक आय को ही आधार मानकर आरक्षण दिया जाए। आंदोलनकारियों ने बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए भर्ती कानून बनाने की मांग भी की।

मांगें पूरी नहीं होने पर तख्तापलट की चेतावनी
करणी सेना परिवार ने अतिथि शिक्षकों, रोजगार सहायकों और संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित करने की मांग भी रखी है। इसके साथ ही क्षत्रीय महापुरुषों के इतिहास से छेड़छाड़ करने पर तुरंत रोक लगाने की मांग करते हुए इतिहास संरक्षण समिति बनाने की बात भी कही। आंदोलन जीवन सिंह शेरपुर की अगुवाई में हुआ। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो हम तख्तापलट भी कर सकते हैं। एक बार फिर जंबूरी मैदान में हम हैं माई के लाल नारे सुनाई दिए, देर शाम तक आंदोलन जारी रहा।

कांग्रेस बोली सरकार को करना चाहिए विचार
करणी सेना परिवार और अन्य समाजों के संयुक्त आंदोलन को लेकर प्रदेश में सियासी पारा भी परवान चढ़ता नजर आया। कांग्रेस ने कहा यह राज्य की जिम्मेदारी है कि सभी समाजों और वर्गों में समन्वय बनाकर उन्हें संतुष्ट किया जाए, लेकिन सरकार विभाजन करती दिखाई दे रही है। सरकार को आंदोलनकारियों की मांग पर विचार करना चाहिए। चुनाव होने से कुछ समय पहले ही हुआ ये आंदोलन सरकार पर या आगामी चुनाव पर क्या असर डालता है ये देखने वाली बात होगी।